भारत में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं। वैसे तो देश के हर राज्य का अपना महत्व है, लेकिन उत्तर भारत में राजनीतिक और आर्थिक रूप से उत्तर प्रदेश का महत्व और भी बढ़ जाता है।
इस प्रदेश का गौरवशाली व समृद्ध इतिहास इसे अन्य राज्यों से अलग बनाता है। वहीं, पर्यटन के लिहाज से भी इस राज्य का अधिक महत्व है। भारत के नवाबों की बात हो या फिर अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति की, इतिहास के पन्नों में यह राज्य सुनहरे अक्षरों के साथ दर्ज है।
भारत में जितना इस राज्य का महत्व है, उतना ही महत्व है यहां बहने वाली नदियों का, जो कि कृषि के साथ-साथ यहां पीने के पानी का भी बड़ा स्त्रोत हैं।
हालांकि, क्या आपको इस राज्य की सबसे बड़ी नदी के बारे में पता है। यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे। साथ ही नदी द्वारा राज्य में उसके सफर को भी समझेंगे।
उत्तर प्रदेश में कितनी नदियां बहती हैं
उत्तर प्रदेश में करीब 30 नदियों का प्रवाह होता है, जो कि अलग-अलग शहरों में बहती हैं। इसके साथ ही यह स्थानीय स्तर पर जैव विविधता के साथ कृषि और पीने के पानी के स्त्रोत के लिए जिम्मेदार हैं।
उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी नदी
उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी नदी गंगा नदी है। यह नदी इस राज्य की सबसे प्रमुख नदी है, जो कि अपनी कुल 2525 किलोमीटर की यात्रा में 1450 किलोमीटर सिर्फ उत्तरप्रदेश में ही पूरा करती है।
ऐसे में गंगा नदी यमुना नदी के साथ मिलकर इस राज्य में दो आब बनाने का काम करती है, जिससे इस राज्य में कुछ भाग में जमीन अधिक उपजाऊ हो जाती है।
उत्तर प्रदेश में गंगा नदी का सफर
गंगा नदी उत्तराखंड में उत्तरकाशी में गोमुख ग्लेशियर से निकलकर हिमालय की घाटी में बहते हुए पहली बार हरिद्वार में मैदानी इलाकों में पहुंचती है। यहां से बहने के बाद यह नदी उत्तर प्रदेश के उत्तर-पूर्व में स्थित बिजनौर जिले से राज्य में प्रवेश करती है।
यहां से बहते हुए यह गढ़मुक्तेश्वर, सोरो, फर्रूखाबाद, कन्नोज, बिठूरू और कानपुर शहर से होते हुए प्रयागराज में पहुंचती है। यहां पहुंचने पर इसका संगम यमुना नदी से होता है।
यहां आगे बढ़कर यह भारत के सबसे प्राचीन शहरों में से एक और शिव नगरी के रूप में विख्यात बनारस यानि वाराणसी पहुंचती है।
इस नदी के किनारे आपको कई घाट देखने को मिल जाएंगे, जिनमें से अधिक का निर्माण मराठा साम्राज्य द्वारा कराया गया था।
वहीं, यहां से यह नदी आगे बढ़कर मिर्जापुर और गाजीपुर जिले में पहुंचती है, जिसके बाद यह नदी बिहार में प्रवेश कर जाती है।
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