गरीबी की परिभाषा
गरीबी भूख है और उस अवस्था में जुड़ी हुई निरन्तरता है. यानी सतत् भूख की स्थिति का बने रहना,पैसे की कमी जिससे स्वास्थ्य से जुड़े सुविधाओ का लाभ उठाया जाना कठिन हो ही, गरीबी है. एक उचित रहवास का अभाव ही गरीबी है.
पूर्ण गरीबी में आम तौर पर पानी, भोजन, स्वच्छता, आवास, कपड़े, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल आदि की मूलभूत सुबिधाओं का अभाव शामिल किया जाता है. लेकिन सापेक्ष गरीबी के अंतर्गत वे लोग रहते हैं जिनमे सामान स्तर पर सुविधाओ का अभाव पाया जाता है.
गरीबी में चूँकि कई घटक शामिल किये जाते हैं. इसे सामाजिक, वैज्ञानिकों संकेतक की बहुलता के रूप में भी देखा जाता है. सामान्य तौर पर उन्ही माध्यमो को इसमें शामिल किया जाता है जो आय और खफत को निर्धारित करते हैं. लेकिन वर्तमान में गरीबी में उन तथ्यों को भी शामिल किया जाने लगा है जो किसी गरीब के कुपोषण, उसकी शिक्षा, और उसके स्वास्थ्य, सुरक्षित पेयजल, स्वच्छता, रोजगार के अवसरों की कमी, आदि जैसे अन्य सामाजिक मुद्दों से भी जुड़े हों.
ग्रामीण गरीबी एक बहुआयामी सामाजिक समस्या है. इसके कारण विविध रहे हैं. जिनका जिक्र निम्नवत है:
1. जलवायु कारक
2. जनसांख्यिकीय कारक
• जनसंख्या का तेजी से विकास
• परिवार का आकार
3. निजी कारण
• प्रेरणा की कमी
• आलस्य
4. आर्थिक कारण
• कम कृषि उत्पादकता
• जमीन और अन्य संपत्ति का असमान वितरण
• ग्रामोद्योग में गिरावट
• श्रम की गतिहीनता
• रोजगार के अवसरों की कमी
5. सामाजिक कारण
• शिक्षा
• जाति व्यवस्था
• संयुक्त परिवार प्रणाली
• सामाजिक सीमा शुल्क
• बढ़ते कर्ज
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