भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और लोकतंत्र का सबसे बड़ा मंदिर संसद भवन को कहा जाता है। संसद भवन में लोकसभा स्पीकर का पद होता है, जो कि महत्त्वपूर्ण पदों में से एक है। इस पद पर हम बीते कुछ दिनों से लगातार घमासान देख रहे हैं। इस कड़ी में क्या आप जानते हैं कि भारत में लोकसभा स्पीकर के क्या कार्य व शक्तियां होती हैं। यदि आप नहीं जानते हैं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
लोकसभा अध्यक्ष का परिचय
लोकसभा अध्यक्ष सदन का संवैधानिक और औपचारिक प्रमुख होता है। संसदीय गतिविधियां और कार्यप्रणाली में अध्यक्ष को लोकसभा के महासचिव और सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सहायता प्रदान की जाती है। यदि सदन में लोकसभा स्पीकर मौजूद नहीं है, तो सदन की अध्यक्षता उपाध्यक्ष करता है। वहीं, यदि ये दोनों ही उपस्थित नहीं हैं, तो सभापति पैनल का कोई सदस्य सदन की अध्यक्षता करता है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होने पर पैनल का कोई सदस्य सदन की अध्यक्षता नहीं कर सकता है।
स्पीकर के कार्य व शक्तियां
सदन की कार्यवाही की अध्यक्षता करना:
लोकसभा अध्यक्ष का काम निचले सदन के सत्रों की देखरेख करने के साथ सदस्यों के बीच अनुशासन और मर्यादा सुनिश्चित करना होता है।
-लोकसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी होती है कि वह संसदीय बैठकों के लिए एजेंडा तय करे। इसके साथ ही स्पीकर के पास स्थगन, अविश्वास और निंदा प्रस्ताव जैसे प्रस्तावों को अनुमति देने का भी अधिकार होता है।
कोरम लागू करना और अनुशासनात्मक कार्रवाई
-यदि सदन में कोरम पूरा नहीं है, तो लोकसभा अध्यक्ष जरूरी उपस्थिति पूरी होने तक बैठक स्थगित कर देगा।
-सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि लोकसभा अध्यक्ष संविधान की 10वीं अनुसूची के तहत अनियंत्रित व्यवहार को दंडित करने करने के साथ ही दलबदल के आधार पर सदस्यों को अयोग्य ठहराने का भी अधिकार है। यही वजह है कि इस पद को लेकर घमासान मचा हुआ है, क्योंकि इस बार गठबंधन सरकार है और गठबंधन सरकार में पाला बदलने पर सत्ता का परिवर्तन होने का अंदेशा रहता है।
-लोकसभा अध्यक्ष द्वारा ही सदन में समितियों का गठन किया जाता है, जो कि अध्यक्ष के नेतृत्व में काम करती हैं। इन समितियों के अध्यक्षों को लोकसभा अध्यक्षों द्वारा नियुक्त किया जाता है।
-लोकसभा अध्यक्ष सदन की समितियों और उसे सदस्यों के विशेषाधिकार का संरक्षक होता है।
-लोकसभा अध्यक्ष सदन के नेता के अनुरोध पर गुप्त बैठक की अनुमति दे सकता है। इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष की अनुमति के बिना कोई भी व्यक्ति सदन में मौजूद नहीं होता है।
-लोकसभा अध्यक्ष विदेश में प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व करता है। साथ ही अंतर-संसदीय संबंधों को सुगम बनाता है।
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