भारत में सड़क पर चलने वाले सभी वाहनों का पंजीकरण या लाइसेंस नम्बर होना अनिवार्य है। वाहन पंजीकरण प्लेट संख्या (नंबर प्लेट) संबंधित राज्यों में सड़क मामलों के मुख्य प्राधिकरण जिला स्तरीय क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय (RTO) द्वारा जारी किया जाता है| सभी गाड़ियों में नंबर प्लेट वाहन के आगे और पीछे दोनों जगह लगाया जाता है। वाहन पंजीकरण अधिनियम के अनुसार सभी प्लेट में गाड़ियों का नम्बर लैटिन और आधुनिक अरबी अंकों में लिखे होने चाहिए| इस लेख में हम जानने की कोशिश करते है कि गाड़ियों के नम्बर प्लेट का निर्धारण कैसे किया जाता है?
गाड़ियों के नम्बर प्लेट को निम्नलिखित रूप में प्रदर्शित किया जाता है:
• निजी कार और मोटर चालित दुपहिया वाहनों के नम्बर प्लेट में सफेद पृष्ठभूमि पर काले अक्षरों में नम्बर लिखे होते हैं|
(उदाहरण के लिए- MH-01-AB-1234)
• टैक्सियों, बसों एवं ट्रक जैसे वाणिज्यिक वाहनों के नम्बर प्लेट में पीले रंग की पृष्ठभूमि पर काले अक्षरों में नम्बर लिखे होते हैं|
(उदाहरण के लिए- KA-01-AB-1234)
• स्वयं ड्राइव करके किराए पर उपलब्ध करवाने वाले वाणिज्यिक वाहनों के नम्बर प्लेट में काले रंग की पृष्ठभूमि पर पीले अक्षरों में नम्बर लिखे होते हैं|
(उदाहरण के लिए- AP.03.UB.8192)
• विदेशी दूतावासों से संबंधित वाहनों के नम्बर प्लेट में हल्के नीले रंग की पृष्ठभूमि पर सफेद अक्षरों में नम्बर लिखे होते हैं|
(उदाहरण के लिए- 22 UN 14)
• भारत के राष्ट्रपति और राज्यपाल बिना नम्बर प्लेट वाले सरकारी कारों में यात्रा करते हैं। इन कारों में नम्बर प्लेट के बजाय एक लाल प्लेट पर सुनहरे रंग में भारत का राष्ट्रीय चिन्ह (अशोक स्तंभ) अंकित रहता है|.
जानिए पुलिस FIR से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
गाड़ियों के नम्बर प्लेट के निर्धारण का वर्तमान प्रारूप
गाड़ियों के नम्बर प्लेट में अंकित नम्बर 4 भागों में बंटे होते हैं जिनका विवरण निम्न हैं:
• पहले दो अक्षर उस राज्य या केन्द्रशासित प्रदेश का प्रतिनिधित्व करते है जिसके लिए वाहन पंजीकृत किया गया है।
• अगले दो अंक जिले को प्रदर्शित करते हैं| वाहन पंजीकरण की अधिक संख्या को देखते हुए गाड़ियों के पंजीकरण का अधिकार “आरटीओ कार्यालयों” को दिया गया है|
• तीसरे भाग में एक 4 अंकों की अद्वितीय संख्या (UNIQUE नंबर) अंकित रहता है|
• चौथे भाग में अंडाकार रूप में "IND" लिखा होता है और इसके ऊपर एक होलोग्राम चक्र लगा रहता है।
विशेष प्रारूप:
कुछ राज्यों (जैसे दिल्ली, गुजरात और बिहार) में जिले के कोड के प्रारंभिक संख्या 0 को छोड़ दिया जाता है| इस प्रकार दिल्ली के 2 नंबर वाले जिले में पंजीकृत वाहन में DL 02 के बदले DL 2 लिखा होता है|
इसके अलावा दिल्ली के राज्य पंजीकरण कोड में एक अतिरिक्त कोड है, जो निम्न है:
DL11 CAA 1111
यहां DL दिल्ली का कोड है। इसके अलावा अतिरिक्त C वाहन की श्रेणी को प्रदर्शित करता है| जैसे- दोपहिया वाहनों के लिए S, कारों और एसयूवी के लिए C, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए E (केवल कुछ मामलों में), सार्वजनिक वाहनों जैसे बसों के लिए P, तीन पहिया वाहन जैसे रिक्शा के लिए R, पर्यटन से संबंधित वाहनों और टैक्सियों के लिए T, पिकअप ट्रक और वैन के लिए V और भाड़े के वाहनों के लिए Y आदि| यह प्रणाली अन्य राज्यों में भी लागू है।
राज्यों के लिए कोड:
सभी भारतीय राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों के लिए दो अंकों का कोड निर्धारित किया गया है| ये कोड 1980 ईस्वी से प्रभावी हैं|
विभिन्न राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों के लिए निर्धारित वाहन पंजीकरण कोड
कोड | राज्य या केन्द्रशाशित प्रदेश | कोड | राज्य या केन्द्रशाशित प्रदेश |
AN | अंडमान निकोबार | LD | लक्षद्वीप |
AP | आंध्रप्रदेश | MH | महाराष्ट्र |
AR | अरूणाचल प्रदेश | ML | मेघालय |
AS | असम | MN | मणिपुर |
BR | बिहार | MP | मध्यप्रदेश |
CG | छत्तीसगढ़ | MZ | मिजोरम |
CH | चंडीगढ़ | NL | नागालैंड |
DD | दमन एवं दीव | OD | ओडिशा |
DL | दिल्ली | PB | पंजाब |
DN | दादरा एवं नगर हवेली | PY | पुदुचेरी |
GA | गोवा | RJ | राजस्थान |
GJ | गुजरात | SK | सिक्किम |
HR | हरियाणा | TN | तमिलनाडु |
HP | हिमाचल प्रदेश | TR | त्रिपुरा |
JH | झारखण्ड | TS | तेलंगाना |
JK | जम्मू-कश्मीर | UK | उत्तराखण्ड |
KA | कर्नाटक | UP | उत्तर प्रदेश |
KL | केरल | WB | पश्चिम बंगाल |
इसके अलावा यूनिक नम्बर के लिए वाहन मालिकों को अतिरिक्त राशि देनी पड़ती है|
जानें ड्राइविंग करते समय किस नियम को तोड़ने पर देना पड़ेगा कितना जुर्माना
Comments
All Comments (0)
Join the conversation