भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने केंद्र सरकार को सौंपी अपनी सिफारिश रिपोर्ट में मोबाइल कंपनियों को वर्ष 2008 के मुकाबले करीब दस गुना ऊंची कीमत पर स्पेक्ट्रम आवंटित करने की सिफारिश की है. सर्वोच्च न्यायालय ने 2जी घोटाले के कारण मोबाइल कंपनियों के लाइसेंस इस स्पेक्ट्रम हेतु रद्द कर दिए थे. साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण को पुनः नीलामी संबंधी रिपोर्ट तैयार करने का आदेश दिया था.
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने अपनी सिफारिश में पूरे भारत में 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड पर जीएसएम आधारित मोबाइल सेवा देने के लिए कम से कम 3622 करोड़ रुपये प्रति मेगाहर्ट्ज की दर से लाइसेंस फीस सरकार को देने की बात बताई. साथ ही हर मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनी को कम से कम पांच मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम दिए जाने की वकालत की.
2जी स्पेक्ट्रम की पुनः नीलामी हेतु भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने जो कार्ययोजना दी है, उसके मुताबिक 2जी स्पेक्ट्रम के तहत 700 मेगाहर्ट्ज से लेकर 2300 मेगाहर्ट्ज की वायुतरंगों की अलग-अलग नीलामी करने की बात कही गई है. भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण ने रद्द हुए 2जी स्पेक्ट्रम के स्थान पर बेहतर स्पेक्ट्रम आवंटित करने, सरकारी कंपनियों व विभागों के पास अतिरिक्त पड़े स्पेक्ट्रम को वापस लेने, दूरसंचार कंपनियों को सुविधाजनक तरीके से लाइसेंस फीस का भुगतान करने, स्पेक्ट्रम की आपस में हिस्सेदारी करने या उसके बेचने को लेकर भी विस्तार से सिफारिशें की हैं.
ज्ञातव्य हो कि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण द्वारा सौंपी सिफारिश रिपोर्ट में 2जी स्पेक्ट्रम की पुनः नीलामी की जो दर बताई गई है, वह वर्ष 2010 में जिस दर (3500 करोड़ रुपये) से 3जी स्पेक्ट्रम की नीलामी हुई थी, उससे भी काफी ज्यादा है.
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