कौन कौन सी नीतिगत खामियों की वजह से काला धन सफ़ेद बन जाता है: एक विश्लेषण

काला धन या गुप्त धन उस धन को कहते हैं जिसकी सरकार के पास कोई गणना नही होती है और न ही सरकार को इस राशि पर कोई टैक्स मिलता है | ट्रस्टों की स्थापना, काला धन को कृषि आय बताना, सोने या सोने के आभूषणों की बिक्री या खरीद करना आदि काले धन को सफ़ेद करने के तरीके हैं |

Nov 18, 2016, 10:53 IST

भारत में काला धन या गुप्त धन उस धन को कहते हैं जिसे उन क्रियाओं से कमाया जाता जो कि सरकार की नजर में गैर कानूनी हैं | यह वह धन होता है जिसकी सरकार के पास कोई गणना नही होती है और न ही सरकार को इस राशि पर कोई टैक्स मिलता है | सरकार इस धन को इसलिए बंद करती है क्योंकि यह देश में सामानांतर अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देता है | इस धन का उपयोग देश विरोधी गतिविधियों में होता है तथा वस्तुओं के दाम कृत्रिम तरीके से बढ़ाये जाते हैं जिससे देश के गरीब तबकों को अपनी मूलभूत जरुरत की वस्तुएं खरीदने में भी दिक्कत होती है |

आइये अब उन तरीकों के बारे में विस्तार से बात करते हैं जिनकी मदद से काला धन या गुप्त धन को सफ़ेद किया जाता है |

1. सोने या सोने के आभूषणों की बिक्री या खरीद:

यदि किसी के पास काला धन है तो वह इस धन को स्वर्णकारों को दे देता है और दुकानदार उस व्यक्ति को उतनी राशि का चेक दे देता है या फिर स्वर्णकार उस व्यक्ति को पुरानी तारीख की रसीद दे देता है जिससे यह सिद्ध हो जाये कि काला धन रखने वाले ने सोना खरीदा है |

इसके अलावा यह भी देखा गया है कि लोग अपने काले धन से सोने के आभूषण बनवा लेते हैं और स्वर्णकार उन्हें पुरानी तारीख का बिल दे देता है | भारत में इन दोनों ही विधियों से काला धन बहुत बड़ी मात्रा में सफ़ेद किया गया है |

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2. रियल एस्टेट क्षेत्र में रुपया लगाना:

श्रोतों से प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत में सबसे ज्यादा काला धन इसी क्षेत्र में लगा है | इसमें लोग दो तरीके से काले धन को सफ़ेद करते हैं :

1. जितनी राशि का मकान खरीदा जाता है उससे कम का बिल बनवाया जाता है जिससे कि सरकार को दी जाने वाली स्टाम्प ड्यूटी कम चुकानी पड़ती है |

2. लोग काले धन की मदद से एक महंगा मकान खरीदते हैं और फिर जानबूझ कर पूरा भुगतान नही करते हैं ताकि डील को कैंसिल करके अपना भुगतान प्राप्त किया जा सके इस प्रकार काला धन सफ़ेद बन जाता है |

इन झूठें सौदों की वजह से मकानों के दाम बढ़ जाते हैं इससे सबसे ज्यादा नुकशान उन लोगों को उठाना पड़ता है जो कि ईमानदारी की कमाई से अपना एक मकान खरीदना चाहते हैं लेकिन बढ़े हुये दामों के कारण ऐसा नही कर पाते हैं |

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3. कृषि आय पर कोई टैक्स न लगना:

काले धन को सफेद करने का एक अन्य लोकप्रिय तरीका अवैध तरीके से कमाए गए धन को कृषि आय के रूप में दिखाना है | कृषि आय को सिद्ध करने के लिए आपके पास खेती होनी चाहिये जिसका इस्तेमाल वृक्षारोपण, बगीचा नर्सरी, फसल उत्पादन, पशुपालन, मुर्गी पालन, मछली पालन जैसे कामों में होना चाहिये | आपने कई नेताओं और अभिनेताओं के बारे में सुना भी होगा जो कि देश के विभिन्न भागों में जमीन खरीदते हैं ताकि अपनी काली कमाई को कृषि आय के रूप में दिखाकर टैक्स बचाया जा सके | कृषि आय पर कर ना लगने से बहुत सी बड़ी कम्पनियां अपनी आय के बहुत बड़े भाग को कृषि आय बताकर टैक्स देने से बच जातीं हैं |

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4. घरेलू ट्रस्टों की स्थापना: कुछ लोग अपनी कर योग्य आय को बचाने के लिए इस उपाय का सहारा लेते हैं क्योंकि आयकर अधिनियम की धारा 80G & 80GGA के तहत आप जितना दान करते है उतनी रकम का 100% टैक्स माफ़ कर दिया जाता है | इसी रियायत का फायदा उठाने के लिए लोग ट्रस्टों की  स्थापना करते हैं और इन ट्रस्टों का पदाधिकारी अपने नौकरों, ड्राइवरों को बना देते है जिस कारण ये इस ट्रस्ट को जितनी राशि का चंदा देते हैं उससे दुगुनी या उससे भी अधिक राशि की रसीद प्राप्त कर लेते हैं | इस प्रकार दान में दी गयी राशि पर टैक्स नही देते हैं और कर चोरी करके कालाधन जमा करते हैं |

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5.फर्जी ऋण एंट्री (Bogus Loan Entry):  

इस तरह के तरीके में काला धन रखने वाले लोग, अपने किसी रिश्तेदार को नकद रुपये दे देते हैं और उससे उतनी ही रकम का चेक ले लेते हैं |

उदाहरण: अगर मिस्टर A के ऊपर 5 लाख रुपये का लोन बकाया है और मिस्टर B (जिनके पास 5 लाख का काला धन है) उसको 5 लाख रुपये का कैश दे देते है और A अपने ऋण का भुगतान कर देता है तो इस तरह से 5 लाख रुपये का काला धन सफ़ेद धन में बदला जा सकता है |

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6. हाथों में नकदी (Cash in Hands): जब सरकार यह घोषणा करती है कि इस तारीख के बाद पुराने नोट अमान्य होंगे तो लोग इस नियम का दुरूपयोग करते हैं | लोग सरकार से कहते हैं कि हमने मकान की मरम्मत या अपनी बीमारी के इलाज इत्यादि के लिये ये (1 या 2 लाख) रुपये निकाले थे लेकिन अब खर्च नही करना है | जबकि सच्चाई यह होती है कि ये लोग इस रुपये को खर्च चुके होते हैं और अपने किसी परिचित या रिश्तेदार के काले धन को बैंकों में जमा करा कर उसे सफ़ेद बना देते हैं |

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Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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