भारत को मंदिरों का घर कहा जा सकता है, यहां हर गली-मुहल्ले में छोटे-बड़े मंदिर देखने को मिलते हैं. लोग मंदिरों मे जाकर पूजा करते है और अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार भेट चढ़ाते है. सबसे ज्यादा ख़ुशी तब होती है जब प्रसाद लेने की बारी आती हैं. हर मंदिर में प्रसाद के रूप में नारियल, चरणामृत एवं मिठाई मिलती है. पर क्या आपने किसी ऐसे मंदिर के बारे में सुना है या देखा है जहाँ प्रसाद में सोने के आभूषण या फिर नकद रूपये मिलते हैं. इस मंदिर में साल भर भीड़ लगी रहती है.
भारत का ऐसा मंदिर जहाँ प्रसाद में सोने के आभूषण और नकद रूपये मिलते हैं.
भारत के मध्यप्रदेश के रतलाम में एक सुप्रसिद्ध महालक्ष्मी का मंदिर है जहाँ पूरे साल बहुत भीड़ लगी रहती है और दर्शन करने के लिए काफी लंबी लाइने लगती हैं. यहां पर भक्त करोड़ों रुपयें और जेवर चढ़ाते है. खासतौर पर धनतेरस से लेकर दीपावली के दिनों में दर्शन करने आये भक्त जेवर और नोटों की माला माता के दरबार में चढ़ाते है. पूरा मंदिर जेवरों और नोटों की माला से सज़ा होता हैं. परन्तु साल के कुछ महत्वपूर्ण दिनों में यहां पर कुबेर का दरबार लगता है.
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इस मंदिर में पैसे और जेवर चढ़ाने की परम्परा काफी पुरानी है और सैकड़ों सालों से चली आ रही है. सबसे अनोखी और किसी अन्य मंदिर से जो बात इस मंदिर को अलग करती है वो यह है कि जो भी भक्त दीपावली पर इस मंदिर में आता है वो खाली हाथ नहीं जाता है. दीपावली में जो भी जेवर या रूपये प्रसाद रूप में चढ़ते है उनको सारे भक्तों में बाट दिया जाता है. इसलिए दीपावली के बाद यहां कटारे लगती हैं और दूर-दूर से लोग दर्शन और प्रसाद ग्रहण करने आते है. यहां जो भी गहने प्रसाद के रूप में मिलते हैं लोग उन्हें शुभ मानते है और उनको खर्च नहीं करते हैं बल्कि अपनी तिजोरी या जहां वो पैसा रखते है वहां संभाल कर रख देते है . ऐसा माना जाता है कि संभाल कर पैसे की जगह रखने से धन की कमी नहीं होती है.
एक और दिलचस्प बात इस मंदिर के बारे में यह है कि जो भी भेटें माता के दरबार में गहनों अथवा नोटों की चढ़ती है उनको रजिस्टर में भक्त के नाम के साथ नोट किया जाता है. फिर दीपावली के दिन रिकॉर्ड को देखकर भक्तों को उनकी भेंट प्रसाद के रूप में दे दी जाती है. मंदिर परिसर में जगह-जगह पर CCTV कैमरे लगे हुए है. ऐसी मान्यता है कि यहां पर जो भी भक्त आता है और दर्शन करता है उनपर माता लक्ष्मी की कृपा सदेव बनी रहती है, इसलिए यहां पर जेवर और रूपये प्रसाद के रूप में चढ़ते रहते हैं.
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