भारत में किलों का सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और सामरिक महत्त्व है। किले एक तरफ भारतीय इतिहास की शौर्य गाथाओं का प्रतीक हैं, तो दूसरी तरफ ये सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक हैं। भारत के विभिन्न जिलों में स्थित किले वास्तुकला, कला और शासकीय व्यवस्था का केंद्र रहे हैं।
आपने भारत के अलग-अलग किलों के बारे में पढ़ा और सुना होगा। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भारत के किस किले को हम दक्षिण का प्रवेश द्वार भी कहते हैं, यदि नहीं जानते हैं, तो इस लेख के माध्यम से हम सामान्य अध्ययन से जुड़ी इस जानकारी को बढ़ाएंगे।
भारत में कितने किले हैं
सबसे पहले हम यह जान लेते हैं कि भारत में कितने किले मौजूद हैं, तो आपको बता दें कि कुछ किताबों में दी गई जानकारी के मुताबिक, भारत में छोटे-बड़े किलों को मिलाकर लगभग करीब 571 किले मौजूद हैं।
किस किले को कहा जाता दक्षिण का प्रवेश द्वार
अब सवाल है कि आखिर किस किले को दक्षिण का प्रवेश द्वार कहा जाता है, तो आपको बता दें कि असीरगढ़ के किले को दक्षिण का प्रवेश द्वार कहा जाता है।
किस शहर में है असीरगढ़ का किला
आपको बता दें कि असीरगढ़ का किला मध्य प्रदेश राज्य के बुरहानपुर जिले में स्थित है।
किसने करवाया था किले का निर्माण
प्रसिद्ध इतिहासकार 'मोहम्मद कासिम' के कथनानुसार इस किले का निर्माण यादव वंश के क्षत्रिय राजा आशा अहीर द्वारा करवाया गया था। ऐसा कहा जाता है कि उनके पास हजारों की संख्या में गाय थी। ऐसे में गायों की सुरक्षा के लिए सुरक्षित स्थान की आवश्यकता थी।
ऐसा कहा जाता है कि वह पंद्रहवीं शताब्दी में यहां आएं और ईट मिट्टी, चूना और पत्थरों की ऊंची दीवारों का निर्माण करवाया। साथ ही, प्रवेश के लिए भारीभरकम दरवाजे का निर्माण भी करवाया। ऐसे में किले के नाम आशा अहीर के नाम से असीरगढ़ हो गया।
क्यों कहा जाता है दक्षिण का प्रवेश द्वार
अब सवाल है कि आखिर इस किले को ही दक्षिण का प्रवेश द्वार क्यों कहा जाता है, तो आपको बता दें कि यह किला सतपुड़ा की पहाड़ियों पर स्थित है और इतिहासकारों ने इस किले का बाब-ए-दक्खन(दक्षिण द्वार) नाम से उल्लेख किया है। इतिहासकारों के मुताबिक, इस किले पर विजय के बाद दक्षिण में प्रवेश के द्वार खुल जाते थे। ऐसे में इस किले को दक्षिण का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है।
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