भारत की राजधानी दिल्ली, महान एवं शक्तिशाली साम्राज्यों के सत्ता का केन्द्र रही है, जिसने दिल्ली को सबसे लंबे समय तक सेवारत राजधानियों और विश्व में सबसे प्राचीन आबाद नगरों में से एक बनाया| दिल्ली को एक ऐसे शहर के रूप में जाना जाता है जिसे कई बार बसाया गया, विध्वंसित किया गया तथा पुनः बसाया गया| इसका प्रमुख कारण यह था कि भारतीय उप-महाद्वीप पर सफलतापूर्वक आक्रमण करने वाले बाह्य आक्रमणकारी राजधानी दिल्ली को लूटते थे और जो लोग जीतने या साम्राज्य स्थापित करने के लिए आते थे, वे इस नगर की रणनीतिक स्थिति से इतना प्रभावित होते थे कि इसे अपनी राजधानी बना लेते थे और अपने तरीके से इसका पुनर्निर्माण करवाते थे|
प्राचीन साहित्य में दिल्ली के इतिहास का सन्दर्भ मिथकों और किवदंतियों पर आधारित है| हिन्दू महाकाव्य महाभारत के अनुसार, इन्द्रप्रस्थ (भगवान इन्द्र का नगर) नामक नगर पांडवों की राजधानी थी| ऐसा दृढ विश्वास है कि “दिल्ली का पुराना किला” प्राचीन इन्द्रप्रस्थ के स्थल पर बना हुआ है| इस स्थल की खुदाई से उत्तरी काले पॉलिशदार मृदभांड और चित्रित धूसर मृदभांड के टुकड़े प्राप्त हुए हैं जिससे 1,000 ईसा पूर्व पुरानी बस्तियों के संकेत मिलते हैं| ऐतिहासिक अभिलेखों के द्वारा दिल्ली में अभी तक सात नगरों की पहचान की गई है| इस लेख में दिल्ली के सात नगरों का विवरण दिया जा रहा है जो विभिन्न परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए काफी उपयोगी है|
दिल्ली के सात नगर
1. किला राय पिथौरा या लालकोट
2. सिरी
3. तुगलकाबाद
4. जहांपनाह
5. फिरोजाबाद
6. शेरगढ़ या दिल्ली शेरशाही
7. शाहजहांनाबाद
सातों शहरों का विस्तृत विवरण
1. किला राय पिथौरा या लालकोट
10वीं शताब्दी में स्थापित दिल्ली के पहले नगर लालकोट की स्थापना पृथ्वीराज चौहान ने की थी जिसे राय पिथौरा के रूप में भी जाना जाता था| प्रारंभ में दिल्ली का शासन तोमर राजपूतों के हाथों में था लेकिन पृथ्वीराज चौहान के पूर्वजों ने तोमरों से दिल्ली का शासन छीन लिया था| संभवतः तोमर शासक अनंगपाल ने दिल्ली के पहले नियमित किले “लालकोट” का निर्माण करवाया था, जिस पर पृथ्वीराज चौहान ने अधिकार कर लिया और उसने “किला राय पिथौरा” तक इसका विस्तार किया| हालांकि पृथ्वीराज चौहान ने दिल्ली से शासन नहीं किया| उसके राज्य की राजधानी अजमेर में स्थित थी| किला राय पिथौरा के खण्डहर कुतुबमीनार के पास स्थित हैं|
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2. सिरी
खिलजी वंश के विभिन्न शासकों में, अलाउद्दीन खिलजी सबसे योग्य और शक्तिशाली शासक था| उसने 14वीं शताब्दी के आरंभ में दिल्ली के दूसरे नगर “सिरी” का निर्माण करवाया था| इस नगर में निर्मित वास्तुकला पर सल्जुक शैली का प्रभाव था| यह शैली पश्चिम एशिया के मंगोलों से जूझ रहे सल्जुकी राजवंश से दिल्ली दरबार में शरण लेने वाले लोगों के साथ आई और इसने दिल्ली की वास्तुकला में योगदान दिया| वर्तमान समय में मोटे जलाशयों वाले भाग और जलाशय, जिसे हौज खास कहा जाता है, सिरी के किले का प्रतिनिधित्व करते हैं|
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दिल्ली का लाल किला मुगल साम्राज्य का गौरव
3. तुगलकाबाद
गयासुद्दीन तुगलक ने 14वीं शताब्दी के तीसरे दशक में राजसी और भव्य तुगलकाबाद की स्थापना की थी जो दिल्ली का तीसरा नगर था| उसने यहां एक किला बनवाया था जिसके अवशेष आज भी दिखाई देते हैं|
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4. जहांपनाह
गयासुद्दीन तुगलक के बेटे मोहम्मद-बिन-तुगलक ने 14वीं शताब्दी के चौथे दशक में जहांपनाह नामक नगर की स्थापना की थी| जहांपनाह, किला राय पिथौरा और सिरी के बीच में दीवार का अहाता है| इसे दिल्ली का चौथा नगर कहा जाता है|
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5. फिरोजाबाद
मोहम्मद-बिन-तुगलक के भतीजे फिरोज शाह तुगलक ने फिरोजाबाद या फिरोज शाह कोटला नामक दिल्ली के 5वें नगर का निर्माण करवाया था| इसे यमुना नदी के किनारे 14वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में बनवाया गया था| यह नगर महलों, स्तम्भों वाले हॉल, मस्जिदों, पिजन टावर (कबूतर मीनार) और पानी की टंकियों से सुसज्जित था| इसके अलावा इस नगर में सीढ़ीदार कुआं और आखेट गृह का भी निर्माण करवाया गया था|
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6. शेरगढ़
वर्तमान पुराने किले का निर्माण शेरशाह द्वारा 1540 ईस्वी में करवाया गया था| इस स्थान पर हुमायूं ने दीनपनाह नामक नगर का निर्माण करवाया था| शेरशाह ने इस नगर को नष्ट कर इसका नया नाम दिल्ली शेरशाही या शेरगढ़ रखा| वर्तमान समय में इस नगर के खण्डहर पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केन्द्र हैं| इसे दिल्ली का छठा नगर कहा जाता है|
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7. शाहजहांनाबाद
मुग़ल बादशाह शाहजहां ने अपनी राजधानी का स्थानांतरण आगरा से दिल्ली करने के लिए दिल्ली में एक किले औए नए नगर का निर्माण करवाया और उसका नाम शाहजहांनाबाद रखा| वर्ष 1642 में नवरोज के दिन शाहजहांनाबाद का उद्घाटन किया गया था| शाहजहांनाबाद का क्षेत्र अब पुरानी दिल्ली के रूप में जाना जाता है, जहां लालकिला, जमा मस्जिद जैसे भव्य स्मारक विद्यमान हैं|
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दिल्ली का वर्तमान स्वरूप तोमरों से लेकर मुगल और ब्रिटिश तक कई परिवर्तनों से गुजरा है| दिल्ली को सुनियोजित प्रशासनिक राजधानी बनाने में एडविन लुटियन और एडवर्ड बेकर का योगदान उल्लेखनीय है|
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