डॉ. बी.आर अंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल को मनाई जाती है। उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू, भारत में हुआ था। भारतीय संविधान पर उनका काफी प्रभाव था। उन्होंने दलित समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद उन्होंने कानून मंत्री के रूप में कार्य किया। वह डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने वाले पहले भारतीय थे और उन्होंने लगभग 64 विभिन्न विषयों में मास्टर डिग्री हासिल की थी।
भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर को विश्वस्तरीय वकील, दलित राजनीतिक नेता और भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार के रूप में जाना जाता है। वह वर्तमान युग के सबसे अधिक चर्चित लेखक हैं। इस लेख में हमने डॉ. अम्बेडकर द्वारा लिखित कुछ प्रसिद्ध पुस्तकों को सूचीबद्ध किया है।
डॉ. अम्बेडकर को हिंदी, पाली, संस्कृत, अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन, मराठी, फारसी और गुजराती जैसी लगभग 9 भाषाओं का ज्ञान था। डॉ. अम्बेडकर की पुस्तकें वर्तमान में भारत में सबसे अधिक बिकने वाली पुस्तकों में गिनी जाती हैं।
यहां डॉ. अंबेडकर द्वारा लिखित कुछ प्रसिद्ध पुस्तकों की सूची दी गई है;
संख्या | पुस्तकें | प्रकाशन वर्ष |
1. | भारत में जातियां: उनका तंत्र, उत्पत्ति और विकास | 1916 |
2. | मूक नायक (साप्ताहिक) | 1920 |
3. | रुपये की समस्या: इसका उद्गम और समाधान | 1923 |
4. | बहिष्कृत भारत | 1927 |
5. | जनता (साप्ताहिक) | 1930 |
6. | जाति का विनाश | 1936 |
7. | संघ बनाम स्वतंत्रता | 1939 |
8. | पाकिस्तान पर विचार | 1940 |
9. | रानाडे, गांधी और जिन्ना | 1943 |
10. | गांधी और अछूतों की मुक्ति | 1943 |
11. | कांग्रेस और गांधी ने अछूतों के साथ क्या किया? | 1945 |
12. | पाकिस्तान या भारत का विभाजन | 1945 |
13. | राज्य एवं अल्पसंख्यक | 1947 |
14. | शूद्र कौन थे? | 1948 |
15. | महाराष्ट्र एक भाषाई प्रांत के रूप में | 1948 |
16. | अछूत | 1948 |
17. | बुद्ध या कार्ल मार्क्स | 1956 |
18. | बुद्ध और उनका धम्म | 1957 |
19. | हिंदू धर्म में पहेलियां | 2008 |
20. | मनु और शूद्र | -- |
महाराष्ट्र सरकार (मुंबई) के शिक्षा विभाग ने अंबेडकर के लेखों और भाषणों का संग्रह विभिन्न खंडों में प्रकाशित किया। महाराष्ट्र सरकार के अलावा सामाजिक न्याय मंत्रालय भी डॉ. अंबेडकर द्वारा लिखित पुस्तकें प्रकाशित करता है।
अंबेडकर की दो सबसे ज़्यादा बिकने वाली किताबें हैं, “रुपये की समस्या” और “जाति का विनाश”। ये दोनों किताबें क्रमशः भारत की अर्थव्यवस्था और भारत की सामाजिक संरचना पर आधारित हैं।
रुपये की समस्या का अंश;
पुस्तक में उस समय की भारतीय मुद्रा के समक्ष आने वाली समस्याओं का विश्लेषण किया गया है, जब स्थानीय व्यवसाय और ब्रिटिश प्रशासन के बीच टकराव चल रहा था, तथा इसका भारतीय मुद्रा के मूल्य पर जबरदस्त प्रभाव पड़ा था।
डॉ. अम्बेडकर ने तर्क दिया था कि ब्रिटिश सरकार ने विनिमय दर बहुत अधिक (अतिमूल्यित) रखी ताकि वे भारत में अपना माल बेच सकें। यहां यह उल्लेखनीय है कि अधिक मूल्यांकित होने पर आयात सस्ता हो जाता है तथा निर्यात महंगा हो जाता है।
पुस्तक में मौद्रिक मामलों और विनिमय दरों के स्थिरीकरण की वकालत की गई है। अंततः 1935 में भारतीय रिजर्व बैंक का गठन हुआ।
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