15 अगस्त 1947 को भारत को ब्रिटिश उपनिवेशवाद से स्वतंत्रता प्राप्त हुई थी और इस दिन से सभी भारतवासी अपने देश के, अपने विधान के स्वयं मालिक बन गए थे। लेकिन भारत में कुछ ऐसे ज़िले भी मौजूद हैं जो 15 अगस्त 1947 की इबारती तारीख़ से पहले ही आज़ाद हो गए थे। आइए इस लेख के माध्यम से उन ज़िलों के बारे में जानते हैं।
1- तीन दिनों तक आज़ाद रहा था उत्तर प्रदेश का बलिया ज़िला
बलिया स्टेशन से 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हनुमानगंज इलाका उन ऐतिहासिक जगहों में से एक है जहां पर 24 घंटों के लिए तिरंगा शान से लहराया गया था और स्वतंत्र भारत की पहली किरण दिखी थी।
8 अगस्त 1942 को, आज़ादी मिलने से पांच वर्ष पूर्व, देशभर में भारत छोड़ो का नारा गूंज रहा था और अंग्रेज़ों द्वारा गांधी-नेहरू समेत कई क्रांतिकारी नेताओं की गिरफ़्तारी की जा रही थी। इन गिरफ़्तारियों के विरोध में बलिया भी उठा और विश्वभर में बाग़ी बलिया नाम से प्रसिद्ध हो गया। बलिया को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने वाले व्यक्ति का नाम चित्तू पांडेय था।
आपको जानकर हैरानी होगी कि 19 अगस्त 1942 को बलिया आज़ाद हो गया था, लेकिन 22 अगस्त 1942 को अंग्रेजों ने इस पर वापस फिर से कब्ज़ा कर लिया था।
2- साल भर तक आज़ाद रहा था उत्तर प्रदेश का सुल्तानपुर ज़िला
बलिया के साथ-साथ उत्तर प्रदेश का सुल्तानपुर ज़िला भी उस बाग़ी सूची में शामिल है जो एक-दो नहीं बल्कि तकरीबन 365 दिनों तक आज़ाद रहा था। बात है सन् 1857 की जब यूपी के इस ज़िले ने यूनियन जैक को उतारकर भारतीय तिरंगा फहराया गया था।
बता दें कि सन् 1857 में जब मंगल पांडेय ने मेरठ में आज़ादी का बिगुल बजाया तो सुल्तानपुर भी उनके साथ खड़ा हो गया। मई-जून के महीने में सुल्तानपुर वासियों ने ब्रितानी फौज के मुखिया कर्नल फिश, अफसर दयम, कैप्टन गिविंग्स समेत कई अंग्रेजों को सिपाहियों ने मौत के घाट उतारकर कर ज़िले को आज़ाद करा दिया था।
आज़ाद सुल्तानपुर का सेहरा अवध के नाज़िम मेंहदी हसन के सिर बंधा था और तकरीबन साल भर बाद ब्रितानी हुकुमत ने इस पर वापस कब्ज़ा कर लिया था।
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3- बिहार का आरा ज़िला
उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पड़ोसी राज्य बिहार में भी बग़ावत की आग तेज़ी से फैल गई थी। आरा के महाराजा वीर कुंवर सिंह ने 80 बरस की उमर में अपने सेनापति मैकु सिंह के साथ आज़ादी की इस लड़ाई का नेतृत्व किया था।
27 अप्रैल 1857 को उन्होंने दानापुर के सिपाहियों एवं अन्य साथियों के साथ आरा पर जगदीशपुर रियासत का झंडा फहरा दिया था। आरा पर कब्ज़ा होते ही ब्रितानी हुकुमत ने जगदीशपुर पर धावा बोल दिया था और वापस से कब्ज़ा जमा लिया था। इतिहासकारों की मानें तो वीर कुंवर सिंह की बांह में जब अंग्रेजों की गोली लग गई थी तो उन्होंने तुरंत अपनी बांह काटकर गंगा में बहा दी थी।
4- 73 दिनों तक आज़ाद रहा था हरियाणा का हिसार ज़िला
29 मई 1857 को हरियाणा के हिसार ज़िले में क्रांतिकारियों ने डिप्टी कलेक्टर विलियम वेडरबर्न समेत कई अंग्रेजों की हत्या कर नागोरी गेट पर आज़ादी की पताका लहराई थी।
आपको बता दें कि मोहम्मद आज़िम के नेतृत्व में दिल्ली की तरफ से काली वर्दी में घुड़सवारों का एक दस्ता दाखिल हुआ था, जिसने पहले पुरानी कचहरी में मौजूद खज़ाने को लूटा और बाद में डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर वेडरबर्न और उनके परिवार के सदस्यों की हत्या कर दी थी।
अंग्रेज़ों ने दमन की नीति अपनाते हुए 600 क्रांतिकारियों की हत्या कर दी थी और बग़ावत के आरोप में सात कर्मचारियों को सूली पर चढ़ा दिया था।
आज भले ही हम आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहे हों, लेकिन हमें उन लोगों के बलिदानों और अथक प्रयासों को नहीं भूलना चाहिए जिनकी वजह से हम आज़ाद हवा में सांस ले पा रहे हैं।
15 अगस्त को भारत के लिए स्वतंत्रता दिवस के रूप में क्यों चुना गया?
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