कौन हैं Rooh Afza शरबत के संस्थापक हकीम हाफिज अब्दुल और कैसे शुरू हुई थी कंपनी, जानें

चिलचिलाती गर्मी में खुद को तरोताजा करने के लिए हम अक्सर रूह-अफजा पीते हैं। इस लेख के माध्यम से हम आपको रूह-अफजा के संस्थापक हकीम हाफिज अब्दुल के बारे में बताएंगे। साथ ही किस तरह यह कंपनी शुरू हुई थी, इसे लेकर भी जानकारी देंगे। 

May 16, 2023, 19:14 IST
रूह अफजा की कहानी
रूह अफजा की कहानी

गर्मियों को मौसम में चिलचिलाती धूप में सूखते गले को राहत देने के लिए हम अक्सर रूह-अफजा पीते हैं। लाल रंग की यह ड्रिंक हमें गर्मी और उमस के मौसम में तरोताजा महसूस कराती है। यही वजह है कि इस मौसम में घर में आने वाले महमानों को दी जाने वाली चाय की जगह भी यह ड्रिंक ले लेती है। बीते कई वर्षों से यह लोगों के घर में प्रमुख ड्रिंक के तौर पर जगह बनाए हुए है। हालांकि, क्या आपको पता है कि इसके संस्थापक हकीम हाफिज अब्दुल कौन थे और किस तरह उन्होंने इस कंपनी की शुरूआत की थी। इस लेख के माध्यम से हम इन्हीं सभी सवालों के बारे में जानेंगे। 

 

कौन थे हकीम हाफिज अब्दुल हामिद

हकीम हाफिज अब्दुल हामिद का जन्म 1883 में हुआ था। उन्होंने उर्दू और पारसी भाषाओं में अपनी शिक्षा हासिल की थी। वहीं, उन्होंने यूनानी मेडिसिन में उच्च डिग्री भी प्राप्त की थी।

 

इस तरह हुई रूह अफजा की शुरुआत

साल 1906 में हाफिज ने हौज काजी इलाके में एक हर्बल की दुकान खोलने की सोची। साल 1920 तक उनकी दुकान एक प्रोडक्शन हाउस के तौर पर बदल चुकी थी। उन्होंने कुछ औषधि और पारंपरिक यूनानी सिरप की मदद से एक घोल तैयार किया, जिसे रूह-अफजा नाम दिया गया। उर्दू भाषा में इसका अर्थ रूह को तरोताजा करने वाला होता है। 

 

इस तरह तैयार हुआ था बोतल का लेबल

रूह-अफजा का लेबल साल 1910 में एक कलाकार मिर्जा नूर अहमद ने तैयार किया था। उन्होंने उस समय इसे मुंबई स्थित बॉल्टन प्रेस में विशेष रूप से व्यवस्था कर छापा था, क्योंकि उस समय कलर प्रिंटिंग की व्यवस्था नहीं थी। 

 

भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय की कहानी

साल 1947 में जब भारत में से पाकिस्तान का विभाजन हुआ, तब हाफिज के बड़े बेटे ने हिंदुस्तान में रहने का फैसला किया, लेकिन उनके छोटे भाई मो. सईद ने पाकिस्तान जाने का निर्णय लिया। इसके बाद उन्होंने कराची में दो कमरे से हमदर्द कंपनी शुरू की। फाइनेंसियल एक्स्प्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हाफिज की बेटी सादिया राशिद के मुताबिक, साल 1971 में बांग्लादेश को मिली आजादी के बाद उनके पिता ने यह बिजनेस वहां के लोगों को गिफ्ट कर दिया था। 

 

2019 में औषधी की हो गई थी कमी

कुछ समय बाद रूह-अफजा ने भारत में भी पॉपुलेरिटी कमाई। इसकी बोतलों को जर्मनी में डिजाइन किया गया, जिसके बाद इसे कांच की बोतल में भारत में लाया गया। वहीं, कुछ समय बाद कांच की बोतलों की जगह प्लास्टिक की बोतलों ने ली। वहीं, साल 2019 में ऐसा भी समय आया, जब कंपनी के पास इस ड्रिंक को बनाने के लिए औषधी की कमी पड़ गई थी। 

Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

A seasoned journalist with over 7 years of extensive experience across both print and digital media, skilled in crafting engaging and informative multimedia content for diverse audiences. His expertise lies in transforming complex ideas into clear, compelling narratives that resonate with readers across various platforms. At Jagran Josh, Kishan works as a Senior Content Writer (Multimedia Producer) in the GK section. He can be reached at Kishan.kumar@jagrannewmedia.com
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