न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) ऊषा मेहरा आयोग ने अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को 22 फरवरी 2013 को सौंपी. इस आयोग को दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को हुई सामूहिक दुष्कर्म की घटना की जांच करना था. आयोग को तीन महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, जिसे उसने समय से पहले ही पूरा कर लिया.
न्यायमूर्ति ऊषा मेहरा आयोग ने दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को सामूहिक दुष्कर्म की घटना के लिए दिल्ली पुलिस और नगर परिवहन विभाग की आलोचना की है. दोनों विभागों के बीच तालमेल न होने के कारण ही बार बार जुर्माने के बावजूद वो बस बेरोकटोक चलती रही, जिसमें यह घटना हुई.
न्यायमूर्ति ऊषा मेहरा आयोग ने दोनों दिल्ली पुलिस और नगर परिवहन विभाग के बीच तालमेल करने के नियम बनाए जाने की सिफारिश की है. आयोग ने सभी स्तरों पर लोगों को संवेदनशील बनने की जरूरत बताई.
आयोग ने यह भी स्वीकार किया कि पीड़ित छात्रा और उसके दोस्त की मदद की गुहार पर पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की. संदेश मिलने के छह मिनट के भीतर ही पुलिस गाड़ी घटनास्थल पर पहुंची थी जहां से दोनों को अस्पताल ले जाया गया.
विदित हो कि न्यायमूर्ति ऊषा मेहरा आयोग का गठन 26 दिसंबर 2012 को दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को एक युवती के साथ दुराचार और बर्बर हमले की घटना के विभिन्न आयामों की जांच के लिए किया गया था. आयोग को तीन महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी.
न्यायमूर्ति ऊषा मेहरा दिल्ली उच्च न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश हैं.
पूर्व प्रधान न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) न्यायमूर्ति जेएस वर्मा समिति
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