अबुल मुजफ्फर मुहि-उद-द्दीन मुहम्मद औरंगज़ेब

औरंगजेब का जन्म 14 अक्टूबर 1618 में दोहाद  में हुआ | वह तिमुरिद वंश का शासक था | वह शाहजहां और मुमताज़ महल की संतान था | इसका  इंतकाल (मृत्यु ) 20 फरवरी 1707 में अहमदनगर में हुआ और इसे खुलदाबाद में दफनाया गया | औरंगज़ेब आखिरी मुगल सम्राट था और सम्राट शाहजहाँ व मुमताज़ महल की तीसरी संतान था जिसने मुगल साम्राज्य को समृद्धि के स्तर तक पहुंचाया इस तथ्य के बावजूद की उसकी रणनीतियाँ उसके कट्टरपन  के बारे मे बताती  हैं |

Oct 13, 2015, 17:43 IST

औरंगज़ेब का जन्म 14 अक्टूबर 1618 AD में दोहाद  में हुआ | वह शाहजहां और मुमताज़ महल की संतान था  | इसका  इंतकाल (मृत्यु ) 20 फरवरी 1707 AD में अहमदनगर में हुआ और इसे खुलदाबाद में दफनाया गया |

औरंगज़ेब आखिरी शक्तिशाली मुगल सम्राट और सम्राट शाहजहाँ व मुमताज़ महल की तीसरी संतान था  जिसने मुगल साम्राज्य को समृद्धि के स्तर तक पहुंचाया | उसकी रणनीतियाँ उसके कट्टरपन  के बारे मे बताती  हैं |

 शुरुआती  जीवन

औरंगजेब एक ईमानदार और  समर्पित किशोर की तरह पला बढ़ा। इसने कट्टर मुस्लिम से विवाह किया | बहुत ही कम आयु में इसमे सशस्त्र बालों के लक्षण दिखाई दिये और इसके प्रबंधकीय कौशल से हर कोई आश्चर्यचकित था  जिसके परिणामस्वरूप इसका  अपने बड़े भाई दारा शिकोहा से विवाद हो गया जिसका स्वभाव तेज़ व अस्थिर था तथा जिसे औरंगज़ेब के पिता द्वारा सिंहासन का वारिस बना दिया गया था |

1646 AD से 1647 AD तक औरंगज़ेब ने अद्वितीय उत्कृष्टता के साथ सैनिकों को उज़्बेक और पर्शिया के खिलाफ आदेश दिया | 1657 AD में जब शाहजहां गिर गए, तब दोनों भाइयों के बीच का तनाव उन्हें सत्ता के युद्ध की तरफ ले गया |

परंतु शाहजहाँ के अप्रत्याशित स्वास्थ्य लाभ ने दोनों बच्चों के बीच के सत्ता के संघर्ष को समाप्त कर दिया | 1675 AD से 1659 AD तक सत्ता के युद्ध में औरंगज़ेब ने उसकी अंतरराष्ट्रीय सैन्य योग्यता, अधिक्रमण की अपनी असाधारण सैन्य शक्ति के बारे में परिचय दिया  जिसका परिणाम था कि दारा 1658 AD में समूरगढ़ में हार गया जिसके बाद उसने(औरंगज़ेब) अपने पिता (शाहजहाँ) को आगरा में अपने ही शाही निवास में बंदी बना लिया |  

भारत के सम्राट

1680 AD के आसपास औरंगज़ेब पूरी तरह से उत्तर पश्चिम को पर्शिया और मध्य एशियाई तुर्क और मराठा शासक शिवाजी से बचाने में व्यस्त हो गया  जिन्होनें दो बार सूरत के बन्दरगाह को लूटा था /

औरंगज़ेब ने विजय के लिए  अपने परदादा अकबर के नियम को अपनाया, दुश्मन की जासूसी करना, उससे मिलनसार संबंध बनाना, व शाही सेवा के द्वारा उनके जीवन व राज्य के रहस्यों के बारे मे पता लगाना | इस प्रकार , स्वतंत्र मराठा राज्य के नेता के रूप में, शिवाजी को पराजित कर, उन्हे आगरा, समझौते के लिए बुलाया गया (1666 AD) तथा उन्हें उच्च स्थान दिया गया, परंतु यह योजना 1680 AD में शिवाजी के दक्कन मे भाग जाने और वहाँ मृत्यु हो जाने से असफल हो गई |

1680 AD के आसपास के बाद औरंगज़ेब के शासन ने मन की स्थिति के परिवर्तन के साथ रणनीति मे परिवर्तन को अनुभव किया | इसने फिर से 1679 AD में गैर मुसलमानों पर सर्वाधिक सर्वेक्षण कर लगा दिया जिसे अकबर के शासन काल के दौरान हटा दिया गया था | बीजापुर के दक्कन राज्य मे अस्थिरता ने एक लंबे आर्थिक संकट को प्रोत्साहित किया जोकि मराठों से युद्ध के बाद विकसित हुआ  था |  शिवाजी के पुत्र सांभाजी को पकड़ लिया गया व 1689 AD में हत्या कर दी गई और जिसका परिणाम यह था कि  औरंगजेब का  साम्राज्य विभाजित हो  गया |

औरंगज़ेब ने दक्षिण में अनुपस्थिति के कारण उत्तरी प्रांत पर अपना नियंत्रण खो दिया जोकि पहले था | इसका परिणाम यह हुआ कि संगठन कमजोर हो गया | 1675 AD  में औरंगज़ेब ने सिख गुरु, तेग बहादुर को पकड़ा व हत्या कर दी जिन्होनें इस्लाम धर्म को अपनाने से मना कर दिया था, गुरु तेग बहादुर के आगे के गुरुओं ने औरंगजेब के शासन की नीतियों का खुल कर विरोध किया |

मृत्यु

1689 AD तक लगभग दक्षिण भारत के सभी हिस्से मुगल साम्राज्य का हिस्सा बन गए थे और गोलकोंडा की उपलब्धि के बाद, औरंगज़ेब शायद सबसे अमीर और सबसे धनवान जीवित व्यक्ति था | औरंगज़ेब के विशाल राजसी युद्ध, मुगल साम्राज्यों  के क्षेत्रों पर अवरोध उत्त्प्न करती थी और यह उसके प्रतिद्वंधियों को उसके विरुद्ध उसके  महत्व को अलंकृत  करती थीं | औरंगजेब के युद्धों  को प्रांतीय नवाबों की कमी के कारण परेशानी हुई |

मुसलमानों का दृष्टिकोण औरंगज़ेब  से भिन्न था | ज़्यादातर मुस्लिम इतिहासकारों का मत था कि जब साम्राज्य पतन की कगार पर खड़ा था, उस समय  औरंगजेब सबसे शक्तिशाली अंतिम मुगल सम्राट था | महत्वपूर्ण विद्रोहों को सिखों व मराठों द्वारा सुलझा लिया गया जिन्होनें निर्जन स्थानों मे फैली  मुगल साम्राज्य की जड़ों  को उखाड़ फेंका था  |

औरंगजेब भी अपने पूर्वजों की तरह ही सोचता था कि  राजसी धनराशि को अपने साम्राज्य के नागरिकों के लिए उपयोग किया जाना चाहिए |प्रशासन के भारी काम में व्यस्त रहते हुए भी वह अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए कुरान की  आयतों की नकल कर पैसा कमाने का समय निकाल लेता था | छोटे संगमरमर से निर्मित मस्जिद का निर्माण औरंगजेब द्वारा करवाया गया था, जिसे मोती मस्जिद के रूप में जाना गया, और यह दिल्ली के लाल किले  के प्रांगण में स्थित है | दूसरी तरफ, उसके लगातार युद्धों ने, खासकर मराठों के साथ, ने उसके राज्य को आर्थिक दिवालियापन की कगार पर  ला  दिया  था /

1706 AD के अपने अंतिम युद्ध में औरंगज़ेब मराठों के विरुद्ध था और इस युद्ध में उसे मुगल सशस्त्र बल में  नए उन्नत प्रमुखों  का सहयोग मिला जो थे सय्यद, हसन आली खान बरहा, सादत आली खान और आसफ जह-ई और दाऊद खान |

 जीवन के अंतिम दिनों में औरंगज़ेब बीमार हो गया और वह चाहता था कि  उसके साम्राज्य के निवासियों को जानकारी होनी चाहिए कि वह अभी जीवित है | औरंगज़ेब का 20 फरवरी 1707 AD मे 88 वर्ष की आयु में अहमदनगर मे देहांत हो गया  |

कमजोर शासकों के अनुक्रम, उत्तराधिकार के लिए युद्ध और अमीर वर्ग के लोगों द्वारा शासन को उखाड़ फेंकने की साजिशें, मुगल शक्ति के कमजोर होने के अनिवार्य कारण बने, वास्तव  में यह सब  अंतिम मुगल सम्राट  औरंगजेब की मृत्यु के बाद हुआ  |

बहादुर शाह I, औरंगजेब के पुत्र को राजगद्दी मिल गई तथा वह साम्राज्य जिसने मुगल शासक औरंगजेब के शासन के दौरान समृद्धि को छुआ था, परंतु औरंगजेब के अधिक विस्तार क्षेत्र और बहादुर शाह के कमजोर सैन्य और आत्मबल  साम्राज्य को पतन के द्वार पर ले गई |

बहादुर शाह ने राजगद्दी को संभालने के बाद, मुगल साम्राज्य की समस्याओं को उजागर किया  | औरंगजेब की मृत्यु के कई वर्षों के बाद भी मुगल सम्राट की शक्तियाँ दिल्ली की सीमा के आसपास तक ही सीमित रह गईं थी |

Jagran Josh
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Education Desk

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