विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस

Apr 2, 2018, 16:31 IST

सम्पूर्ण विश्व में 2 अप्रैल को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस मनाया जाता है. ऑटिज्म (Autism) एक आजीवन न्यूरोलॉजिकल स्थिति है जो लिंग, जाति या सामाजिक-आर्थिक स्थिति के बावजूद बचपन में हो जाती है. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते है कि विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस क्यों मनाया जाता है, ऑटिज्म कैसी बिमारी है, इसके क्या लक्षण है, कैसे होती है आदि.

World Austism Awareness Day
World Austism Awareness Day

प्रत्येक वर्ष 2 अप्रॅल को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस (World Autism Awareness Day) पूरी दुनिया में मनाया जाता है. 2 अप्रैल 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने इस दिन को विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस घोषित किया था. पूरे विश्व में आत्मकेंद्रित बच्चों और बड़ों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के सदस्य राज्यों को प्रोत्साहित करता है और पीड़ित लोगों को सार्थक जीवन बिताने में सहायता देता है. क्या आप जानते हैं कि नीले रंग को ऑटिज्म का प्रतीक माना गया है. इस बीमारी की चपेट में आने के बालिकाओं के मुकाबले बालकों की ज्याहदा संभावना है. इस बीमारी को पहचानने का कोई निश्चित तरीका अभी तक ज्ञात नहीं हुआ है. दुनिया भर में इस बीमारी से ग्रस्त लोग हैं जिनका असर परिवार, समुदाय और समाज पर पड़ता है.
विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस 2018 का थीम
विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस 2018 का थीम है 'Empowering Women and Girls with Autism'. इस वर्ष यह दिवस संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क मंख मनाया गया, जिसमें महिलाओं और लड़कियों को आत्मकेंद्रित के साथ सशक्त बनाने और उन्हें नीति में शामिल करने और ऑटिज्म से जुड़े चुनौतियों का समाधान करने के निर्णय लेने के महत्व पर मुख्य ध्यान दिया गया.
आखिर ऑटिज्म क्या है?
ऑटिज्म (Autism) एक आजीवन न्यूरोलॉजिकल स्थिति है जो लिंग, जाति या सामाजिक-आर्थिक स्थिति के बावजूद बचपन में हो जाती है. यानी यह एक प्रकार का मानसिक रोग है जो विकास से सम्बंधित विकार है, जिसके लक्षण जन्म से या बाल्यावस्था यानी प्रथम तीन वर्षों में ही नज़र आने लगते है. ये बिमारी पीड़ित व्यक्ति की सामाजिक कुशलता और संप्रेषण क्षमता पर विपरीत प्रभाव डालता है. इस रोग से पीड़ित बच्चों का विकास अन्य बच्चों की अपेक्षा असामान्य होता है. ऐसे बच्चें एक ही काम को बार-बार दोहराते है आदि. इन सब समस्याओं का प्रभाव व्यक्ति के व्यवहार में भी दिखाई देता है, जैसे कि व्यक्तियों, वस्तुओं और घटनाओं से असामान्य तरीके से जुड़ना.

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ऑटिज्म बिमारी के क्या-क्या लक्षण हो सकते हैं
- इस बिमारी से पीड़ित व्यक्ति मानसिक रूप से विकलांग हो सकता है.
- इन रोगियों को मिर्गी के दौरे भी पड़ सकते हैं.
- ऐसा भी देखा गया है कि इस रोग से पीड़ित व्यक्ति को सुनने और बोलने में दिक्कत हो सकती है.
- इस बिमारी को ऑटिस्टिक डिस्ऑगर्डर के नाम से भी जाना जाता है, यह तब बोलते है जब बिमारी काफी गंभीर रूप ले चुकी हो. परन्तु जब यह बिमारी ज्यादा प्रभावी ना हो तो इसे ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिस्ऑ र्डर (ASD) के नाम से बुलाते है.
ऑटिज्म होने का मुख्य कारण क्या है?
वैज्ञानिकों को मानना है कि एक दोषपूर्ण जीन या किसी जीन के कारण एक व्यक्ति को आत्मकेंद्रित या ऑटिज्म बिमारी विकसित होने की अधिक संभावना बना सकता है. कुछ अन्य कारक भी इस बिमारी के लिए हो सकते हैं, जैसे रासायनिक असंतुलन, वायरस या रसायन, या जन्म पर ऑक्सीजन की कमी का होना आदि. कुछ मामलों में, ऑटिस्टिक व्यवहार गर्भवती मां में रूबेला (जर्मन खसरा) के कारण भी हो सकता है.
ऑटिज्म बिमारी पूरी दुनिया में फैली हुई है. यहां तक कि कैंसर, एड्स और मधुमेह के रोगियों की संख्या को मिलाकर भी ऑटिज्म रोगियों की संख्या ज्यादा है. इनमें डाउन सिंड्रोम की संख्या अपेक्षा से भी अधिक है. ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि दुनियाभर में प्रति दस हज़ार में से 20 व्यक्ति इस रोग से प्रभावित होते हैं. तो आइये मिलकर इस बिमारी के बारे में लोगो को जागरूक करते है.

Shikha Goyal is a journalist and a content writer with 9+ years of experience. She is a Science Graduate with Post Graduate degrees in Mathematics and Mass Communication & Journalism. She has previously taught in an IAS coaching institute and was also an editor in the publishing industry. At jagranjosh.com, she creates digital content on General Knowledge. She can be reached at shikha.goyal@jagrannewmedia.com
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