भारत के सुप्रीम कोर्ट का उद्घाटन 28 जनवरी 1950 को हुआ था| भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 के अनुसार भारत का एक सुप्रीम कोर्ट होगा| उच्चतम न्यायालय सर्वोच्च अपीलीय अदालत है जो कि केंद्र शासित प्रदेशों और राज्यों के उच्च न्यायालयों के फैसलों के खिलाफ अपील सुनता है। इसके अलावा, मौलिक अधिकारों और राज्यों के बीच के विवादों और मानव अधिकारों के गंभीर उल्लंघन से सम्बन्धित याचिकाओं को आमतौर पर सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सीधे ही रखा जाता है। जब भी कोई मुद्दा पूरे देश को प्रभावित करने वाला होता है तो उच्चतम न्यायालय सामान्य लोगों के हितों को ध्यान में रखते हुए उस पर कानून बना देता है| इस लेख में सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2016 में दिए गए कुछ महत्वपूर्ण आदेशों के बारे में बताया गया है| इन आदेशों ने भारत के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक ढांचे को गंभीर रूप से प्रभावित किया है |
1. सुप्रीम कोर्ट का आदेश, फिल्म से पहले सिनेमाघरों में बजे राष्ट्रगान: 1 दिसम्बर 2016 को अपने एक निर्णय में सुप्रीम कोर्ट ने सभी सिनेमाघरों में फिल्म से पहले राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस दौरान स्क्रीन पर राष्ट्रीय ध्वज दिखाया जाए और राष्ट्रगान के सम्मान में सभी दर्शकों को खड़ा होना होगा। कोर्ट ने साफ किया कि राष्ट्रगान का संक्षिप्त रूप नहीं बजाया जा सकता और व्यावसायिक लाभ के लिए इसका इस्तेमाल नहीं होगा। हालांकि, कोर्ट ने विकलांग लोगों को सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के वक्त खड़े होने से छूट दी है।
दरअसल इस पहल की शुरुआत कांग्रेस सरकार ने मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री द्वारका प्रसाद मिश्र की सलाह पर भारत-चीन युद्ध के दौर में लोगों में देशप्रेम की भावना को जगाने के लिए की थी |
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2. जम्मू-कश्मीर का संविधान भारत के संविधान से बड़ा नहीं है : न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन की पीठ ने कहा, ‘जम्मू कश्मीर को भारतीय संविधान के बाहर “सुई की नोंक” के बराबर भी संप्रभुता नहीं है। कोर्ट ने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर के नागरिकों पर पहले देश का संविधान लागू होता है और फिर राज्य का संविधान। अतःजम्मू कश्मीर राज्य का संविधान भारत के संविधान के अधीनस्थ है।’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें उच्च न्यायालय को यह याद दिलाने की जरूरत है कि जम्मू कश्मीर के निवासी सबसे पहले भारत के नागरिक हैं और भारत के संविधान में दोहरी नागरिकता का प्रावधान नही है |
3. सभी हाइवे पर शराब की दुकानें बंद हों:ज्ञातब्य हो कि देश में हर साल करीब 1.5 लाख लोग शराब पीकर गाड़ी चलने से जुडी घटनाओं में मारे जाते हैं | इन हादसों को देखते हुए टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने राष्ट्रीय और स्टेट राजमार्गों के किनारे बनी सभी शराब की दुकानों को 1 अप्रैल 2017 तक बंद करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राष्ट्रीय और स्टेट राजमार्गों के किनारे शराब की दुकानें नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने शराब की दुकानों को हाइवे से 500 मीटर दूर करने का आदेश दिया है। कोर्ट के आदेश के मुताबिक अब कोई नया लाइसेंस भी जारी नहीं किया जाएगा और न ही पुराने लाइसेंस को दुबारा जारी किया जाएगा।
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4. रियल एस्टेट डेवलपर्स पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
देश के हर कोने से बिल्डरों के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में शिकायतें दर्ज की जा रहीं है लेकिन बिल्डर हमेशा की तरह लोगों की गाढ़ी कमाई को डकार जाते हैं और लोगों को मुक़दमे बाजी में फंसाकर परेशान करते हैं |
दरअसल बिल्डर प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले वादे करके भारी भरकम पैसा निवेशकों से ले लेते हैं लेकिन समय पर घर नहीं दे पाते| घर का सपना टूटने और गाढ़ी कमाई लुटाने के बाद लोग अथॉरिटी और बिल्डरों के चक्कर काटने लगते हैं| कई बार तो बिल्डर मनमर्जी से प्रोजेक्ट या फ्लोर प्लान बदल देते हैं|
ऐसे ही कई मामलों की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रियल एस्टेट की दिग्गज कंपनियों पार्श्वनाथ डेवलपर्स, डीएलएफ, यूनिटेक, सुपरटेक को कड़ी चेतावनी दी है| सुप्रीम कोर्ट ने कोई रियायत न देते हुए इन सभी कंपनियों को 10% ब्याज सहित पैसा घर मालिकों को वापस करने को कहा है|
ज्ञातब्य हो कि केंद्र सरकार ने रीयल एस्टेट बिल तो पास कर दिया है लेकिन फिलहाल इसका सभी राज्यों में पालन होने का इंतजार है|
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5. सभी तरह के चबाने वाले तंबाकू की बिक्री बंद हो: एक सर्वे के मुताबिक, भारत में करीब 35% (27.5 करोड़) युवा तंबाकू का सेवन करते हैं | युवाओं के बीच इस बढती लत को रोकने के लिए पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) और विभिन्न प्राधिकरणों को निर्देश दिया कि सभी तरह के चबाने वाले तंबाकू उत्पादों और निकोटिन की बिक्री पर रोक लगाने संबंधी उसके फैसले को तुरंत लागू किया जाए। दरअसल, यह दलील देते हुए कि कानूनन केवल गुटखा बिक्री पर रोक है, कई कंपनियों ने पान मसाला के साथ तंबाकू का पैकेट बेचना शुरू कर दिया था।
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6. ऐसिड अटैक पीड़ितों को दिव्यांगों का दर्जा: देश भर में तेजाब फेकने की बढती घटनाओं को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ऐसिड अटैक पीड़ितों को दिव्यांगों की श्रेणी में शामिल करने का आदेश दिया है| कोर्ट ने यह आदेश इसलिए दिया है ताकि ऐसिड अटैक पीड़ितों को सरकारी नौकरियों, शिक्षण संस्थानों में दाखिले में आरक्षण आसानी से मिल सके और उनकी आगे की जिंदगी कुछ आसान हो सके।
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7. दिल्ली में घुसने पर भारी वाहनों पर “पर्यावरण कर” लगाने का आदेश: प्रदूषण की रोकथाम के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश को प्रतिबंधित करने के साथ ही डीजल एसयूवी और 2000 या उससे ज्यादा सीसी के इंजन वाली प्रिमियम कारों पर 1% पर्यावरण कर लगाने का आदेश दिया।
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साल 2017 के कुछ फैसले-
8. सुप्रीम कोर्ट ने वोट मांगने के लिए धर्म के इस्तेमाल पर लगाई रोक
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि धर्म, जाति, भाषषा व संप्रदाय के आधार पर वोट मांगना चुनाव कानूनों के तहत भ्रष्ट आचरण माना जाएगा। प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली सात जजों की संविधान पीठ ने 4 अनुपात 3 के बहुमत से यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
दरअसल चुनाव में भ्रष्ट आचरण से संबंधित जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123 (3) में उल्लेखित शब्द 'उसके धर्म' के आशय का खुलासा करते हुए कोर्ट ने कहा, इसका आशय वोटर, प्रत्याशी व उनके एजेंटों के धर्म व जाति से है। यानी कोई भी प्रत्याशी या उनके एजेंट मतदाताओं से इन आधारों पर वोट नहीं मांग सकते। सुप्रीम कोर्ट में यह मामला कई याचिकाओं और हिंदुत्व की व्याख्या से जुड़े दो केस को जोड़ते हुए की गई सुनवाई के बाद सुनाया।
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9. सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग ठाकुर को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के अध्यक्ष पद से हटाया: सुप्रीम कोर्ट ने BCCI अध्यक्ष अनुराग ठाकुर से उनका पद छीन लिया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई में पारदर्शिता और सुधार लाने के लिए पूर्व चीफ जस्टिस आरएम लोढा की अगुवाई में एक समिति जुलाई 2015 में बनाई थी| इस समिति की सिफारिशें इस प्रकार हैं:
I. BCCI के अधिकारी लगातार दो कार्यकाल से अधिक काम नहीं कर सकते।
II. 70 वर्ष से अधिक उम्र वाले किसी भी व्यक्ति को BCCI में कोई पद नही दिया जायेगा |
III. बोर्ड का अध्यक्ष दो साल से अधिक यह पद संभाल नहीं सकता।
IV. किसी मंत्री को बोर्ड का अधिकारी नहीं बनाया जा सकता
V. प्रति राज्य एक वोट का प्रावधान। प्रॉक्सी वोटिंग की कोई व्यवस्था नहीं।
VI. IPL और BCCI के संचालन-प्रबंधन के लिए अलग संस्था
VII. सट्टेबाजी को कानूनी बनाया जाए
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