उ.प. रेलवे की पहली महिला कुली मंजूी देवी, जिन्हें राष्ट्रपति भी कर चुके हैं सम्मानित

Dec 28, 2024, 19:11 IST

आपने भारतीय रेलवे में सफर के दौरान कुलियों को बोझ उठाते हुए देखा होगा। इन कुलियों में अमूमन सभी की संख्या पुरुषों की होती है। हालांकि, यदि जब कभी आप जयपुर रेलवे स्टेशन पहुंचेंगे, तो आपको एक महिला कुली के रूप में बोझ उठाते हुए मिल जाएगी, यह हैं मंजू देवी, जो यहां पहुंचने वाले यात्रियों का बोझ सिर पर उठाकर चलती हैं। मंजू देवी उत्तर-पश्चिम रेलवे की पहली महिला कुली हैं, जो इस तरह से कम कर रही हैं। इन्हें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है। क्या है मंजू देवी की पूरी कहानी, जानने के लिए यह पूरा लेख पढ़ें। 

पहली महिला कुली
पहली महिला कुली

भारतीय रेलवे में जब भी हम सफर करते हैं, तो स्टेशन पर पहुंचते ही गेट के बाहर हमें काफी संख्या में कुली नजर आते हैं, जो सामान उठाने के लिए आतुर रहते हैं। इनमें अमूमन सभी कुली पुरुष वर्ग के होते हैं। हालांकि, यदि आप जयपुर रेलवे स्टेशन पहुंच रहे हैं तो, आपको कुली के रूप में एक महिला देखने को मिल सकती है।

यह हैं मंजू देवी, जो की एक लाइसेंस प्राप्त कुली हैं और जयपुर आने वाले यात्रियों का बोझ उठाती हैं। मंजू देवी उत्तर-पश्चिम रेलवे की पहली महिला कुली हैं। उनके साहस को देखते हुए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा मंजू देवी को राष्ट्रपति भवन में सम्मानित भी किया जा चुका है।

साथ ही, पूर्व राष्ट्रपति ने यह भी कहा था कि वह मंजू देवी की कहानी से भावुक हो गए थे। क्या है मंजू देवी की पूरी कहानी, जानने के लिए पूरा लेख पढ़ें। 

कुछ वर्ष पहले पति का हो गया था निधन 

मंजू देवी के पति महादेव उत्तर पश्चिम रेलवे के अंतर्गत आने वाले जयपुर रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करते थे। उन्हें रेलवे की तरफ से लाइसेंस नंबर 15 प्राप्त था। हालांकि, अचानक उनका निधन हो गया, जिसके बाद मंजू देवी पर उनकी खुद व उनके तीन बच्चों के जिम्मेदारी आ गई। 

मां के कहने पर लिया निर्णय 

पति के गुजरने के बाद मंजू देवी के आगे परिवार को पालने का संकट खड़ा हो गया था। ऐसे में उनके मां मोहिनी ने उन्हें समझाया और काम करने के लिए प्रेरित किया। इस पर मंजू देवी ने अपने पति का लाइसेंस नंबर 15 खुद लेने और लोगों का बोझ उठाने का फैसला कर लिया। 

चुनौतियों का करना पड़ा सामना 

मंजू देवी ने जब कुली बनने का निर्णय लिया, तो उनके लिए आसान नहीं था। उन्हें रेलवे अधिकारियों की ओर से समझाया गया की रेलवे प्लेटफार्म पर वह इस पेश में केवल अकेली महिला होंगी, जबकि अन्य पुरुष होंगे। ऐसे में उनके लिए यह काम करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। हालांकि, उन्होंने हार न मानने के बजाय अपने निर्णय पर अडिग रहने का फैसला लिया। 

राष्ट्रपति ने किया सम्मानित 

मंजू देवी के साहस और निश्चय की वजह से उन्हें विभिन्न क्षेत्रों की उत्कृष्ट 90 महिलाओं में शामिल किया गया। 20 जनवरी को उन्हें राष्ट्रपति भवन में आमंत्रित किया गया, जहां पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा उन्हें सम्मानित किया गया। जिस समय मंजूी देवी की कहानी सुनाई जा रही थी, उस समय रामनाथ कोविंद ने कहा था कि वह भी मंजू देवी की कहानी से भावुक हो गए थे।

मंजू देवी कहती हैं कि बेशक उनके सिर पर यात्रियों का 30 किलो तक वजन रहता है। हालांकि, यह 30 किलो वजन उनके बच्चों की जिम्मेदारी से बहुत कम है।

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Kishan Kumar
Kishan Kumar

Senior content writer

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