कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने से पहले सभी यात्रियों को दिल्ली में यात्रा से पूर्व तैयारियों और चिकित्सा जाँच के लिए दिल्ली में 3 या 4 दिन तक रूकना पड़ता है. दिल्ली हार्ट एवं फेफड़ा संस्थान (DHLI) इस यात्रा के लिए आवेदकों के स्वास्थ्य स्तरों के निर्धारण के लिए चिकित्सा जाँच करता है. दिल्ली सरकार केवल यात्रियों के लिए खान-पान और ठहरने की सुविधाओं का निःशुल्क प्रबंध करती है. यात्री यदि चाहे तो दिल्ली में खान-पान और ठहरने की अपनी व्यवस्था कर सकते हैं. इस यात्रा में प्रतिकूल हालात, अत्यंत खराब मौसम में ऊबड़-खाबड़ भू-भाग से होते हुए 19,500 फुट तक की चढ़ाई करनी होती है. जो लोग शारीरिक रूप से मजबूत नही हैं उनको इस यात्रा से बचना चाहिए.
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कैलाश पर्वत समुद्र सतह से 22068 फुट ऊंचा है तथा हिमालय से उत्तरी क्षेत्र में तिब्बत में स्थित है. चूंकि तिब्बत, चीन के अधीन है अतः कैलाश चीन में आता है. मानसरोवर झील से घिरा होना कैलाश पर्वत की धार्मिक महत्ता को और अधिक बढ़ाता है. कैलाश पर्वत, भगवान शिव के निवास के रूप में हिन्दुओं के लिए महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ यह बौद्ध और जैन धर्म के लोगों के लिए भी धार्मिक महत्व रखता है. यह यात्रा तिब्बत के रास्ते से भी गुजरती है इसलिए यात्रियों को चीन से वीजा लेना पड़ता है.
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(कैलाश पर्वत का एक दृश्य)
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कैलाश मानसरोवर यात्रा का मार्ग क्या है?
इस यात्रा के लिए दो भिन्न मार्ग हैं जिसमे एक लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड) है जिसके रास्ते यात्रा करने पर लगभग 24 दिन लगते हैं और यात्रा का प्रति व्यक्ति अनुमानित खर्च 1.6 लाख रुपये आता है. इसके माध्यम से 18 जत्थे यात्रा पूरी करते हैं. कैलाश मानसरोवर यात्रा को पूरा करने का दूसरा रास्ता नाथुला दर्रा (सिक्किम) के होकर गुजरता है जिसके माध्यम से यात्रा पूरी होने में 21 दिन लगते हैं और प्रति व्यक्ति अनुमानित खर्च 2 लाख रुपये आता है. इस मार्ग से 8 जत्थे यात्रा पूरी करते हैं.
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कैलाश मानसरोवर यात्रा करने के लिए कौन पात्र है?
1. तीर्थयात्री भारतीय नागरिक होना चाहिए
2. विदेशी नागरिक आवेदन करने के पात्र नहीं हैं; अतः OCI कार्डधारी पात्र नहीं हैं
3. आवेदक के पास चालू वर्ष के 01 सितंबर को कम से कम 6 महीने की शेष वैधता अवधि वाला भारतीय पासपोर्ट होना चाहिए
4. आवेदक की आयु कम से कम 18 और अधिक से अधिक 70 वर्ष होनी चाहिए
5. आवेदक का बॉडी मास इंडेक्स (BMI) 25 या उससे कम होना चाहिए
6. आवेदक को शारीरिक रूप से स्वस्थ और चिकित्सा की दृष्टि से फिट होना चाहिए
यहाँ पर यह बताना जरूरी है कि यात्रा पर जाने वाले लोगों के नाम कंप्यूटर की सहायता से लकी ड्रा द्वारा निकाले जाते हैं. लोगों को इस यात्रा में भाग लेने के लिए विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर आवेदन करना होता है साथ ही यह भी बताना होता है कि वह किस मार्ग या दर्रा (लिपुलेख या नाथुला) से यात्रा करना चाहते हैं.
इस यात्रा को कौन आयोजित करता है?
यह यात्रा दिल्ली, उत्तराखंड, और सिक्किम राज्य की सरकारों और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के सहयोग से आयोजित की जाती है. कुमाऊं मंडल विकास निगम (KMVN) और सिक्किम पर्यटन विकास निगम (STDC) तथा उनके संबद्ध संगठन भारत में यात्रियों के हर जत्थे के लिए सहायता और सुविधाएं मुहैया कराते हैं. यह यात्रा विदेश मंत्रालय के दिशा निर्देशों से आयोजित की जाती है.
(ITBP के जवान यात्रियों को नास्ता कराते हुए)
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यात्रा कब आयोजित की जाती है?
विदेश मंत्रालय प्रत्येक वर्ष जून से सितंबर के दौरान दो अलग-अलग मार्गों- लिपुलेख दर्रा (उत्तराखण्ड), और नाथु-ला दर्रा (सिक्किम) से इस यात्रा का आयोजन करता है.
भारत सरकार इस यात्रा के लिए कितनी आर्थिक सहायता देती है?
इस यात्रा को सम्पन्न कराने का काम भारत सरकार के विदेश मंत्रालय का है. विदेश मंत्रालय यात्रियों को किसी भी प्रकार की आर्थिक सहायता प्रदान नहीं करता है. इस यात्रा का पूरा खर्च यात्री को स्वयं उठाना पड़ता है.
(कैलाश मानसरोवर यात्रा पर जाने वाले लोगों के साथ विदेश मंत्री)
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यात्रा के लिए भारत सरकार की शर्तें:
भारत सरकार किसी भी प्राकृतिक आपदा के कारण अथवा किसी भी अन्य कारण से किसी यात्री की मृत्यु अथवा उसके जख्मी होने अथवा उसकी संपत्ति के खोने अथवा क्षतिग्रस्त होने के लिए किसी भी तरह से जिम्मेदार नहीं होगी. सरकार इस यात्रा के रास्ते में आने वाली सभी जटिल समस्याओं से सभी यात्रियों को पहले ही अवगत करा देती है.
किसी तीर्थयात्री की सीमा पर मृत्यु हो जाने पर सरकार की उसके पार्थिव शरीर को दाह-संस्कार के लिए भारत लाने की किसी तरह की बाध्यता नहीं होगी. अतः मृत्यु होने पर पार्थिव शरीर का चीन में अंतिम संस्कार किया जायेगा; इस सहमति प्रपत्र पर सभी यात्रियों को हस्ताक्षर करने पड़ते हैं.
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