भारतीय रेलवे दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। वहीं, एशिया में यह दूसरे पायदान पर आता है। रेलवे में प्रतिदिन 13 हजार से अधिक पैसेंजर ट्रेनों का संचालन होता है, जिनसे 2.5 करोड़ से अधिक यात्री सफर करते हुए 7500 से अधिक स्टेशनों से गुजरते हैं।
ये सभी स्टेशन अलग-अलग जोन का हिस्सा हैं, जो कि अलग-अलग डिविजन में आते हैं। इससे रेलवे को ट्रेनों के संचालन व प्रशासन में मदद मिलती है और यात्रियों तक बेहतर सुविधा की पहुंच सुनिश्चित होती है।
आपने रेलवे के अलग-अलग जोन के बारे में पढ़ा और सुना होगा। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि रेलवे का सबसे छोटा जोन कौन-सा है, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
रेलवे में कुल कितने जोन हैं
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि रेलवे में कुल कितने जोन हैं, तो आपको बता दें कि रेलवे में कुल 18 जोन हैं। हालांकि, इसमें कोलकाता मेट्रो जोन को मिला दिया जाए, तो इनकी संख्या 19 हो जाती है। ये सभी जोन अलग-अलग मंडल में आते हैं।
रेलवे में कुल कितने मंडल हैं
भारतीय रेलवे में कुल मंडल की बात करें, तो इनकी संख्या 70 हैं। इन मंडलों को रेलवे डिविजन के तौर पर भी जाना जाता है, जिनकी मदद से रेलवे को बेहतर संचालन में मदद मिलती है। प्रत्येक डिविजन को डिविजनल रेलवे मैनेजर द्वारा संचालित किया जाता है, जो कि रेलवे महाप्रबंधक को रिपोर्ट करते हैं।
सबसे छोटा रेलवे जोन कौन-सा है
अब सवाल है कि रेलवे का सबसे छोटा जोन कौन-सा है, तो आपको बता दें कि सबसे छोटा रेलवे जोन कोलकाता मेट्रो जोन है। यह पश्चिम बंगाल के कोलकाता में चलनी वाली सबसे पुरानी मेट्रो प्रणाली है।
कितनी पुरानी है कोलकाता मेट्रो
कोलकाता मेट्रो की योजना 1920 में तैयार होना शुरू हो गई थी, लेकिन साल 1970 में इसका निर्माण कार्य शुरू किया गया। वहीं, साल 1984 में 24 अक्टूबर को कोलकाता मेट्रो का परिचालन शुरू किया गया।
शुरुआत में इसे कलकत्ता मेट्रो के रूप में जाना जाता था, लेकिन बाद में शहर के नाम में बदलाव के बाद इसका नाम भी कोलकाता मेट्रो कर दिया गया।
रेलवे की शुरुआत 3.4 किलोमीटर के ट्रैक पर एस्प्लेनेड से लेकर भवानीपुर तक की गई थी। वहीं, 1991 से लेकर 2021 तक इसे विभिन्न चरणों में बढ़ाया गया, जिसमें दमदमगंज और टॉलीगंज समेत अन्य स्टेशन शामिल थे।
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