एचआईवी से लड़ेंगे प्रतिपिंड
एचआईवी वैक्सीन बनाने में होगा उपयोग:
एचआईवी वायरस का मुकाबला करने के लिए सदैव से वैज्ञानिक समुदाय के सामने एक भारी समस्या रही है। इस वायरस की खास बात यह होती है कि वे अपने पृष्ठ प्रोटीनों में लगातार परिवर्तन करने की क्षमता रखते हैं। यही वजह है कि मानव शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र इनकी पहचान करने में चूक जाता है। इस वायरस के कई रूप भी होते हैं। यही वजह है कि एचआईवी के विभिन्न प्रभेदों को समाप्त करने वाले ऐसे सिंगल एंटीबॉडी प्राप्त करने के प्रयास हरदम असफल साबित हुए हैं।
लेकिन हाल ही में वैज्ञानिकों ने दो संभावित मानव एंटी बॉडीज की खोज करने में सफलता प्राप्त की है जो लेबोरेटरी की हालात में ज्ञात 90 प्रतिशत से अधिक ग्लोबल एचआईवी प्रकारों को मानव कोशिकाओं को संक्रमित करने से रोक सकते हैं। वैज्ञानिकों को यह तथ्य खोजने में भी सफलता मिली है कि एचआईवी वायरसों के सभी प्रभेदों में उनके पृष्ठ पर कुछ ऐसे स्थल होते हैं जो लगभग एक जैसे बने रहते हैं। नई खोजी गई एंटी बॉडीज वायरस के आभासी रूप से अपरिवर्तनशील भाग से जुड़ जाते हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि इन एंटी बॉडीज का प्रयोग बेहतर एचआईवी वैक्सीन बनाने में किया जा सकता है या फिर इनको और अधिक विकसित करके एचआईवी संक्रमण को रोकने या उसका उपचार करने में इनका उपयोग किया जा सकता है। इन एंटी बॉडीज को प्राप्त करने में उपयोग की गई विधि अन्य संक्रामक रोगों के लिए डाइग्नॉस्टिक एंटी बॉडीज को प्राप्त करने में भी किया जा सकता है।
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