सप्ताह में सात दिन होते हैं, यह बात हम सभी जानते हैं, जिसका ज्ञान हमें बचपन में ही मिल गया था। इसके बाद कॉलेज और कॉलेज से लेकर नौकरी व व्यावसाय तक हम इन सात दिनों के हिसाब से अपना शेड्यूल बनाते हैं। वर्तमान में भी यदि किसी बच्चे का स्कूल में दाखिला होता है, तो उसे प्राथमिक स्तर पर ही महीने और साप्ताहिक दिनों के बारे में पढ़ाया जाता है।
इन सात दिनों का हमारे जीवन में अधिक महत्व है, फिर चाहे वह सप्ताह का पहला दिन सोमवार हो या फिर अवकाश का दिन शनिवार या रविवार, हर दिन की अपनी अहमियत है। हालांकि, क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर महीने में चार सप्ताह और एक सप्ताह में सात दिन ही क्यों होते हैं। यदि नहीं, तो आपको ज्यादा सोचने की आवश्कता नहीं है, क्योंकि इस लेख के माध्यम से हम इस सवाल का जवाब जानेंगे।
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समय की गणना के लिए तीन आधार
पुराने समय से ही समय की गणना के लिए तीन आधार बनाए गए थे, जिसमें पहला आधार पृथ्वी, तो दूसरा आधार सूर्य और तीसरा आधार चंद्रमा था। इन तीनों के आधार पर ही समय की गणना की गई। यहां इस बात को समझना जरूरी है कि पृथ्वी अपने अक्ष पर एक चक्कर पूरा करने में जो समय लेती है, वह 24 घंटे का समय है। वहीं, चंद्रमा पृथ्वी का एक चक्कर पूरा करने में एक महीने का समय लेता है, तो यहां से हम एक महीना मिल गया।
एक महीने में क्यों होते हैं चार सप्ताह
अब सवाल है कि एक महीने में चार सप्ताह क्यों होते हैं, तो आपको बता दें कि एक महीने के समय को सात गृहों की खगोलीय उपस्थिति के कारण चार भागों में बांटा गया है। इस एक भाग को ही सप्ताह कहा जाता है। वहीं, इस भाग के सात उपभाग होते हैं, जिसमें एक उपभाग 24 घंटे के बराबर होता है।
पहले 8 से 10 दिनों का हुआ करता था सप्ताह
रोम और मिस्र की सभ्यताओं की बात करें, तो यहां 8 से 10 दिनों का एक सप्ताह हुआ करता था। इसमें भी आखिरी के दिनों को पूजा-पाठ के लिए रखा जाता था। वहीं, इराक के बेबीलोन में सबसे पहले सात दिनों को लेकर मंथन किया गया था। इसके बाद से सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति और शुक्र ग्रहों की गति के आधार पर सप्ताह के दिन बने।
भारत में 7 दिनों का सप्ताह
भारत में सात दिनों का सप्ताह सिकंदर के आक्रमण के बाद से शुरू हुआ बताया जाता है। क्योंकि, इसके बाद से ही ग्रीस कल्चर का विस्तार हुआ और यहां से सात दिनों को एक सप्ताह में शामिल किया गया।
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