थाइलैंड की राजधानी बैंकॉक में दो महीने के लिए आपातकाल लागू

Jan 23, 2014, 11:28 IST

थाइलैंड की सरकार ने देश की राजधानी बैंकॉक में 60-दिवसीय आपातकाल 22 जनवरी 2014 को लागू कर दिया.

थाइलैंड की सरकार ने देश की राजधानी बैंकॉक में 60-दिवसीय आपातकाल 22 जनवरी 2014 को लागू कर दिया. आपातकाल राजधानी के विभिन्न हिस्सों को अवरुद्ध कर देने वाले सरकार-विरोधी आंदोलन को दबाने के लिए और स्थिति को संभालने तथा कानून लागू करने के लिए किया गया. आपातकाल अगले 60 दिनों के लिए जनता के इकट्ठे होने पर प्रतिबंध लगाती है, समाचार-रिपोर्टों को सेंसर करती है और कर्फ्यू लागू करती है.

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आपातकाल की घोषणा एक मंत्रिमंडलीय बैठक के बाद उप आंतरिक मंत्री विसर्न तेचातीरावत ने की. सरकार ने यह भी कहा कि उसकी विपक्षी नेता सुथेप थौग्सबन की अगुवाई में किए जा रहे विरोध-आंदोलन को तितर-बितर करने की कोई योजना नहीं है.   

आपातकाल के बाद रेड-शर्ट ग्रुप के एक सरकार-समर्थक नेता को गोली मर दी गई. यह घटना प्रदर्शनकारियों द्वारा प्रधानमंत्री के त्यागपत्र की माँग करते हुए बैंकॉक के हिस्से अवरुद्ध करना जारी रखने के दौरान घटित हुई. आपातकाल पत्र में  सरकार को भीड़ को नियंत्रित करने और मीडिया को सेंसर करने सहित व्यापक शक्तियाँ प्रदान की गई हैं.  

देश में जारी उपद्रव शांत करने के लिए प्रधानमंत्री ने पहले ही 2 फरवरी 2014 को चुनाव करवाने की घोषणा की हैं. निर्वाचन आयोग द्वारा संवैधानिक न्यायालय से इस संबंध में निर्णय देने का अनुरोध किए जाने की आशा है कि क्या मतदान देरी से करवाया जा सकता है.

बैंकॉक में थाइलैंड की प्रधानमंत्री यिंगलक शिनावात्रा को पद छोड़ने के लिए बाध्य करने की माँग के साथ सरकार-विरोधी प्रदर्शन जारी हैं. देश में प्रदर्शन नवंबर 2013 में शुरू हुए थे. प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि यिंगलक शिनावात्रा सरकार उनके भाई थाकसिन शिनावात्रा से प्रभावित है. थाकसिन 2001 से 2006 तक थाइलैंड के प्रधानमंत्री रहे थे और 2006 में एक सैन्य विप्लव द्वारा बेदखल कर दिए गए थे. वर्ष 2008 में थाकसिन शिनावात्रा दो साल की जेल की सजा से बचने के लिए निर्वासित हो गए थे.    

इस आपातकाल से थाईलैंड सरकार को आशा है कि प्रतिबंधों और कर्फ्यू से उसे गलियों में होने वाले प्रदर्शनों को कुचलने और शांति कायम करने में मदद मिलेगी. इन जन-प्रदर्शनों से पूर्व वर्ष 2010 में भी देश में विरोध-प्रदर्शन हुआ था जिन्हें बैंकॉक में रेड शर्ट दंगों का नाम दिया गया था. बैंकॉक में रेड शर्ट दंगे डेमोक्रेट पार्टी के विरुद्ध मार्च से मई 2010 के दौरान हुए थे, जिनमें तत्कालीन प्रधानमंत्री अभिसित वेज्जाजीवा से संसद भंग करने और शीघ्रातिशीघ्र चुनाव करवाने की माँग की गई थी. रेड शर्ट दंगों के दौरान प्रदर्शनकारियों ने सैन्य बलों से भी लड़ाई की. दंगे छह दिन लंबी हिंसक मुठभेड़ों के बाद रेड शर्ट विपक्षी नेताओं दवारा समर्पण किए जाने पर समाप्त हुए थे.

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सरकार-विरोधी प्रदर्शनों का परिणाम
देश में राजनीतिक उपद्रव के कारण थाइलैंड सरकार को पर्यटकों के लिए इस आशय का एक परामर्श जारी करना पड़ा है कि वे सतर्क रहें और प्रदर्शन-स्थलों पर जाने से बचें. थाइलैंड में हाल के उपद्रव को देखते हुए भारतीय पर्यटकों ने वहाँ की यात्रा की अपनी योजनाएं रद्द कर दी हैं.

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