केसर दुनिया का सबसे महंगा मसाला है, जिसे अपनी बेहतरीन सुगंध और रंग के लिए जाना जाता है। यह एक बारहमासी जड़ी बूटी है, जिसका उपयोग खाद्य पदार्थों के साथ-साथ औषधीय, दवा और इत्र में भी किया जाता है। केसर को ‘लाल सोने’ के नाम से भी जाना जाता है। कश्मीर का पंपोर नगर केसर का सबसे बड़ा उत्पादक है। लेकिन, कश्मीर के दूसरे जिलों में भी केसर का काफी उत्पादन किया जाता है।
इस फसल को सूखा करेवा मिट्टी पर उगाया जाता है, जहां केसर को अच्छी वृद्धि और फूल उत्पादन के लिए आदर्श जलवायु मिलती है। आईआईआईएम (CSIR -IIIM) साल 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू और कश्मीर भारत का एकमात्र राज्य है जहां केसर का उत्पादन होता है। स्पेन 600 हेक्टेयर भूमि के साथ तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, जिसकी औसत उत्पादकता 8.33 किलोग्राम / हेक्टेयर है जो दुनिया में सबसे अधिक है। ‘केसर भूमि’ कहे जाने वाले पंपोर नगर के बारे में जानने के लिए आगे लेख पढ़ें।
जम्मू और कश्मीर में जिलों की संख्या
जम्मू और कश्मीर में कुल 20 जिले हैं। इन जिलों को दो भागों में बांटा गया है, पहला डिवीजन जम्मू और दूसरा कश्मीर है। यह प्रत्येक जिले अपनी विशेष पहचान रखते हैं।
जम्मू-कश्मीर की ‘केसर की भूमि’
जम्मू-कश्मीर में केसर की खेती मुख्य रूप से चार जिलों (पुलवामा, बडगाम, श्रीनगर, किश्तवाड़) में की जाती है, जिसमें 86% केसर की खेती 3200 हेक्टेयर से अधिक हेरिटेज स्थल पंपोर में की जाती है। जम्मू-कश्मीर के पंपोर नगर को ‘केसर की भूमि’ के रूप में भी जाना जाता है।
कश्मीरी केसर दुनिया के सबसे बेहतरीन केसर में से एक है। इस फसल को उगाने में बहुत धैर्य की जरूरत होती है। प्रत्येक नाजुक बैंगनी फूल सिर्फ तीन छोटे लाल केसर पैदा करता है, जिसे सावधानी के साथ तोड़ा जाता है।
सोने से भी कीमती केसर
केसर की कीमत प्रति ग्राम सोने से भी ज्यादा इसलिए है क्योंकि सिर्फ एक पाउंड केसर पैदा करने के लिए लगभग 75,000 फूलों की जरूरत होती है। केसर की एक फसल को तैयार होने में छह से सात महीने का वक्त लगता है।
यहां की उपजाऊ मिट्टी और ठंडा मौसम फूलों को अच्छी तरह से खिलने में मदद करता है। जम्मू-कश्मीर में केसर की खेती स्थानीय जीवन और परंपरा का एक बड़ा हिस्सा है। यह कई परिवारों का भरण-पोषण भी करता है और इसकी अनूठी और समृद्ध गुणवत्ता के लिए इसे जीआई टैग भी मिला है।
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