जानें भारत के किस स्थान पर दीपावली प्रमुख त्यौहार नहीं है?

Nov 7, 2019, 11:38 IST

दीपावली का त्यौहार सम्पूर्ण देश में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. दीपावली को भगवान राम, उनकी पत्नी सीता और उनके भाई लक्ष्मण के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मानाया जाता है. परन्तु भारत में एक ऐसा भी स्थान है जहां दीपावली प्रमुख त्यौहार नहीं हैं. क्या आप ऐसी जगह के बारे में जानते हैं. आइये इस लेख के माध्यम से जानते हैं.  

Which state in India Diwali is not a major festival
Which state in India Diwali is not a major festival

दीपावली को दिवाली भी कहते हैं. 'दीपावली' का अर्थ होता है - 'दीपों की माला या कड़ी'. यह प्रकाश का त्यौहार है. इसको कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाता है. क्या आप जानते हैं कि इस पावन त्यौहार को पांच दिनों के लिए मनाया जाता है. पहले दिन धनतेरस, दूसरे दिन छोटी दीपावली, तीसरे दिन लक्ष्मी पूजा, चौथे दिन गोवर्धन पूजा और पांचवे दिन भैया दूज. धन और समृद्धि की देवी लक्ष्मी जी के सम्मान में इस त्यौहार को मनाया जाता है.

यह त्यौहार अंधकार पर प्रकाश की विजय है. रोशनी का यह त्योहार कई चीजों का प्रतीक है, जैसे बुराई पर अच्छाई की जीत, निराशा पर आशा आदि. सम्पूर्ण भारत में दीपावली से पहले, लगभग सभी घरों में विभिन्न प्रकार की तैयारियां शुरू हो जाती है, तरह-तरह के अनुष्ठान होते हैं, जो प्रत्येक अपने तरीके से अद्वितीय होते हैं.

दीपावली को भगवान राम, उनकी पत्नी सीता और उनके भाई लक्ष्मण के सम्मान में मनाई जाती है जो 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे. पूरे देश में दीपावली का त्यौहार अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है जैसे कि दीये जलाना, पटाखों को फोड़ना आदि. परन्तु भारत में एक ऐसा भी स्थान है जहां दीपावली प्रमुख त्यौहार नहीं हैं. क्या आप जानते हैं वह स्थान कौन सा है. आखिर क्यों दीपावली यहां पर नहीं मनाई जाती है. आइये इस लेख के माध्यम से जानने की कोशिश करते हैं.

भारत में किस स्थान पर दीपावली प्रमुख त्यौहार नहीं हैं?

दीपावली को शाब्दिक रूप से "रोशनी का त्यौहार" कहा जाता है जो पूरे भारत में बहुत खुशी के साथ मनाया जाता है. हालांकि भारत में एक ऐसा स्थान भी है जहां दीपावली वैसे नहीं मनाई जाती है जैसे कि अन्य क्षेत्रों में मनाई जाती हैं. भारत में केरल ही एकमात्र राज्य है जहां दीपावली एक प्रमुख त्योहार नहीं है. केरल के मूल लोग दीपावली नहीं मनाते हैं. केरल के लोग अपनी संस्कृति से काफी जुड़े हुए हैं और यही कारण है कि वे लोग अपनी प्राचीन परंपराओं और रीति-रिवाजों को आज भी जिन्दा रखने में कामयाब रहे हैं.

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क्यों दीपावली ने केरल में बड़े पैमाने पर लोकप्रियता हासिल नहीं की, जो कि भारत के शेष हिस्सों में की है?

1. ओणम केरल का सबसे बड़ा त्यौहार है जिसे यहां पर उत्तर- भारत के त्यौहार दीपावली की तरह मनाया जाता है. परंपरागत रूप से यह नई फसल के आने की खुशी में दस दिनों तक मनाया जाता है. 800 ईस्वी से केरल में यह त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. इसमें शॉपिंग फेस्टिवल, सामाजिक-सांस्कृतिक उत्सव, खेल, उत्सव, आतिशबाजी आदि शामिल हैं. इसलिए कहा जा सकता है कि जो दीपावली पर समारोह किया जाता हैं, केरल के लोग ओणम के समय में करते है. जब तक दीपावली आती है लोग ओणम के समय हुए खर्च से उबरने में लग जाते है और बाकी लोग क्रिसमस की तैयारियों में लगे हुए होते हैं क्योंकि केरल में इसको भी धूम-धाम से मनाते है.

2. सामाजिक-सांस्कृतिक कारण: केरल की जनसांख्यिकी अद्वितीय है क्योंकि यह आर्य और द्रविड़ संस्कृतियों का मिश्रण है. यह बाहरी / अंतर्राष्ट्रीय संस्कृतियों के एक मेजबान द्वारा व्यापक रूप से प्रभावित हुआ है उदाहरण के लिए, यह छोटा तटीय क्षेत्र सबसे बड़ा ईसाई और भारत की सबसे पुरानी यहूदी आबादी का घर है. अन्य कारकों को जोड़ें तो, केरल की उच्च साक्षरता दर, मानव विकास सूचकांक और कम्युनिस्ट विचारधारा अर्थार्त केरल की जनसांख्यिकी कम सांप्रदायिक और अधिक धर्मनिरपेक्ष है. इसलिए राज्य सरकार भी यहां ओणम त्यौहार को बढ़ावा देती है, जो कि एक भौगोलिक कारण है ना की धार्मिक. ओणम यहां पर धार्मिक उत्सव के बदले राज्य उत्सव के रूप में मनाया जाता है.

3. मौसम भी एक कारण हो सकता है: दक्षिण-पश्चिम और पूर्वोत्तर मानसून की वजह से केरल में भारी वर्षा होती है. तुलाशारम यानी भारी वर्षा दीपावली के मौसम - अक्टूबर / नवंबर के दौरान ही होती है. लेकिन  अगस्त और सितंबर के महीनों के दौरान, बारिश नहीं होती है और तभी ओणम त्यौहार पड़ता है. एक छोटा लेकिन तार्किक कारण यह भी है कि वहां के लोगों की मान्यता है कि ओणम पर्व पूर्वजों के स्वागत में मनाया जाता है.

4. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार: दीपावली भगवान राम के घर वापसी की प्रसन्नता में मनाई जाती है और रामायण का काफी महत्व है परन्तु बहुत से मलयाली लोग भगवान राम को देवता के रूप में नहीं पूजते है. इसलिए भी दीपावली का त्यौहार केरल में प्रसिद्ध नहीं हो पाया.  
अर्थार्त यह कहा जा सकता है कि भारत की संस्कृति की सबसे बड़ी खूबी उसकी भिन्नता में है, अनेकता में एकता भारत की सुन्दरता है. भारत में कुछ ऐसे पर्व एवं परम्पराएँ हैं जो समान रूप से सब जगह मनाए जाते हैं. किन्तु कुछ त्यौहार एवं मेले ऐसे हैं जो किसी क्षेत्र अथवा राज्य विशेष में ही मनाए जाते हैं जैसे कि दीपावली का त्यौहार जो कि केरल में लोकप्रियता हासिल नहीं कर पाया है.

तो अब आपको ज्ञात हो गया होगा कि दीपावली का त्यौहार भारत में किस स्थान पर प्रमुख त्यौहार नहीं है.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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