हमारे देश को आजादी बहुत ही लंबे संघर्ष के बाद मिली है। इस लंबे संघर्ष में कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपनी और अपने परिवार की चिंता किए बिना अपना सब कुछ दाव पर लगा दिया था, जिससे भारत के लोग आजादी की सुबह देख सके। उन क्रांतीवीरों में से एक हैं वीर सावरकर, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर भाग लिया था। वीर सावरकर एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, वकील, लेखक, समाज सुधारक और हिंदुत्व के कट्टर समर्थक थे।
वीर सावरकर के बारे में तथ्य
-वीर सावरकर ने अपनी किशोरावस्था में ही एक युवा संगठन 'मित्र मेला' का गठन किया था। संगठन का उद्देश्य राष्ट्रीय और क्रांतिकारी विचारों को लाना था।
-7 अक्टूबर 1905 को दशहरे के दिन उन्होंने सभी विदेशी वस्तुओं को होलिका में जला दिया, क्योंकि वे विदेशी वस्तुओं के खिलाफ थे और 'स्वदेशी' के विचार का प्रचार करते थे।
- उन्होंने नास्तिकता और तर्कसंगतता का समर्थन किया। उन्होंने रूढ़िवादी हिंदू विश्वास को अस्वीकार कर दिया और गाय की पूजा को अंधविश्वास करार दिया।
- 1909 में उन्हें मोर्ले-मिंटो सुधार (भारतीय परिषद अधिनियम 1909) के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह की साजिश रचने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने भागने की कोशिश की, लेकिन उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 1911 में उन्हें अंडमान की सेलुलर जेल, काला पानी, में 50 वर्ष की सजा सुनाई गई।
-कई दया याचिकाओं के बाद उन्हें 1924 में 5 साल तक राजनीति में भाग नहीं लेने की शर्तों के साथ रिहा कर दिया गया और रत्नागिरी छोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
- उन्होंने रत्नागिरी में अस्पृश्यता उन्मूलन पर काम किया।
- अपनी पुस्तक हिंदुत्व में उन्होंने द्वि-राष्ट्र सिद्धांत की वकालत की - हिंदुओं और मुसलमानों के लिए अलग-अलग राष्ट्र। हिंदू महासभा ने 1937 में द्वि-राष्ट्र सिद्धांत को एक प्रस्ताव के रूप में पारित किया।
-ब्रिटिश सरकार ने सावरकर की आठ कृतियों पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिनमें मैज़िनी (मराठी में उनकी जीवनी), 1857 का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम, नाटक उषाप, श्रद्धानंद (उनके भाई की एक पत्रिका) शामिल हैं।
-1942 में सावरकर ने कांग्रेस द्वारा शुरू किये गए भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया। महात्मा गांधी के मुखर आलोचक होने के कारण उन्होंने गांधीजी के भारत छोड़ो आंदोलन के खिलाफ हिंदू महासभा को संगठित किया। इसके द्वारा वह ब्रिटिश शासन का विश्वास प्राप्त करना चाहते थे तथा हिन्दू प्रांतों का सैन्यीकरण करना चाहते थे।
-1948 में उन पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या में सह-षड्यंत्रकारी के रूप में आरोप लगाया गया था, लेकिन बाद में सुबूतों के अभाव में अदालत ने उन्हें बरी कर दिया था।
-1964 में सावरकर ने स्वतंत्र भारत का लक्ष्य पूरा होने पर समाधि लेने की इच्छा व्यक्त की। 1 फरवरी 1966 को उन्होंने भूख हड़ताल शुरू की और 26 फरवरी 1966 को उनका निधन हो गया।
-2002 में पोर्ट ब्लेयर हवाई अड्डे का नाम उनके नाम पर वीर सावरकर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा रखा गया।
वीर सावरकर के बारे में
विनायक दामोदर सावरकर, जिन्हें वीर सावरकर के नाम से जाना जाता है, का जन्म 28 मई 1883 को महाराष्ट्र के भगूर में एक मराठी परिवार में दामोदरपंत सावरकर और राधाबाई के घर हुआ था। वह एक स्वतंत्रता सेनानी, राजनीतिज्ञ, वकील, लेखक, समाज सुधारक और हिंदुत्व के कट्टर समर्थक थे।
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