किस देश में हुआ था गुगली का आविष्कार, यहां देखें

1900 में बर्नार्ड बोसेंक्वेट द्वारा आविष्कृत गुगली ने क्रिकेट की स्पिन गेंदबाजी में जटिलता जोड़ने का काम किया था। टेबल-टॉप गेम से प्रेरित होकर यह लेग-ब्रेक के विपरीत स्पिन करके बल्लेबाजों को गुमराह करता है। शुरुआत में विवादास्पद रही गुगली अब दुनिया भर के कलाई के स्पिनरों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली एक प्रसिद्ध तकनीक है।

Apr 25, 2025, 19:47 IST
गुगली
गुगली

गुगली, क्रिकेट की एक पेचीदा पिच है, जो लेग-ब्रेक के विपरीत दिशा में मुड़ती है। इसका विकास 1900 के दशक की शुरुआत में एक अंग्रेज क्रिकेटर बर्नार्ड बोसेंक्वेट ने किया था। बोसेंक्वेट के नवाचार ने स्पिन गेंदबाजी में क्रांति ला दी और खेल में जटिलता का एक नया आयाम जोड़ दिया।

उत्पत्ति और विकास

गुगली की प्रेरणा टेबल-टॉप गेम ट्विस्टी-ट्वोस्टी से मिली थी, जिसमें खिलाड़ी अपने विरोधियों को धोखा देने के लिए टेबल पर टेनिस बॉल उछालते थे। इससे प्रेरित होकर उन्होंने एक ऐसी क्रिकेट गेंद का आविष्कार किया, जो अप्रत्याशित तरीके से घूमकर बल्लेबाजों को भ्रमित कर देती थी।

1890 के दशक के अंत में बोसेंक्वेट ने नरम गेंदों का प्रयोग करके इस विचार पर प्रयोग करना शुरू किया, फिर उन्होंने क्रिकेट गेंदों पर प्रयोग करना शुरू किया। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में गुगली का उनका पहला प्रभावी प्रयोग 1900 में लीसेस्टरशायर के खिलाफ मैच में हुआ था। यह गेंद बल्लेबाज को बोल्ड करने से पहले चार बार उछली थी।

प्रारंभ में इसे एक नवीनता माना गया, लेकिन बोसेंक्वेट की गुगली लोकप्रिय हो गई, क्योंकि उन्होंने इसकी तकनीक में निपुणता हासिल कर ली थी। उन्होंने अपनी गेंदबाजी की शैली को छिपाया, जिससे बल्लेबाजों को भ्रम हुआ कि वे लेग-ब्रेक या ऑफ-ब्रेक गेंदबाजी करेंगे। इच्छानुसार, दोनों तरह से गेंदबाजी करने की इस क्षमता ने पारंपरिक स्पिन गेंदबाजी के आदी बल्लेबाजों के लिए समस्याएं खड़ी कर दीं थीं।

क्रिकेट पर प्रभाव

गुगली ने स्पिन गेंदबाजी को एक ऐसी कला में बदल दिया, जिसमें आश्चर्य का तत्व शामिल था। गुगली ने कलाई के स्पिनरों को एक वैध हथियार प्रदान किया, तथा आज के सीमित ओवरों के क्रिकेट में विविधता ही उनका खेल बन गया है।

बोसेंक्वेट के आविष्कार ने न केवल बल्लेबाजों को परेशान किया, बल्कि इसने क्रिकेटरों की आने वाली पीढ़ियों को गेंदबाजी में स्पिन विविधताओं को आजमाने और उसमें निपुणता हासिल करने के लिए प्रेरित किया।

हालांकि, गुगली सफल रही, फिर भी इसके अस्तित्व के प्रारंभिक वर्षों में इसकी आलोचना की गई तथा इस पर प्रश्न उठाए गए। कुछ लोग ऐसे भी थे, जो इसे अनुचित या नैतिकता के विरुद्ध मानते थे, लेकिन बोसेंक्वेट ने इसे सीखने का एक वैध कदम बताया। बाद में, यह क्रिकेट के सबसे प्रशंसित आविष्कारों में से एक बन गया।

बर्नार्ड बोसांक्वेट: नवप्रवर्तक

बोसेंक्वेट ने 1898 से 1919 तक मिडिलसेक्स का प्रतिनिधित्व किया और इंग्लैंड के लिए सात टेस्ट मैचों में हिस्सा लिया। उनकी बल्लेबाजी तो शानदार थी ही, लेकिन उन्हें गुगली के कारण स्पिन गेंदबाजी में उनके योगदान के लिए भी याद किया जाता है। अपने करियर में उन्होंने 235 प्रथम श्रेणी मैचों में 23.80 की औसत से 629 विकेट हासिल किये।

बोसेंक्वेट की गुगली खेलों में रचनात्मकता और नवीनता का प्रमाण है, जो दर्शाती है कि कैसे अपरंपरागत सोच स्थापित मानदंडों को पुनर्परिभाषित कर सकती है। आज, यह दुनिया भर में कलाई के स्पिनरों के लिए एक अपरिहार्य उपकरण है।

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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