ब्रह्मांड: तारे, सूरज, क्षुद्रग्रह संक्षेप में

Jan 19, 2017, 15:56 IST

ब्रह्मांड का व्यास कम से कम 10 अरब प्रकाश वर्ष है जिसमें एक विशाल संख्या मे आकाशगंगाएँ हैं और प्रत्येक आकाशगंगा में लाखों अरबों की संख्या में तारे मौज़ूद हैं। हमारा मूल ग्रह पृथ्वी और सौर मंडल भी ऐसी ही अनेक आकाशगंगा में से एक का हिस्सा है| इसमें सभी आकाशगंगा, क्षुद्रग्रह, सौर प्रणाली और उल्का भी शामिल हैं। सभी भौतिक द्रव्य और अंतरिक्ष को मिलाकर एक पूरा ब्रह्मांड बना है। इस आर्टिकल में ब्रह्मांड: तारे, सूरज, क्षुद्रग्रह के बारे मे संक्षेप में पढेंगें|

universe

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ब्रह्मांड (Universe)

ब्रह्मांड उन सारी चीजो से बना हुआ है जो पहले से मौजूद है जैसे गैस, ब्रह्माण्डिय ऊर्जा या कण। इसमें सभी आकाशगंगा, क्षुद्रग्रह, सौर प्रणाली और उल्का भी  शामिल हैं। सभी भौतिक द्रव्य और अंतरिक्ष को मिलाकर एक पूरा ब्रह्मांड बना है। यह माना गया है कि ब्रह्मांड का व्यास कम से कम 10 अरब प्रकाश वर्ष है जिसमें एक विशाल संख्या मे आकाशगंगाएँ हैं और प्रत्येक आकाशगंगा में लाखों अरबों की संख्या में तारे मौज़ूद हैं। हमारा मूल ग्रह पृथ्वी और सौर मंडल भी ऐसी ही अनेक आकाशगंगा में से एक का हिस्सा है, जैसे:- मिल्की-वे। तारों और आकाशगंगाओं के आसपास चारों ओर ज्यादातर धूल के कण या प्रति घन सेंटीमीटर तक हाइड्रोजन के परमाणु  बिखरे होते हैं। खाली बची जगह विकिरण (जैसे -  प्रकाश और ताप), चुंबकीय क्षेत्र और उच्च ऊर्जा कणो जैसे कॉस्मिक किरणों से भरी होती हैं।

यह पता लगाया गया है कि शुरू में सम्पूर्ण ब्रह्मांड एक ही समूह मे संकेनद्रित था। ऐसा माना जाता है कि इस संकेनद्रित मास में एक विस्फोट हुआ और इसके सारे कण बिखर गये जिसके परिणामस्वरूप वर्तमान ब्रह्मांड का गठन हुआ। यह बिग बैंग थ्योरी (Big Bang Theory) के रूप मे जाना जाता है। ये यह भी बताता है कि ब्रह्मांड का विस्तार अभी भी जारी है और आकाशगंगाए हर सेकण्ड दूर होती जा रही है जिसके कारण  ब्रह्मांड का निरंतर विस्तार हो रहा है ।

तारे (Stars)

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तारे वो खगोलीय पिंड होते हैं जो अपने स्वयं के गुरुत्वाकर्षण के द्वारा गैसों की बड़ी संख्या को एक साथ रखते हैं, और  उनके कोर मे थर्मोन्यूक्लियर संलयन (thermonuclear fusion) द्वारा ही प्रकाश और अन्य दीप्तिमान ऊर्जा उत्पन्न होती है। तारों का जीवन चक्र एक निहारिका के रूप मे होता है जो कि धूल कणों और गैसों का एक समूह है, यह अनेक वर्षों तक चमकने के लिए ईंधन प्रदान करता है। हालांकि धीरे-धीरे जैसे ईंधन समय के साथ क्षीण होना शुरू होता है वैसे ही तारों का आकार भी सिकुड़ता जाता है और यह अपने जीवन के अगले चक्र मे एक लाल  विशालकाय रूप मे बदलकर प्रवेश करते हैं। लाल विशाल चरण के बाद तारों का अगला चरण तारों के समूह द्वारा निर्धारित किया जाता है। एक छोटा तारा सूर्य की तरह एक सफेद बौने तारे में परिवर्तित हो जाता है। हालांकि एक भारी वजन वाले तारे को सुपरनोवा मे बदलने के लिए एक ऊर्जावान और भारी विस्फोट से गुजरना होता है, जो बाद मे एक न्यूट्रॉन तारा या ब्लैक होल (Black Hole) मे बदल जाता है।

सूर्य (Sun)

सूर्य हमारे घर ग्रह - पृथ्वी का सबसे निकटतम तारा है और हमारे सौरमंडल के बिल्कुल केन्द्र (मध्य ) मे स्थित है। सूर्य 696000 किमी० की एक औसत व्यास के साथ पृथ्वी से 149.6 करोड़ किमी० की दूरी पर स्थित है। सूर्य के सतह के मुख्य घटक हाइड्रोजन और हीलियम है और हीलियम अणुओ को बनाने के लिए हाइड्रोजन मे निरंतर संलयन होता है जो ऊर्जा प्रदान करता है, जिसे सूर्य उत्सर्जित करता है।

सूर्य का दृश्यमान  (दिखाई पड़ने वाला ) सतह प्रभामंडल के रूप मे जाना जाता है। एक पूर्ण सूर्यग्रहण के दौरान जब सूर्य का डिस्क चंद्रमा द्वारा पूरी तरह से ढक जाता है, उस समय सूर्य के आसपास के वायुमंडल को देखा जा सकता है। यह तीन अलग भागों से बना है : वर्णमंडल, संक्रमण क्षेत्र और कोरोना जो साथ मिलकर हेलिओस्फियर का निर्माण करते हैं। सूर्य के सबसे ठंडी परत का तापमान लगभग 4100 किमी० है जो प्रभामंडल से 500 किमी० की दूरी पर स्थित है। आज सूर्य मोटे तौर पर अपने जीवन के सबसे अधिक स्थिर भाग से आधे दूरी पर है। यह नाटकीय रूप से चार अरब वर्षों से नही बदला है और काफी हद तक चार और वर्षो तक स्थिर रहेगा। मगर इसके कोर मे हाइड्रोजन संलयन बंद होने या रूक जाने पर सूर्य को एक गंभीर आंतरिक और बाह्य दोनो परिवर्तन से गुजरना होगा।  

अब तक के प्रमुख सौर मिशनों का एक संक्षिप्त परिचय

क्षुद्रग्रह (Asteroids)

Asteroids

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क्षुद्रग्रह लघु ग्रह होते है, जो मुख्य रूप से आंतरिक सौर प्रणाली मे स्थित हैं। बड़े क्षुद्रग्रहों को ग्रहों के रूप मे भी जाना जाता है। मंगल और बृहस्पति की कक्षाओ के बीच में क्षुद्रग्रहो का बेल्ट है जिसमें ज्ञात क्षुद्रग्रहों की भारी संख्या है। हर अलग अलग विशिष्ट क्षुद्रग्रहों को उनकी विशेषता स्पेक्ट्रा द्वारा मुख्यतः तीन समूहो मे वर्गीकृत किया गया है :- सी प्रकार, एम प्रकार और एस प्रकार (C-type, M-type, and S-type) । 4 वेस्टा (4 Vesta) एकमात्र ऐसा क्षुद्रग्रह है जिसके पास परावर्तक सतह है, सामान्य रूप से यह नग्न आँखो द्वारा दिखाई देता है और ऐसा  केवल तभी होता है जब गहरे काले आकाश में यह अपने अनुकूल स्थान पर मौजूद हो। क्षुद्रग्रहों मे सबसे बड़े क्षुद्रग्रह सायरस ( Ceres) को सबसे पहले खोजा गया। एक अन्य छोटा ग्रह पालस  (pallas) को विल्हेम ओल्बर्स (Wilhelm Olbers) द्वारा ढूंढा गया। इसके बाद जूनो (Juno) (1804) और वेस्ता  (Vesta) (1807) ने भी इसकी खोज की।                      

उल्का (Meteors)

Meteors

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उल्का को शूटिंग तारा (shooting stars) या टूटता तारा के नाम से भी जाना जाता है और आकाश में एक चमकदार रोशनी की लकीर के रूप मे यह दिखाई देता है, जब एक उल्का पिंड  या जब एक धूमकेतु या क्षुद्रग्रह पृथ्वी के वायुमंडल मे 20 किमी०/से० की गति से प्रवेश करता है जिसका पृथ्वी के वायुमंडल से घर्षण के कारण प्रकाश की  एक लकीर पैदा होती है। लगभग सभी उल्का पिंडो मे बहि: पार्थिव (extraterrestrial) निकेल (nickel) और लोहा होता है। इसके तीन  मुख्यत: वर्गीकरण है- लोहा, पत्थर और पथरीला लोहा। कुछ पत्थरों का उल्का पिंड मे अनाज के समान समावेशन होता है जिसे कोंड्रृल्स (chondrules) और कोंड्राइटस (chondrites) कहा जाता है। इन विशेषताओं के बिना पथरीले उल्का पिंडो को एकोंड्राइटस ("achondrites") कहा जाता है। सबसे प्रसिद्ध 'उल्का तूफान ' को लियोनिद शॉवर से जोड़ा जाता है, जो हर साल 14 और 20 नवम्बर के बीच होता है। यह झरना (शॉवर) अतीत मे बहुत सक्रिय था जिस कारण यह गिरते बर्फ जैसा दिखाई देता था ।

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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