भारत में उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्व से लेकर पश्चिम तक आपको कई नदियों का प्रवाह देखने को मिल जाएगा। इसमें कुछ नदियां अरब सागर में जाकर मिल जाती है, तो कुछ नदियों का अंत बंगाल की खाड़ी में हो जाता है।
ये नदियां एक तरफ जहां पीने के पानी की जरूरतों को पूरी करती हैं, तो दूसरी तरफ सिंचाई के लिए भी ये उतनी ही जरूरी हैं। आपने भारत की बहुत-सी नदियों के बारे में पढ़ा और सुना होगा। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भारत की पांच सबसे गहरी नदियां कौन-सी हैं। यदि आप नहीं जानते हैं, तो इस लेख के माध्यम से हम नदियों के संबंध में अपने ज्ञान को बढ़ाएंगे।
भारत की सबसे गहरी नदी
भारत में बहने वाली सबसे गहरी नदी की बात करें, तो यह सिंधु नदी है। यह नदी लेह से होते हुए इस्लामाबाद और कराची शहर तक जाती हैं। इसकी कुल गहराई की बात करें, तो यह करीब 200 मीटर तक गहरी है। एक किलोमीटर में 1000 मीटर होते हैं, ऐसे में आप इसकी गहराई का अंदाजा लगा सकते हैं।
भारत की दूसरी सबसे गहरी नदी
भारत की दूसरी सबसे गहरी नदी की बात करें, तो यह ब्रह्मपुत्र नदी है, जो कि असम से होते हुए बांग्लादेश तक पहुंचती है। यह डिब्रूगढ़, ल्हासा और ढाका जैसे प्रमुख शहरों में बहती है। इसकी कुल गहराई की बात करें, तो यह 140 मीटर गहरी है।
भारत की तीसरी सबसे गहरी नदी
भारत की तीसरी सबसे गहरी नदी कावेरी नदी है। यह कर्नाटक में कुर्ग शहर के ब्रह्मगिरी पहाड़ियों से निकलती है और मैसूर होते हुए थंजावुर जैसे शहरों में बहती है। इसकी कुल गहराई की बात करें, तो यह करीब 120 मीटर गहरी है। आपको बता दें कि कुर्ग शहर को हम धरती के दूसरे स्वर्ग के रूप में भी जानते हैं, जो कि अपनी खूबसूरत वादियों के लिए जाना जाता है।
भारत की चौथी सबसे गहरी नदी
भारत की चौथी सबसे गहरी नदी कृष्णा नदी है, जो कि पश्चिमी घाट पर स्थित महाराष्ट्र में महाबलेश्वर की पहाड़ियों से निकलती है। यहां से निकलने के बाद यह विजयवाड़ा जैसे प्रमुख शहरों से होते हुए राजमुंद्री जैसे शहरों तक पहुंचती है। इसकी गहराई की बात करें, तो यह करीब 100 मीटर गहरी है।
भारत की पांचवी सबसे गहरी नदी
भारत की पांचवी की सबसे गहरी नदी की बात करें, तो यह गोदावरी नदी है। यह नदी महाराष्ट्र के नासिक जिले के त्रयंबकेश्वर की पहाड़ियों से निकलती है और नांदेड़ से होते हुए राजमहेंद्रवर्मन जैसे शहरों में बहती है। इसकी कुल लंबाई 1465 किलोमीटर व गहराई 80 मीटर है। गोदावरी के उद्गम स्थल के पास ही भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक शिवलिंग त्रयंबकेश्वर मौजूद है।
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