भारत में पिछले कुछ सालों से बैंकिंग क्षेत्र काफी परेशानी से गुजर रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण है, बैंक का लोन ना चुकाने वालों की संख्या में वृद्धि, इनमें प्रमुख नाम हैं, विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी इत्यादि.
इन सब जानबूझकर लोन ना चुकाने वालों के कारण देश के सरकारी और निजी बैंकों का कुल NPA या गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां, मार्च 2020 तक ,10 लाख करोड़ रुपये पहुँच गया था.
गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां (NPAs) किसे कहा जाता है? (What is the definition of NPA)
बैंक उधारकर्ताओं को ऋण और अग्रिम देते हैं. ऋण के प्रदर्शन के आधार पर, इसे निम्न के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है:
(i). एक मानक संपत्ति (ऐसा ऋण जिसे उधारकर्ता नियमित पुनर्भुगतान कर रहा है), या
(ii). गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA),ऐसा लोन जिसके उधारकर्ता ने 90 से ब्याज या मूलधन का पुनर्भुगतान करना बंद कर दिया है या 3 महीने से EMI नहीं चुकाई है. इन NPA को बैड लोन (Bad Loan) भी कहा जाता है.
इंडियन बैंकिंग एसोसिएशन ने रिज़र्व बैंक और वित्त मंत्रालय से सिफारिश की है कि इस बैड लोन की समस्या से निजात पाने के लिए देश में एक बैड बैंक (Bad Bank) खोला जाना चाहिए.
बैड बैंक क्या होता है? (Bad Bank Definition)
विश्व में बैड बैंक स्थापित करने का सबसे पहला विचार अमेरिका में 1988 दिया गया था. भारत में बैड बैंक की स्थापना का सबसे पहला विचार 2017 के आर्थिक सर्वे में दिया गया था और इसका नाम ‘PARA’ (Public sector asset Rehabilitation Agency) रखने का सुझाव दिया था.
भारतीय रिज़र्व बैंक ने भी बैड बैंक की स्थापना के सुझाव दिए थे और उसने ये नाम सुझाये थे; PAMC (Private Asset Management Company) और NAMC (National Assets Management Company).
इस प्रकार बैड बैंक एक ऐसा बैंक होता है जो कि मुख्य रूप से बैड लोन की रिकवरी में डील करता है. बैड बैंक, कमर्शियल बैंकों के NPA या बैड लोन को सस्ते दामों पर खरीद लेता है, फिर अपने हिसाब से इस बैड लोन की वसूली करता है.
अर्थत बैड बैंक, उस लोन की रिकवरी करता है जिसे मुख्य कमर्शियल बैंक ने अपनी अकाउंट बुक में बैड लोन घोषित कर दिया है या राईट ऑफ (Write Off) कर दिया है.
IBA की अनुशंसाओं के अनुसार, 'बैड बैंक' को शुरू में लगभग 10,000 करोड़ रुपये की पूंजी की आवश्यकता होगी, जो कि भारत सरकार द्वारा पूरी तरह से प्रदान की जानी चाहिए.
बैड बैंक कैसे काम करता है (How Bad Bank works)
उदाहरण: मान लो कि पंजाब नेशनल बैंक (PNB) ने 100 करोड़ का लोन दिया और उसे रिकवरी के रूप में उसे केवल 70 करोड़ रुपये मिले अर्थात 30 करोड़ रुपये वापस नहीं आये. इस प्रकार यह 30 करोड़ रुपये उसकी अकाउंट बुक में बैड लोन या NPA घोषित कर दिया है और बैंक को इस लोन के वापस आने की कम उम्मीद है.
अब यहाँ पर बैड बैंक का काम शुरू होता है. अब मान लो PNB, इस बैड लोन को बैड बैंक को बेच देता है और बदले में 20 करोड़ रुपये ले लेता है.
इस प्रकार अब यह बैड लोन वसूलने की जिम्मेदारी बैड बैंक के कन्धों पर आ गयी है क्योंकि यदि बैड बैंक को यह लोन किसी कारण से वापस नहीं मिलता है तो उसे 20 करोड़ रुपये का घाटा हो जायेगा. यदि यह बैड लोन वापस वसूल लिया जाता है तो उसे 10 करोड़ का फायदा हो जायेगा क्योंकि उसने 30 करोड़ का बैड लोन सिर्फ 20 करोड़ में खरीदा था.
सन 2012 में स्पेन ने आर्थिक संकट के दौरान ऐसे ही बैड बैंकों का सहारा लिया था.
बैड बैंक बनाने के फायदे (Profits of Bad Bank)
1. इससे कमर्शियल बैंक अपने कोर बैंकिंग एक्टिविटी पर पूरा ध्यान दे सकेंगे.
2. कमर्शियल बैंकों का NPA कम होगा जिससे उनके ऊपर जनता का भरोसा बढेगा.
3. कमर्शियल बैंकों की वित्तीय हालात सुधरेगी जिससे वे अन्य क्षेत्रों को जरूरत के हिसाब से लोन दे सकेंगे.
लेकिन अगर देश के बैंकों का बैड लोन ख़त्म करना इतना आसान होता तो बैड बैंक को अभी तक बना दिया गया होता. क्योंकि अगर, बैड बैंक भी बैड लोन को रिकवर ना कर पाए तो उनको भी घाटा हो सकता है. फिर यह एक तरह से ‘इसकी टोपी उसके सिर’ रखने वाली बात होगी.
अब इंतजार करते हैं कि कब इसकी स्थापना के लिए पहल शुरू होती है और इसके पास लोन वसूलने के कैसे अधिकार आते हैं?
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