विश्व बैंक ने 18 अप्रैल 2015 को प्रदूषण प्रबंधन और पर्यावरण स्वास्थ्य कार्यक्रम (पीएचईएम) का शुभारम्भ किया.
इस कार्यक्रम का शुभारम्भ आधिकारिक तौर पर वाशिंगटन, डी.सी. में ग्लोबल सिटीज़न 2015 अर्थ डे के अवसर पर किया गया.
45 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लागत वाला यह कार्यक्रम 2015 से 2020 तक चलेगा जिसमें तेजी से बढ़ते शहरीकरण के कारण हवा की गुणवत्ता में बदलाव, प्रदूषण नियंत्रण के उपायों किये किये जाने वाले उपाय तथा पानी और भूमि प्रदूषण से निपटने के कार्यक्रम भी शामिल होंगे.
इसके तहत पांच प्रमुख शहरी क्षेत्रों भारत, चीन, मिस्र, नाइजीरिया और दक्षिण अफ्रीका में हवा की गुणवत्ता प्रबंधन पर ध्यान दिया जाएगा.
पीएचईएम कार्यक्रम मल्टी डोनर ट्रस्ट फण्ड पर आधारित है.
यह विश्व बैंक के विशेषज्ञों, आंतरिक और बाहरी हितधारकों तथा भागीदारों के सहयोग से तीन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कार्यरत है:
विभिन्न देशों में वायु, भूमि एवं जल प्रदूषण को कम करने के लिए समर्थन देना तथा प्रदूषण प्रबंधन योजना और स्वास्थ्य में सुधार के लिए निवेश करना.
प्रदूषण और इसके शहरी, ग्रामीण एवं समुद्री क्षेत्रों पर पड़ने वाले स्वास्थ्य प्रभावों पर नयी जानकारियां हासिल करना.
नीति निर्माताओं, हितधारकों और जनता के बीच इस मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाना.
विकासशील देशों में प्रत्येक वर्ष लगभग 9 करोड़ लोग प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों से मृत्यु के शिकार हो जाते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2012 में 7 लाख लोग घरेलू एवं बाह्य प्रदूषण के कारण मारे गए.
टिप्पणी
विश्व बैंक प्रदूषण से प्रभावित देशों को सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है. वर्ष 2009 से 2014 के बीच विश्व बैंक प्रतिबद्धताओं (आईबीआरडी/आईडीए) का व्यय 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर रहा जिसके परिणामस्वरूप उलनबटार, मंगोलिया, अफ्रीका के पांच देशों में कचरे का निपटान तथा चीन की नदियों में प्रदूषण के स्तर को कम किया गया.

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