भारत में 18वीं लोकसभा का पहला सत्र सोमवार से शुरू हो गया है। सत्र के पहले दिन कुछ नवनिर्वाचित सांसदों को लोकसभा सदस्यों के रूप में शपथ दिलाई गई है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत अन्य सांसदों ने सदस्य के रूप में शपथ ली है।
इस बार लोकसभा सत्र का नजारा पहले से अलग है। क्योंकि, इस बार विपक्ष पहले से अधिक मजबूत है। यही वजह है कि सत्ता के गलियारे में इस बार चर्चाओं का जोर कहीं अधिक गर्म है। हालांकि, इन सभी सियासी सरगर्मी के बीच क्या आप जानते हैं कि लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने के लिए सदन का क्या नियम है। यदि नहीं जानते हैं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
कब खत्म हुआ पुराना लोकसभा सत्र
भारत में 17वीं लोकसभा सत्र 16 जून को खत्म हो गया था। हालांकि, इससे पहले ही निर्वाचन आयोग की ओर से नतीजे जारी कर दिए गए थे। इसके बाद से नए लोकसभा सत्र की शुरुआत मानी जाती है। सोमवार से शुरू हुआ लोकसभा सत्र पहला सत्र है, जो कि 3 जुलाई तक चलेगा। इस बीच 27 जून को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दोनों सदन को संबोधित करेंगी।
किस सांसद ने सबसे पहली ली शपथ
संसद के लोकसभा सदन में सबसे पहले शपथ लेने वाले व्यक्ति भृतहरी मेहताब थे, जिन्होंने प्रोटेम स्पीकर पद के रूप में शपथ ली थी। वहीं, सोमवार को सबसे पहले शपथ लेने वाले सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं, जिन्होंने लोकसभा सदस्य के रूप में तीसरी बार शपथ ली है।
कितने सांसदों ने ली शपथ
लोकसभा सदन में शुरुआती दो दिनों तक सांसदों को लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ दिलाने का कार्यक्रम तय किया गया है। पहले दिन 280 सांसदों व अन्य सांसदों को मंगलवार को शपथ दिलाने का कार्यक्रम है।
लोकसभा में शपथ दिलाने का क्या है नियम
अब हम यह जान लेते हैं कि लोकसभा सदन में सदन के सदस्य के रूप में शपथ दिलाने का नियम क्या है ? तो आपको बता दें कि सदन के सदस्य के रूप में शपथ दिलाने के लिए नाम के आधार पर राज्यानुसार शपथ दिलाई जाती है।
उदाहरण के तौर पर, यदि किसी राज्य का नाम ‘अ’ से शुरू होता है, तो उस राज्य के सांसद को सबसे पहले शपथ दिलाई जाती है। वहीं, यदि किसी राज्य का नाम अंतिम वर्ण से शुरू होता है, तो उक्त राज्य के सांसद को सबसे आखिर में शपथ दिलाई जाती है। हालांकि, कुछ मामलों में अपवाद भी देखा जाता है।
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