दुनिया के सभी देशों में नदियों का विशेष महत्त्व है। हालांकि, जब बात भारत की होती है, तो यहां नदियां सिर्फ पीने के पानी या सिंचाई तक सीमित नहीं है, बल्कि यहां नदियों से लोगों की आस्थाएं भी जुड़ी हुई हैं। नदियों को भारत में मां का दर्जा प्राप्त है और यही वजह है कि नदियों के घाटों पर हमें सुबह-शाम आरती का मनमोहक दृश्य देखने को मिलता है।
वहीं, भारत में जब भी प्रमुख नदियों की बात होती है, तो इसमें गंगा नदी का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। हालांकि, क्या आप जानते हैं कि भारत की एक नदी को हम पुरानी गंगा के नाम से भी जानते हैं, यदि नहीं, तो इस लेख के माध्यम से हम इस बारे में जानेंगे।
गंगा नदी का महत्त्व
गंगा नदी का स्थान भारत की संस्कृति, सामाज और आर्थिक विकास में महत्त्वपूर्ण है। एक तरफ इसे सबसे पवित्र नदी के रूप में पूजकर मांं का दर्जा देकर मोक्ष प्रदान करने वाली नदी के रूप में जाना जाता है। तो, दूसरी तरफ इस नदी का भारत की कृषि व जलविद्युत परियोजनाओं में विशेष योगदान है।
वहीं, पर्वावरणीय रूप से भी इस नदी में हमें विभिन्न प्रकार के वनस्पति और जंतु पाए जाते हैं। विलुप्ती की कगार पर स्थित डॉल्फिन भारत में सिर्फ ब्रह्मपुत्र और गंगा नदी में ही मिलती हैं। पर्यटन के लिहाज से भी इस नदी का अधिक महत्त्व है। यही वजह है इसके किनारे बसे कई प्रमुख शहरों में लोग पर्यटन के लिए पहुंचते हैं।
गंगा की कुल लंबाई
गंगा की कुल लंबाई की बात करें, तो यह कुल 2525 किलोमीटर है। यह उत्तराखंड से निकलने के बाद उत्तर प्रदेश में एक हजार किलोमीटर से अधिक सफर तय कर बिहार होते हुए झारखंड और पश्चिम बंगाल से होते हुए अंत में बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है। यह भारत और बांग्लादेश की सीमांत नदी है।
किस नदी को कहा जाता है पुरानी गंगा
अब सवाल है कि आखिर किस नदी को हम पुरानी गंगा के नाम से जानते हैं, तो आपको बता दें कि गोदावरी नदी को हम पुरानी गंगा के नाम से जानते हैं।
क्यों कहा जाता है पुरानी गंगा
गोदावरी नदी प्रायद्विपीय भारत की सबसे बड़ी नदी है और यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी नदी भी है। इस नदी का उद्गम महाराष्ट्र में त्रय्बंकेश्वर से होता है। यहां से निकलने के बाद यह नदी आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ में बहती है। इस नदी की कुल लंबाई की बात करें, तो यह कुल 1465 किलोमीटर लंबी है। ऐसे में इस नदी को हम पुरानी गंगा या वृद्ध गंगा के नाम से भी जानते हैं।
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