लोक आस्था का महापर्व यानि कि छठपूजा हर साल बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह बिहार के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों और विदेशों में भी मनाया जाने लगा है। हालांकि, बिहार में यह सिर्फ पर्व तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे महापर्व के रूप में जाना जाता है।
क्योंकि, इस पर्व का पूरे वर्ष इंतजार किया जाता है। ऐसे में इस महापर्व पर पूरे बिहार की छटां अलग ही बनती है। लोग बहुत ही आस्था और विश्वास के साथ इस पर्व में शामिल होते हैं और महिलाएं व्रत करती हैं। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि बिहार के किस जिले से छठ पूजा का इतिहास जुड़ा हुआ है, यदि नहीं जानते हैं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
क्या है छठ पूजा
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि छठ पूजा क्या है, तो आपको बता दें कि यह एक हिंदू पर्व है, जो कि कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी को मनाया जाता है। छठ पूजा पर भगवान सूर्य और छठी माता की पूजा की जाती है। व्रत को लेकर मान्यता है कि इस व्रत को रखने से सूर्य देवता की कृपा मिलती है।
साथ ही संतान से जुड़ी सभी समस्याएं दूर होती हैं। इस साल छठ पूजा की शुरुआत 5 नवंबर 2024 से हो गई ही है। पहले दिन यह व्रत नहाय खाय के साथ शुरू होता होता है। इसके बाद दूसरा दिन खरना होता है, जिसमें गुड़ और चावल की खीर तैयार की जाती है।
तीसरे दिन शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। वहीं, चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। छठ पूजा के दौरान महिलाएं 36 घंटे निर्जला उपवास रखती हैं।
इस जिले से हुई थी छठ महापर्व की शुरुआत
बिहार में कुल 38 जिले हैं, जिसमें से एक जिला मुंगेर जिला है। इस जिले से ही छठ महापर्व की शुरुआत हुई थी।
क्या है छठ महापर्व का इतिहास
छठ महापर्व के इतिहास की बात करें, तो पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, माता सीता जब श्रीराम के साथ वनवास पर थीं, तब उन्होंने पहली बार मुंगेर के तट पर ही छठ पूजन किया था। इसके बाद से छठ पूजन की शुरुआत हुई थी। ऐसे में पूरे बिहार में यह पर्व नहीं, बल्कि महापर्व है, जिसके लिए हर साल लाखों श्रद्धालु बिहार के तटों पर जुटते हैं।
Comments
All Comments (0)
Join the conversation