अकबर और राजपूत

Aug 24, 2014, 09:40 IST

मुगल साम्राज्य के समेकित विकास और ठोस नींव प्रदान करने के सन्दर्भ में अकबर की राजपूत नीति को समझा जा सकता है.

मुगल साम्राज्य के समेकित विकास और ठोस नींव प्रदान करने के सन्दर्भ में अकबर की राजपूत नीति को समझा जा सकता है. यद्यपि सभी राजपूत राजाओं ने मुगल सम्राट अकबर के समक्ष खुद को नतमस्तक कर दिया था लेकिन अभी भी चित्तौड़ का राजा एवं उदय सिंह का सबसे छोटा पुत्र राणा सांगा ने मुग़ल सम्राट के एकाधिकार का खंडन किया और चित्तौड़ के अपने किले को पूरी तरह से संरक्षित किया.

राणा सांगा के 1528 ईस्वी में निधन के बाद उसका बड़ा पुत्र राणा रतन सिंह उसका उत्तराधिकारी बना लेकिन जल्दी ही 1531 ईस्वी में उसकी हत्या कर दी गयी. उसका भाई विक्रमादित्य सिंह भी 1537 ईस्वी में बनवीर सिंह के द्वारा मार डाला गया.  विक्रमादित्य की हत्या के बाद बनवीर सिंह सिंहासन का नया उत्तराधिकारी बना. बनवीर सिंह ने उदय सिंह की भी हत्या का प्रयास किया था लेकिन उदय सिंह की धाय माता पन्ना देवी की चालाकी से वह बच निकला लेकिन इस घटना में पन्ना देवी का स्वयं का पुत्र मारा गया.

1540 में, उदय सिंह को चित्तौड़ के राजा के रूप में ताज पहनाया गया था. उसका सबसे बड़ा पुत्र राणा प्रताप था. उदय सिंह ने मालवा के राजा बाज बहादुर की मदद की थी जबकि अकबर के द्वारा मना किया गया था. इसकी वजह से अकबर क्रोधित हुआ था और उसने मेवाड़ पर 1567 ईस्वी में आक्रमण कर दिया था. राजपूत किले की रक्षा दो सेनापतियों जयमल और फत्ता ने बहादुरी पूर्वक की लेकिन अकबर के सेना के समक्ष वे असफल रहे और मुग़ल सेना ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया..

उदय सिंह की1572 ईस्वी में मृत्यु हो गई और उनके अमीरों ने राणा प्रताप को सिंहासन पर बैठाया. चित्तौड़ के किले के हस्तगन के बाद, अकबर ने कालिंजर और रणथंभौर के प्रसिद्ध किलों को भी अपने अधीन किया.

राणा प्रताप

राणा प्रताप भारत के सबसे  बहादुर राजाओ की सूची में शामिल किये जाते हैं. उन्होंने अपने पूरे जीवन काल में अकबर के प्रभुत्व का विरोध किया था. यद्यपि अकबर ने राणा प्रताप को जितने के लिए अनेक कुटनीतिक प्रयास किया था लेकिन अपने प्रत्येक प्रयत्न में वह असफल रहा. राणा प्रताप ने मुगलों के साथ किसी भी वैवाहिक गठबंधन को स्वीकार करने और उनके दरबार में अकबर की सेवा करने से इनकार कर दिया था.

21 जून 1576 ईस्वी को हल्दी घाटी के युद्ध मुगल सेना ने एक निर्णायक युद्ध में राणा प्रताप को हराया था. लेकिन राणा प्रताप ने अकबर के खिलाफ अपनी गुरिल्ला युद्ध पद्धति को जारी रखा.

और जानने के लिए पढ़ें:

हेमू (1501-1556)

अकबर महान

शेरशाह सूरी

Jagran Josh
Jagran Josh

Education Desk

    Your career begins here! At Jagranjosh.com, our vision is to enable the youth to make informed life decisions, and our mission is to create credible and actionable content that answers questions or solves problems for India’s share of Next Billion Users. As India’s leading education and career guidance platform, we connect the dots for students, guiding them through every step of their journey—from excelling in school exams, board exams, and entrance tests to securing competitive jobs and building essential skills for their profession. With our deep expertise in exams and education, along with accurate information, expert insights, and interactive tools, we bridge the gap between education and opportunity, empowering students to confidently achieve their goals.

    ... Read More

    आप जागरण जोश पर भारत, विश्व समाचार, खेल के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए समसामयिक सामान्य ज्ञान, सूची, जीके हिंदी और क्विज प्राप्त कर सकते है. आप यहां से कर्रेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें.

    Trending

    Latest Education News