भारतीय शहरों को विभिन्न श्रेणियों में क्यों वर्गीकृत किया जाता है?

आइये इस लेख के माध्यम से भारतीय शहरों के टियर 1, 2 और 3 में वर्गीकरण की अवधारणा को समझने की कोशिश करते हैं और साथ ही यह भी जानेंगे कि सरकार द्वारा शहरों को विभिन्न श्रेणियों में क्यों वर्गीकृत किया गया है.
Classification of Indian Cities into Tiers
Classification of Indian Cities into Tiers

भारत में शहरों को टियर 1, 2 और 3 श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है. सबसे विकसित शहरों को टियर 1 और अविकसित को टियर 2 और टियर 3 शहर कहा जाता है. श्रेणियों का विवरण नीचे लेख में प्रदान किया गया है. आइये जानते हैं.

शहरों को श्रेणियों में कौन विभाजित करता है और कैसे?

वेतन आयोग द्वारा भारत को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया गया है. वर्गीकरण करने का यह वर्तमान तरीका है.

2008 से पहले, भारत में शहरों को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया था. इसे ऐतिहासिक वर्गीकरण कहा जाता था और शहरों को छठे वेतन आयोग की सिफारिशों से पहले वर्गीकृत किया गया था. इस श्रेणी में चेन्नई, नई दिल्ली, कोलकाता और मुंबई के शहरों को A1 शहर कहा जाता था. भारत की जनगणना 2001 के परिणामों के आधार पर शहर की स्थिति को बाद में संशोधित किया गया था.

हैदराबाद को तब 2007 में A1 शहर का दर्जा दिया गया था और उसी वर्ष बैंगलोर को भी A1 शहर का दर्जा दिया गया था. हालाँकि 2008 में CCA वर्गीकरण को समाप्त कर दिया गया था.

वर्गीकरण को इसलिए समाप्त कर दिया गया था क्योंकि ऐसा देखा गया था कि C श्रेणी के शहरों में A1 वेतन आयोग था, जिसने उन्हें A1 शहरों के रूप में वर्गीकृत किया था, जिनमें इस तरह की कोई सुविधा ही नहीं थी.

इस तरह की विसंगतियों ने सातवें वेतन आयोग के आधार पर मौजूदा वर्गीकरण का मार्ग प्रशस्त किया. शहरों के पहले के HRA को A1 से X; A, B1 और B2 से Y और C में बदल दिया गया था और अवर्गीकृत शहरों को  Z में बदल दिया गया था.

अब X, Y और Z को क्रमशः टियर 1, टियर 2 और टियर 3 शहरों के रूप में जाना जाता है. भारत में आठ X शहर और 97 Y शहर हैं.

X शहर: सरकार जो सैलरी दे रही है उसे कई कैटेगरी में बांटा गया है. इन्हीं में से एक है हाउस रेंट अलाउंस. X श्रेणी के शहरों में HRA मूल वेतन का 24% है.

Y शहर: यदि सरकारी संगठन में कार्यरत लोगों का HRA उनके मूल वेतन का 16% है तो शहर Y श्रेणी के अंतर्गत आता है.

Z शहर: यदि HRA मूल वेतन का 8% है तो शहर को Z श्रेणी का शहर कहा जाता है.

क्रमांक टियर 1 शहर 
1 बैंगलोर
2 चेन्नई
3 दिल्ली
4 हैदराबाद
5 कोलकाता
6 मुंबई
7 अहमदाबाद
8 पुणे

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आइये अब टियर वर्गीकरण के बारे में जानते हैं 

विभिन्न संगठनों द्वारा इस श्रेणी में कई वर्गीकरण किए गए हैं. RBI शहरों को उनकी आबादी के आधार पर टियर 1-6 श्रेणियों में वर्गीकृत करता है.

भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, निम्नलिखित वर्गीकरण का पालन किया जाता है:

टियर 

जनसंख्या

टियर 1

1,00,000 और अधिक 

टियर 2

50,000 से  99,999

टियर 3

20,000 से 49,999

टियर 4

10,000 से 19,999

टियर 5

5000 से 9999

टियर 6

5000 से कम 

अन्य वर्गीकरण: ग्रामीण और शहरी श्रेणी के बारे में 

अन्य प्रमुख वर्गीकरण शहरी या ग्रामीण क्षेत्रों के आधार पर किया जाता है.

ग्रामीण केंद्र (Rural Centre): 10, 000 से कम आबादी के कारण इस स्थान को ग्रामीण केंद्र के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

अर्ध शहरी केंद्र (Semi Urban Centre): इस श्रेणी में केंद्र की जनसंख्या 10,000 से 1 लाख के बीच होनी चाहिए.

शहरी केंद्र (Urban Centre): 1 लाख से 10 लाख तक की आबादी वाले क्षेत्र शहरी केंद्र की श्रेणी में शामिल हैं.

मेट्रोपॉलिटन सेंटर (Metropolitan Centre): यह वह शहर है जहां लोगों की आबादी 10 मिलियन या 10 लाख से ऊपर है. यह नगर निगम होना चाहिए.

आखिर वर्गीकरण करने के पीछे क्या कारण है 

वर्गीकरण उपयोगी है क्योंकि यह सरकार को इसके आधार पर अपने कर्मचारियों के वेतन पर निर्णय लेने में मदद करता है. इस वर्गीकरण के कारण सरकार द्वारा लाई गई विभिन्न योजनाओं को प्रभावी ढंग से नियोजित किया जा सकता है. इसके अलावा कराधान वर्गीकरण पर भी निर्भर करता है. इसलिए ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि शहरों का विभिन्न स्तरों में वर्गीकरण होना काफी आवश्यक है.

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