Gandhi Jayanti 2020: जानें महात्मा गांधी के बारे में और उन्हें खाने में क्या पसंद था

Gandhi Jayanti 2020: महात्मा गांधी मानव जाती हम सब के लिए एक मिसाल हैं. भारत को आजादी दिलाने में उनका काफी बड़ा योगदान है. वे इन आंदोलनों में कई बार बिना खाए रहे. महात्मा गांधी जयंती पर आइये इस लेक के माध्यम से उनके और उन्हें खाने में क्या पसंद था के बारे में अध्ययन करते हैं.
Mahatma Gandhi
Mahatma Gandhi

Gandhi Jayanti 2020: महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था और उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभाई. वे आंदोलन के राजनैतिक नेता थे जिन्होंने हमेशा सत्याग्रह और अहिंसा के सिद्धान्तो पर चलकर भारत को आजादी दिलाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्हें भारत का राष्ट्रपिता भी कहा जाता है. 

जैसा कि हम जानते हैं कि वह शाकाहारी थे और उनके जीवन में उनकी मां का प्रभाव दीखता था. उन्होंने अपना जीवन सादगी से जिया, सादा जीवन और अनमोल विचार. 

पूरा भारत महात्मा गांधी को प्यार से बापू कहकर पुकारता है. उनका जन्म 2 अक्टूबर को पोरबंदर में हुआ था. उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था जो कि राजकोट के दीवान थे. उनकी माता का नाम पुतलीबाई था. वह धार्मिक विचारों वाली महिला थीं. उन्होंने वकालत की शिक्षा इंग्लैंड में ली थी और वहां से लौटने के बाद उन्होंने बंबई में वकालत शुरू की थी. वे सत्य और अहिंसा के पुजारी थे. 

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वे खाने में अधिकतर हरी पत्तेदार सब्जियों को प्राथमिकता देते थे. आइये जानते हैं बापू को आखिर खाने में क्या पसंद था या वे क्या खाना पसंद करते थे.

लौकी या कद्दू: बापू जी लौकी के सीजन मे इसका उपयोग अपने खाने में किया करते थे और ऐसा कहा जाता है कि वे लौकी का सेवन उबालकर करते थे. 

पेड़ा: छोटे और मुलायम मावे के पड़े गुजरात में काफी मशहूर हैं. बापू जी को पेड़े काफी पसंद थे. मीठे में वे इसे खाना पसद किया करते थे. 
हलाकि वे मीठे के काफी शौक़ीन थे जलेबी और हलवा भी उन्हें पसंद था लेकिन बाद में उन्होंने मीठा खाना भी कम कर दिया था.

चाय और कॉफी: उन्होंने एक समय में चाय और कॉफी का भी त्याग कर दिया था.

दही और छाछ: बापू जी को अपने आहार में अक्सर दही या छाछ लेना पसंद था. उन्होंने अपनी एक पुस्तक में Diet and Diet Reform के चैप्टर “फूड फैडिस्ट्स” (Food Faddists) में अपने भोजन के बारे में बताया है. उन्होंने लिखा कि वह 

8 तोला अंकुरित गेहूं
मीठे बादाम के 8 तोले का पेस्ट (पतला किया हुआ)
हरे पत्ते के 8 तोले
6 खट्टे नींबू
दो चम्मस शहद

अंकुरित चने की समान मात्रा से सप्ताह में दो या तीन बार गेहूं को बदल दिया जाता था.  और जब वे चने को गेहूं के स्थान पर लेते थे तो नारियल का दूध बादाम के पेस्ट की जगह लेते थे. वे भोजन को दो भागों में खाते थे. पहला भोजन सुबह 11 बजे और दूसरा 6.15 बजे लिया करते थे. इसमें आग पर चढ़ी हुई एकमात्र चीज पानी है. साथ ही वह  सुबह में और दिन में एक बार पानी, नींबू और शहद उबालकर पीते थे.

ऐसा भी बताया जाता है कि बापू जी अपने खाने में उबला हुआ चुकंदर और बैंगन भी इस्तेमाल करते थे. 

एक समय में उन्होंने दाल और चावल को भी अपनी डाइट का हिस्सा बनाया था. बादाम का दूध पीना भी बापू जी को पसंद था. रोटी भी उनकी डाइट का हिस्सा रही है. फल में उनकों आम खाना भी काफी पसंद था. 

यहीं आपको बता दें कि बापू जी का मानना था कि लोगों को क्या खाना है और क्या नहीं ये उनकी इच्छा पर छोड़ देना चाहिए इसलिए उनका कहना थे कि 'सभी को खाने पर अपना प्रयोग करने दें और उनको तय करने दें कि उन्हें क्या खाना है'. बापू जी शुद्ध और सात्विक भोजन को अच्छा मानते थे और बिना तेल नमक की उबली हुई सब्जियां लिया करते थे. 

"व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित एक प्राणी है, वह जो सोचता है वही बन जाता है" - महात्मा गांधी

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