रेलवे में ई-टिकट फ्रॉड को कैसे रोका जा सकता है?

क्या आप जानते हैं कि वर्ष 1986 में पहला कंप्यूटर बेस्ड टिकट रिजर्वेशन नई दिल्ली में शुरू हुआ था और धीरे-धीरे ई-टिकट का चलन हो गया. अब टिकट बुक करने के लिए लम्बी लाइनों में नहीं लगना पढ़ता है, घर पर आसानी से हो जाता है. लेकिन इससे सम्बंधित धोखाधड़ी के मामले भी सामने आ रहे हैं. आइये इस लेख से जानते हैं कि भारतीय रेलवे में ई-टिकट फ्रॉड को रोकने के लिए किस प्रकार के बिल को प्रस्तावित किया है.

Sep 18, 2018, 18:12 IST
Railways Act to check e-Ticketing fraud in India
Railways Act to check e-Ticketing fraud in India

ये हम सब जानते हैं कि भारतीय रेलवे को देश की लाइफलाइन कहा जाता है. यह देश का चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. वर्ष 1986 में पहला कंप्यूटर बेस्ड टिकट रिजर्वेशन नई दिल्ली में शुरू हुआ था. रेलवे की वेबसाइट irctc.co.in दुनिया की सर्वाधिक देखि गई वेबसाइट में से एक है. क्या आप जानते हैं कि भारत में रेलवे नेटवर्क इतना बड़ा है कि पूरी प्रथ्वी को एक बार घेरा जा सकता है.

जैसे-जैसे रेलवे में विकास हो रहा है, सुविधा मिल रहीं हैं वैसे ही अपराध भी बढ़ रहे हैं. अब घर बैठे-बैठे आसानी से टिकट बुक किया जा सकता है. इसके लिए रेलवे काउंटर पर लाइन में लगने की जरुरत नहीं है. परन्तु जितना आसान हो गया है उतना ही धोखाधड़ी देखने को मिल रही है. आजकल फ्रॉड ई-टिकटिंग बढ़ गई है. आइये इस लेख से जानते हैं कि भारतीय रेलवे में ई-टिकट फ्रॉड को रोकने के लिए किस प्रकार के बिल को प्रस्तावित किया है.

ई-टिकट फ्रॉड क्या है?

भारतीय रेलवे आरक्षण के संदर्भ में स्काल्पर्स (Scalpers) टिकट के लिए बाजार में एक सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके अपनी जगह बनाते हैं, टिकट्स बुक करते हैं और उन्हें ज्यादा दाम पर पुनर्विक्रय या बेच देते हैं.

रेलवे में ई-टिकट फ्रॉड को लेकर किस अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव दिया गया है?

Fraud e-ticket booking in Indian railways
Source:www.pinterest.co.uk.com

रेलवे में टर्मिनल, जंक्शन और सेंट्रल स्टेशन के बीच क्या अंतर होता है?

हम आपको बता दें कि भारतीय रेलवे ऑनलाइन टिकट के घोटाले को रोकने के लिए रेलवे के अधिनियम 1989 में संशोधन करने पर विचार किया जा रहा है. जिसके तहत इस कानून में ई-टिकट के जरिये हुई धोखाधड़ी करने वालों को दंडित करने के प्रावधान को शामिल किया जाएगा. इसमें ऐसा सुझाव दिया गया है कि जो कोई इस प्रकार के अपराध को करेगा उसे दो लाख रूपये से अधिक का जुर्माना लगाया जाएगा लेकिन इस मामले में दोषी पाए गए लोगों को तीन साल से अधिक की सजा का सुझाव नहीं दिया गया है.

रेलवे मंत्रालय ने कहा कि 'इस तरह की धोखाधड़ी के मामले को कम करने के लिए एक नए प्रावधान को शामिल करने की जरुरत महसूस की गई है. इस नए अधिनियम में संशोधन करने के बाद इसे शामिल किया जाएगा. इस नए प्रावधान को रेलवे सुरक्षा बल ने प्रस्तावित किया है. अभी रेलवे बोर्ड की और से इसका अनुमोदित किया जाना बाकी है'. इस प्रस्ताव में फ्रॉड करने के लिए जुर्माने में वृद्धि, विशेष रूप से महिला यात्रियों के खिलाफ और विकलांग लोगों या महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बे के अतिक्रमण भी शामिल हैं.

साथ ही रेलवे सुरक्षा बल के अनुसार सबसे बड़े रेलवे टिकट घोटाले में से एक में, 2 मई को केंद्रीय रेलवे ने मुंबई में एक आदमी को गरफ्तार किया, जिसने कथित रूप से नकली सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया ताकि वह कुछ ही समय में तत्काल टिकटों को बुक कर सके. उसने एक महीने में 35 लाख रूपये कमाए. इसी प्रकार का फ्रॉड पिछले साल दिसम्बर में देखा गया था और फ्रॉड करने वालों को गिरफ्तार कर लिया गया था. वर्तमान अधिनियम में ई-टिकट फ्रॉड करने वालों को दंडित करने का प्रावधान है जो अवैध रूप से टिकट बेचते हैं, खरीदते हैं या टिकट बेचने या खरीदने का प्रयास करते हैं. वर्तमान में इस अधिनियम के अनुसार, फ्रॉड करने वाले को एक अवधि के लिए कारावास का दंड, जो तीन साल तक बढ़ सकता है या फिर दस हजार रुपये तक का जुर्माना और दोनों एक साथ देने का प्रावधान है.

संशोधित अधिनियम नए प्रावधान से संबंधित मामलों से निपटने के लिए आरपीएफ, वाणिज्यिक, सतर्कता विभागों के अधिकृत कर्मियों को सशक्त बनाना चाहता है. वर्तमान में ऑनलाइन धोखाधड़ी के लिए गिरफ्तार किए गए लोगों को भारतीय दंड संहिता के प्रासंगिक प्रावधानों के साथ सूचना और प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत बुक किया गया है.

तो अब आपको ज्ञात हो गया होगा कि ई-टिकट फ्रॉड को रोकने के लिए रेलवे का 1989 अधिनियम में क्या-क्या संशोधन करने का प्रस्ताव रखा गया है.

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Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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