जैसे-जैसे देश आर्थिक रूप से आगे बढ़ रहा है सभी लोगों की जिंदगी में आर्थिक गतिविधियों की बाढ़ आ गयी है| इसी क्रम में लोगों के वित्तीय अधिकारों के उल्लंघन की घटनाएं भी सामने आने लगी हैं| इसलिए इस लेख में हमने आपके वित्तीय अधिकारों को बताया है ताकि कोई आपका शोषण न कर सके|
1. कार्ड धोखाधड़ी के मामले में भुगतान नहीं करने का अधिकार: यदि आप इस बात को साबित कर देते हैं कि आपके डेबिट या क्रेडिट कार्ड से राशि निकाली गयी है या किसी अन्य तरह का भुगतान आपने नही किया है तो आपको इसका भुगतान करने की कोई जरुरत नही है| आप आपके कार्ड से अनधिकृत लेनदेन की जानकारी तुरंत अपने कार्ड जारी करने वाले बैंक को दें। इस सम्बन्ध में पुलिस थाने में रिपोर्ट कराना भी जरूरी होता है |
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2. ऋण लेने वालों को परेशान नहीं किया जा सकता - सरफेसी अधिनियम (Sarfaesi Act) 2002 : यदि आप अपना लोन चुकाने में चूक भी जाते हैं तो भी आपका यह अधिकार है कि ऋणदाता और वसूली एजेंटों द्वारा आपके साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार लिया जाये| ऋणदाता पहले आपको 60 दिन का नोटिस देगा। आप इस अवधि के दौरान अधिकृत अधिकारियों के सामने अपने मामले को पेश कर सकते हैं। ऋणदाता इस समय के दौरान आपको परेशान नहीं कर सकता है और केवल 7.00AM और 7.00 PM के बीच ही आपको फ़ोन कर सकता हैं। यदि आपको परेशान किया जाता है तो इस सम्बन्ध में आप सम्बंधित बैंक को बताकर पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करा सकते है |
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3. टैक्स रिफंड पाने का अधिकार - (आयकर अधिनियम 1961): आपको अपनी कर रिटर्न दाखिल करने के 90 दिनों के भीतर अपना आयकर रिफंड प्राप्त करने का अधिकार है। यदि इस अवधि के बाद भी आपको रिफंड प्राप्त नही होता है तो रिफंड के तौर पर मिलने वाली राशि पर हर महीने 0.5% की दर से ब्याज मिलेगा| इसके लिए आप अपने क्षेत्र के आयकर आकलन अधिकारी से संपर्क या आयकर विभाग की वेबसाइट पर एक अनुरोध कर सकते हैं।
4. आपने कितना कमीशन दिया - (बीमा अधिनियम 1938 की धारा 114A): आपने किसी बीमा एजेंट, म्युचुअल फंड वितरक या किसी अन्य वित्तीय उत्पादों के एजेंट को कितना रुपया कमीशन के रूप में दिया इसे जानने का आपको पूरा आधिकार है| एक फण्ड कंपनी ने अपने म्युचुअल फंड वितरक को कितना कमीशन दिया है इसका पूरा विवरण आपके लेखा विवरण (account statement) में दिया गया होता है| सेबी की वेबसाइट की मदद लें|
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5. बिल्डरों द्वारा सही समय पर मकान सौपने का अधिकार- (रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016): जब आप संपत्ति खरीदते हो तो इस संपत्ति पर आपको उचित समय पर कब्ज़ा (possession) मिलना जरूरी होता है| यदि बिल्डर आपको तय समय पर मकान या अन्य संपत्ति नही देता है तो वह आपको उतना ही ब्याज देगा जितना आपने EMI भरते समय दिया था| यदि आप चाहें तो आपको पूरी राशि की वापसी का दावा भी कर सकते हैं और पूरा पैसा 45 दिनों के भीतर मिल जाना चाहिए| भुगतान में देरी से सम्बंधित किसी भी शिकायत के लिए आप अपने राज्य के “रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी” से संपर्क कर सकते हैं| इन अधिकारियों को 60 दिन में अपनी शिकायत सुलझाना जरूरी है।
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6. बीमा पॉलिसी को वापस करने का अधिकार- (बीमा अधिनियम 1938 की धारा 114A): यदि आपको कोई जीवन बीमा पॉलिसी पसंद नही आती है तो आपको इसे बनाए रखने की जरूरत नहीं है। आप जरूरी दस्तावेज प्राप्त करने के 15 दिनों के भीतर बीमा पॉलिसी वापस कर सकते हैं| इसके लिए आपको बीमा कंपनी की साईट से एक प्रपत्र डाउनलोड करके सम्बंधित कंपनी में जमा कराना होगा |
7. सेवा शुल्क (Service Charge) का भुगतान नहीं करने का अधिकार - (उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986): यदि आप एक रेस्तरां में प्रदान की गई सेवा से असंतुष्ट हैं, तो आप सेवा शुल्क देने से मना कर सकते हैं| यदि एक रेस्तरां आपको सेवा शुल्क का भुगतान करने के लिए मजबूर करता है तो आप उपभोक्ता मामले विभाग में एक औपचारिक शिकायत दर्ज करा सकते है। सेवा शुल्क सरकार को नही मिलता है यह सिर्फ रेस्तरां मालिक की जेब में चला जाता है|
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8. लॉकर की सुविधा के लिए खाता खोलना जरूरी नही है- (बैंक विनियमन अधिनियम, 1949): यदि आप किसी बैंक में लॉकर की सुविधा लेना चाहते हैं तो उस बैंक में खाता खोलना या किसी अन्य सेवा का लाभ लेना जरूरी नही है और ना ही किसी उत्पाद को खरीदना जरूरी है| हालांकि उस बैंक की लॉकर सुविधा का लाभ उठाने के लिए बैंक आपके ऊपर एक शुल्क लगाएगा| यदि बैंक कोई उत्पाद खरीदने का दबाव डालता है तो आप लोकपाल या भारतीय रिजर्व बैंक से शिकायत कर सकते हैं |
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