तब्लीगी जमात क्या है?| इतिहास, उत्पत्ति और कार्य

Apr 7, 2020, 18:09 IST

भारत में, COVID-19 पॉजिटिव मामले 4000 से अधिक हो गए हैं और 100 से अधिक लोग मारे गए हैं. पिछले कुछ दिनों में, कई राज्यों में कोरोनोवायरस के 1000 से अधिक सकारात्मक मामले पाए गए हैं जो तब्लीगी जमात मण्डली से जुड़े हुए हैं. क्या आप तब्लीगी जमात, उनके इतिहास, उत्पत्ति और कार्यप्रणाली के बारे में जानते हैं? आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं.

What is Tablighi Jamaat?
What is Tablighi Jamaat?

हजारों इस्लामिक धार्मिक संगठन (तब्लीगी जमात) भारत के तब्लीगी जमात के मुख्यालय निजामुद्दीन, दिल्ली में 'मरकज़' में एकत्रित हुए थे. इन लोगों में कोरोनोवायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है और इसलिए ये भारत में आज एक चिंता का विषय बने हुए हैं.

तब्लीगी जमात क्या है?

तब्लीगी जमात एक धर्मांतरण और रूढ़िवादी समूह है जो इस्लामिक विचारों और पारंपरिक इस्लाम का अनुमोदन करता है. मूल रूप से, ये प्रशिक्षित मिशनरी हैं जिन्होंने दुनिया भर में इस्लाम फैलाने में अपना अधिकांश जीवन समर्पित कर दिया है. वे आम मुसलमानों तक पहुंचते हैं और उनके विश्वास को पुनर्जीवित करते हैं, मुख्य रूप से अनुष्ठान, पोशाक, व्यक्तिगत व्यवहार और इसी तरह के मामलों में. कुछ शिक्षाविदों ने इस समूह को एक व्यक्तिगत भक्ति आंदोलन के रूप में वर्णित किया है जो व्यक्तिगत विश्वास, आत्मनिरीक्षण और आध्यात्मिक विकास पर जोर देता है. यहीं आपको बता दें कि जमात का अर्थ है लोगों का समूह और मरकज का मीटिंग या बैठक की जगह.

जैसा कि हम जानते हैं कि मुसलमान कुरान पढ़ते हैं, हदीस और संबंधित किताबें पढ़ते हैं, इसके अलावा, तब्लीगी लोग, तब्लीगी निसाब, सात निबंध जो कि 1920 के दशक में मौलाना इलियास के एक साथी द्वारा लिखे गए थे को भी पढ़ते हैं  और इसका अनुसरण करते हैं.

जानें घर में बने मास्क कैसे कोरोना से बचा सकते हैं?

तब्लीगी जमात के मूल सिद्धांत या उसूल

कलिमा (declaration of faith)

सलात (पांच वक्त की नमाज)

इल्म-ओ-ज़िक्र (ज्ञान)

इक्राम-ए-मुस्लिम (मुस्लिम का सम्मान)

इख्लास-ए-निय्यत (इरादे की ईमानदारी)

तफ्रीह-ए-वक़्त (sparing time)

दावत-ओ-तबलीग (Proselytisaton)

तब्लीगी जमात: इतिहास और उत्पत्ति

मौलाना मोहम्मद इलियास कंधालवी (Maulana Muhammad Ilyas Khandhalawi) ने 1927 में मेवात, भारत में तब्लीगी जमात की स्थापना की. वे प्रमुख देवबंदी मौलवी, विद्वान और तब्लीगी जमात के प्रस्तावक थे. यह एक आंदोलन था जिसे व्यक्तिगत धार्मिक प्रथाओं में सुधार और इस्लामी आस्था के साथ-साथ मुस्लिम अल्पसंख्यक आबादी की रक्षा के लिए शुरू किया गया था.

इलियास के बाद से, तब्लीगी जमात के नेता शादी या खून से संबंधित रहे हैं और 1944 में मौलाना मोहम्मद इलियास कंधालवी की मृत्यु के बाद, उनके पुत्र मौलाना मुहम्मद यूसुफ ने इसका नेतृत्व किया. भारत के विभाजन के बाद, तब्लीगी जमात पाकिस्तान के नए राष्ट्र में तेजी से फैल गए.

1950 और उसके बाद, यह अखिल भारतीय और पूरे विश्व में फैल गया था. 1970 के दशक में, गैर-मुस्लिम क्षेत्रों में आंदोलन की तीव्र पैठ शुरू हुई और यह सऊदी वहाबियों और दक्षिण एशियाई देवबंदियों के बीच एक सहक्रियात्मक संबंध की स्थापना के साथ मेल खाता है.

बीसवीं शताब्दी के अंत में, सबसे प्रभावशाली वहाबी धर्मगुरु अब्द अल-अज़ीज़ इब्न बाज़ (Sheikh Abd al-Aziz ibn Baz) ने तब्लीगीयों के अच्छे काम को मान्यता दी और उनके वहाबी भाइयों को उनके साथ मिशन पर जाने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि वे मार्गदर्शन और सलाह दे सकें. ऐसा भी कहा जाता है कि तब्लीगी जमात देवबंदी आंदोलन का ही एक हिस्सा हैं.

लेकिन यहां यह बात ध्यान रखने वाली है कि; तब्लीगी लोग सूफ़ियों के आदेश में विश्वास नहीं करते हैं, लेकिन मुस्लिमों के भीतर कुछ समुदाय इसे मानते हैं और खुद को सुन्नियों के रूप में बुलाते हैं.

दो दशकों में यह संगठन बड़ा हुआ और भारत के कई हिस्सों में स्थापित हुआ. वर्तमान में संगठन में लगभग 150-250 मिलियन सदस्य हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, इंडोनेशिया, मलेशिया, सिंगापुर इत्यादि में भी इसकी अच्छी उपस्थिति है.

देवबंदी आंदोलन के बारे में

देवबंद आंदोलन की स्थापना सहारनपुर जिले (संयुक्त प्रांत, अब उत्तर प्रदेश) में मोहम्मद कासिम नानोत्वी (Mohammad Qasim Nanotvi) और रशीद अहमद गंगोही (Rashid Ahmed Ganghoi) द्वारा लगभग 1866-67 में की गई थी ताकि मुस्लिम समुदाय के बीच धार्मिक शिक्षाओं का प्रसार किया जा सके और ब्रिटिश उपनिवेशवाद का विरोध किया जा सके. मुख्य उद्देश्य मुसलमानों के बीच कुरान और हदीस की शुद्ध शिक्षाओं का प्रचार करना है.

मरकज निजामुद्दीन क्या है?

तब्लीगी जमात का भारतीय मुख्यालय निज़ामुद्दीन में स्थित है जो मरकज के नाम से प्रसिद्ध है. इसका नेतृत्व मौलाना मुहम्मद इलियास के परपोते मौलाना साद कंधालवी ने किया है. जब भी तब्लीगी लोग भारत या भारतीय उपमहाद्वीप में इस्लामी प्रथाओं का प्रचार करने के लिए जाते हैं, तो वे एक बार मरकज में जाते हैं. ये उपदेशक अग्रिम रूप से अच्छी तरह से निर्धारित किए जाते हैं और मरकज एक छात्रावास और तब्लीगी लोगों के आवास के रूप में कार्य करता है. मरकज किसी भी समय 9000 से अधिक लोगों को समायोजित कर सकता है और यहां प्रचारक कई अनुदेशात्मक गतिविधियों में भाग लेते हैं.

मण्डली कार्यों में, वे खुद को छोटे समूहों में विभाजित करते हैं और एक वरिष्ठ सदस्य को उस समूह के नेता के रूप में नियुक्त करते हैं. ये समूह मुसलमानों के बीच इस्लामिक प्रथाओं का प्रसार करने के लिए मस्जिदों के माध्यम से निर्दिष्ट स्थलों का दौरा करते हैं.

तो अब आपको तब्लीगी जमात, उनके कार्यकाल और कार्यों के बारे में ज्ञात हो गया होगा.

Lockdown और Curfew में क्या अंतर होता है?

कोरोनावायरस हेल्पलाइन इंडिया: आधिकारिक फोन नंबरों की सूची

 

 

 

 

 

 

 

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
... Read More

आप जागरण जोश पर भारत, विश्व समाचार, खेल के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए समसामयिक सामान्य ज्ञान, सूची, जीके हिंदी और क्विज प्राप्त कर सकते है. आप यहां से कर्रेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें.

Trending

Latest Education News