पूरे विश्व में कोविड 19 को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन किया गया जिसके कारण भारत सहित पूरे विश्व में आर्थिक गतिविधियाँ ठप्प पड़ गयीं. इन आर्थिक गतिविधियाँ को दुबारा शुरू करने और अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों उबारने के लिए लगभग हर देश ने आर्थिक पैकेज की घोषणा की है. जापान ने अपनी GDP का 21%, अमेरिका 13%, स्वीडन 12% और जर्मनी 10.7% और भारत ने अपनी GDP का लगभग 10% हिस्सा आर्थिक पैकेज के तौर पर दिया है.
आर्थिक पैकेज क्या होता है? (What is called Economic Package?)
साधारण शब्दों में कहें तो आर्थिक पैकेज का मतलब देश की अर्थव्यवस्था में भाग लेने वाले सभी आर्थिक कारकों (आम जनता, किसान, मजदूर, बड़ी कम्पनियाँ, छोटे और मझोले उद्योगों और निवेशकों) के लिए आर्थिक सहायता होती है जिसकी मदद से ये सभी लोग अपनी गतिविधियों को ठीक से चला सकें.
आर्थिक पैकेज का विभिन्न सेक्टर्स पर असर
इस पैकेज में छोटी, मझोली और बड़ी कंपनियों को करों में राहत दी जाती है जिससे उनकी उत्पादन लागत कम हो जाती है और वे उत्पादन बढ़ाने के लिए लोगों को नौकरी देते हैं, जिससे इकॉनमी में मांग बढ़ने लगती है और विभिन्न सेक्टर्स में रोजगार और आर्थिक गतिविधियाँ भी तेज होने लगतीं हैं.
कंपनियों को आसान और सस्ती दरों पर लोन उपलब्ध कराया जाता है जिससे वे नयी मशीनरी और कच्चा माल खरीदते हैं.
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इस पैकेज में देश में निवेश करने वाली कंपनियों को लुभाने के उपाय शामिल होते हैं इसमें देश में निवेश की शर्तों को आसान बनाया जाता है और किसी प्रोजेक्ट को स्टार्ट करने के लिए जल्दी अप्रूवल दिए जाते हैं.
किसानों को राहत के तौर पर खाद, बीज और टेक्निकल इक्विपमेंट खरीदने के लिए सस्ता लोन दिया जाता है, जो किसान कर्ज में दबे हैं उनके कर्ज की माफ़ी भी की जाती है.
‘मजदूर वर्ग के लिए रोगजार और ट्रेनिंग के अवसर उपलब्ध कराये जाते हैं और उन्हें बहुत कम दामों पर और फ्री में भी खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाता है.
इसी प्रकार से इस आर्थिक पैकेज के माध्यम से देश में आर्थिक वातावरण को ठीक किया जाता है और सभी वर्गों के हितों का ध्यान रखा जाता है.
आर्थिक पैकेज क्यों दिया जाता है (Why is Economic Package given?)
कोरोना महामारी के कारण पूरी दुनिया में आर्थिक गतिविधियाँ ठप्प हैं जिसके कारण लोगों की नौकरियां जा रहीं हैं और परिणामतः पूरे विश्व में वस्तुओं और सेवाओं की मांग घट रही है जिसके कारण सरकार को मिलने वाले विभिन्न कर जैसे उत्पाद कर, बिक्री कर, आय कर, संपत्ति कर और अन्य अप्रत्यक्ष कर नहीं मिल पा रहे हैं और सरकार का खजाना भरने के बजाये खाली होता जा रहा है.
इसलिए सरकार इस बुरे कुचक्र को तोड़ने के लिए आर्थिक पैकेज देती है जिससे कि कम्पनियों के ऊपर ‘कर भार’ कम हो जिसके कारण वे अपनी उत्पादन गतिविधियाँ चालू कर सकें और ज्यादा लोगों को रोजगार दे सकें. इस प्रकार आर्थिक पैकेज के कारण एक सकारात्मक चक्र के द्वारा अर्थव्यवस्था दुबारा पटरी पर आ जाएगी.
उम्मीद है कि इस 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज से देश में बैंकिंग, कृषि, मध्यम एवं लघु क्षेत्र के उद्योगों, विदेशीं निवेशकों, खुदरा व्यापारियों सभी को लाभ मिलेगा और देश इस आपदा की घडी से सीख लेते लिए इस आपदा को अवसर में बदलने की दिशा में आगे बढेगा.
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