भारत में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए अभ्यारण्यों के साथ-साथ चिड़ियाघरों का भी अधिक महत्व है। इस जगह पर विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों को सरंक्षित किया जाता है। साथ ही उन पर शोध कार्य भी होते रहते हैं।
यही वजह है कि चिड़ियाघर न सिर्फ पर्यटन के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि शैक्षणिक रूप से भी इनका अधिक महत्व हैं। इस वजह से यह अक्सर वन्यजीव प्रेमियों और शोधार्थियों के केंद्र में रहते हैं।
भारत में यदि कुल चिड़ियाघरों की बात करें, तो सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मिलाकर 60 से भी अधिक चिड़ियाघर हैं। हालांकि, क्या आपको भारत के सबसे बड़े चिड़ियाघर के बारे में पता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम भारत के सबसे बड़े चिड़ियाघर के बारे में जानेंगे।
यह है भारत का सबसे बड़ा चिड़ियाघर
भारत का सबसे बड़ा चिड़ियाघर अरिगनार अन्ना जूलॉजिकल पार्क है, जो कि तमिलनाडू के चेन्नई में स्थित है। यह चेन्नई सेंट्रल से करीब 31 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है।
कितना बड़ा है चिड़ियाघर
इस चिड़ियाघर के क्षेत्रफल की बात करें, तो यह 602 हेक्टेयर यानि 1490 एकड़ में हरियाली के बीच फैला हुआ चिड़ियाघर है। इसमें से 228 एकड़ का क्षेत्रफल रेस्क्यू सेंटर के रूप में है।
कितना पुराना है चिड़ियाघर
यह चिड़ियाघर देश के सबसे पुराने चिड़ियाघरों में से एक है। इस चिड़ियाघर की स्थापना 1855 में की गई थी। दरअसल, साल 1854 में पेंथियन म्यूजियम कांप्लेक्स में शहर का पहला चिड़ियाघर चीता और बाघ के साथ खोला गया।
उस समय मद्रास सेंट्रल म्यूजियम के निदेशक एडवर्ड बालफर इससे काफी प्रभावित हुए और उन्होंने वहां के नवाब से उनके कलेक्शन में से कुछ जानवरों को भेंट करने के लिए कहा। इसके बाद इस चिड़ियाघर में अन्य प्रजाति के जानवर भी पहुंचे।
एक साल में ही यहां पर करीब 300 जानवर हो गए थे। वहीं, कुछ समय बाद इस चिड़ियाघर के चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन के नजदीक शिफ्ट कर दिया गया।
समय के साथ-साथ इसका क्षेत्रफल बढ़ता गया, लेकिन साल 1975 में जगह की कमी होने का कारण इसे शहर से बाहर बसाया गया।
कितनी प्रजातियों के जीव-जंतुओं का है घर
यह चिड़ियाघर दो हजार से अधिक प्रजातियों के जीव-जंतुओं का घर है। यह आपको पशु-पक्षियों से लेकर सरीसृप व अन्य प्रजातियों के कीड़े-मकौड़े तक मिल जाएंगे। वहीं, यह तमिलनाडू में मुदुमलाई नेशनल पार्क के बाद दूसरा वन्यजीव अभ्यारण्य भी है।
इस चिड़ियाघर को पैदल घूमने के लिए एक दिन का समय भी कम पड़ जाता है।
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