IPl 2023: आईपीएल में इस बार DRS नियम में क्या हुआ है बदलाव, जानें

Apr 6, 2023, 20:53 IST

IPl 2023: भारत में आईपीएल के 16वीं सीजन का आगाज हो चुका है। इस बार क्रिकेट के इस महाखेल में कुछ नए नियमों को जोड़ा गया है। वहीं, कुछ पुराने नियमों में भी बदलाव किया गया है। इस लेख के माध्यम से हम आपको DRS नियम के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसमें इस बार कुछ बदलाव किया गया है।

डीआरएस सिस्टम
डीआरएस सिस्टम

IPl 2023: भारत में क्रिकेट सबसे लोकप्रिय खेलों में शुमार है। बीती 31 मार्च से भारत में आईपीएल के 16वें संस्करण का आगाज हो गया है। इस बार कुल 10 टीमों के बीच कुल 74 मैच का मुकाबला होगा, जो कि 52 दिनों तक चलेगा। आखिरी मैच 28 मई को होना तय है। वहीं, क्रिकेट के इस महाकुंभ में इस बार कुछ नए नियमों को जोड़ा गया है। इसके साथ ही कुछ पुराने नियमों में भी बदलाव किया गया है। इसी में शामिल है DRS नियम। क्या होता है यह नियम और इस बार क्या किया गया है बदलाव। इस तरह के सवालों का जवाब जानने के लिए यह लेख पढ़ें। 

 

क्या होता है DRS नियम

DRS की फुलफॉर्म Decision Review System होती है। इसके तहत यदि किसी खिलाड़ी को यह लगता है कि खेल में अंपायर ने गलत निर्णय लिया है, तो गेंदबाजी कर रही टीम की ओर से कप्तान और बल्लेबाजी कर रहे खिलाड़ियों की ओर से स्ट्राइक पर खड़ा खिलाड़ी थर्ड अंपायर की मदद से डीआरएस की मदद लेता है। हालांकि, इसके लिए 15 सेकेंड का समय दिया जाता है। यदि 15 सेकेंड बाद डीआरएस के लिए बोला जाए, तो यह मान्य नहीं होगा। 

 

क्या हुआ है बदलाव 

पहले किसी भी टीम को चार DRS मिला करते थे। हालांकि, अब यह संख्या दो है। वहीं, इस बार इसमें यह बदलाव किया गया है कि यदि किसी खिलाड़ी को कोई बॉल Wide Ball लगती है या फिर No Ball लगती है, तो अब वह डीआरएस की मदद से Review कर सकते हैं।

 

 

तीन तरह का होता है डीआरएस सिस्टम

 

अल्ट्राएज तकनीक

इस तकनीक में यह देखा जाता है कि बल्ले पर गेंद लगी है या नहीं। यह एक स्टंप माइक के माध्यम से किया जाता है, जिससे पता चल जाता है बल्ले से गेंद टच हुई थी या नहीं। 

 

हॉक-आई तकनीक 

हॉक-आई तकनीक विशेषतौर पर एलबीडब्ल्यू के लिए होता है। इस तकनीक मं यह देखा जाता है कि गेंद टप्पा खाने के बाद पिच पर किस तरफ जाती है। साथ ही यदि गेंद खिलाड़ी के पैर से नहीं टकराई होती, तो गेंद की दिशा क्या होती। इन्हीं सभी पहलुओं के माध्यम से खिलाड़ी को आउट और नॉट आउट का संकेत दिया जाता है।



हॉट-स्पॉट तकनीक

हॉट-स्पॉट तकनीक में गेंद के बल्ले से टकराने पर बल्ले पर सफेद रंग का निशान बनता है। इसके माध्यम से यह पता चलता है कि बल्ले गेंद से टकराई थी या नहीं। क्योंकि, कई बार कैच होने पर आउट और नॉट आउट की दुविधा बन जाती है। ऐसे में इस तकनीक के माध्यम से यह तय किया जाता है। 

Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

A seasoned journalist with over 7 years of extensive experience across both print and digital media, skilled in crafting engaging and informative multimedia content for diverse audiences. His expertise lies in transforming complex ideas into clear, compelling narratives that resonate with readers across various platforms. At Jagran Josh, Kishan works as a Senior Content Writer (Multimedia Producer) in the GK section. He can be reached at Kishan.kumar@jagrannewmedia.com
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