चालुक्य और पल्लव

Apr 30, 2014, 14:56 IST

चालुक्य शासको ने रायचूर दोआब के मध्य शासन किया था, जोकि कृष्णा और तुंगभद्रा नदियों के बीच स्थित था.

चालुक्य शासको ने रायचूर दोआब के मध्य शासन किया था, जोकि कृष्णा और तुंगभद्रा नदियों के बीच स्थित था. चालुक्यों की पहली राजधानी एहोल ( मंदिरों का शहर)थी. यह व्यापार का एक महत्वपूर्ण केंद्र था और बाद में एक धार्मिक केन्द्र के रूप में विकसित हुआ था, इसके आस - पास मंदिरों की संख्या अधिक थी. बाद में पुलकेशिन प्रथम के समय चालुक्यो की राजधानी बादामी स्थानांतरित कर दी गयी.बादामी को वातापी के नाम से भी जाना जाता था.

चालुक्य वंश के शासक (543-755 ईस्वी)

जयसिम्हा: इस वंश का प्रथम शासक था.

पुलकेशिन प्रथम: यह  चालुक्य साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था. इसकी राजधानी वादामी(वातापी) था  .

कीर्तिवर्मन: वह पुलकेशिन प्रथम पुत्र था. वह 566 ई. में सिंहासन पर बैठा. वह बनवासी के कदम्ब और बस्तर के नलों के खिलाफ युद्ध लडा.

पुलकेशिन द्वितीय : वह अपने चाचा मंगलेश ( कीर्तिवर्मन का भाई ) के खिलाफ युद्ध छेड़ने के बाद 608 ई. में सिंहासन पर बैठा. के लिए आया था. कीर्तिवर्मन का पुत्र पुलकेशिन द्वितीय चालुक्य वंश का सबसे प्रसिद्ध शासक था. वह हर्षवर्धन (पुष्यभूति राजवंश का शासक ) का समकालीन था. हमें पुलकेशिन द्वितीय के बारे में जानकारी उसके दरबारी कवि रविकीर्ति  द्वारा प्राकृत भाषा में रचित ऐहोले नाम के एक प्रशस्ति से पता चलता है. पुलकेशिन द्वितीय ने हर्षवर्धन को नर्मदा के तट पर  हराया था और लट , मालव और गुज्जरो  की स्वैच्छिक हार को स्वीकार किया था. शुरू में वह पल्लवों के खिलाफ विजय हासिल किया था, लेकिन पल्लव शासक नरसिम्हवर्मन ने न केवल उसे पराजित किया बल्कि, बादामी पर कब्जा भी कर लिया. नरसिम्हवर्मन ने वातापिकोंडा की उपाधि ग्रहण की. पुलकेशिन द्वितीय की प्रसिद्धि फारस तक चर्चित थी जिनके साथ उसने अपने दूतो का आदान-प्रदान भी किया. ह्वेन त्सांग ( चीनी यात्री ) ने पुलकेशिन द्वितीय के दरबार का दौरा किया था.

विक्रमादित्य प्रथम : यह पुलकेशिन के पुत्रों में से था. इसने अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिये कांची आक्रमण किया और उस पर कब्जा कर लिया.

विनयादित्य : इसने एक शांतिपूर्ण और समृद्ध राज्य का नेतृत्व किया.

विजयादित्य : इसका शासन काल सबसे लंबे समय तक विद्यमान रहा.

विक्रमादित्य द्वितीय : यह पल्लवों  के खिलाफ अपने तीन बार सफल आक्रमण के लिए प्रसिद्ध था.

कीर्तिवर्मन द्वितीय : यह अंतिम चालुक्य शासक था. यह दन्तिदुर्ग ( राष्ट्रकूट राजवंश के संस्थापक) से हार गया था.

ऐहोले  शिलालेख : यह शिलालेख पुलकेशिन द्वितीय के पूर्वजों के बारे में संबंधित है. इस प्रशस्ति में पिता से लेकर पुत्र तक की चार पीढ़ियों के बारे में उल्लेख करता है. इस प्रशस्ति में राविकिर्ती बताता है की,पुलकेशिन द्वितीय ने अपने अभियान का नेतृत्व किया पश्चिम और पूर्व दोनों के किनारे-किनारे किया था.

पल्लव (560-903 .)

इस राज्य की राजधानी कांचीपुरम थी जोकि कावेरी डेल्टा के चारों तरफ फैला हुआ था. पल्लवों शासको ने सातवाहनो के पतन के बाद दक्षिण भारत में एक शक्तिशाली राज्य की स्थापना की और छठी शताब्दी से लेकर  आठवीं शताब्दी के उत्तरार्ध तक शासन किया.  वहां से वे कांची और फिर आंध्र की तरफ गए जहाँ उन्होंने एक शक्तिशाली पल्लव साम्राज्य की स्थापना की.

पल्लवों की उत्पत्ति

पल्लव की उत्पत्ति के संबंध में ढेर सारे विवाद है. उनके सन्दर्भ में महत्वपूर्ण तथ्य निम्नवत हैं.

• संभवतः वे ग्रीक पारथियों के वंशज थे जो की सिकंदर के आक्रमण के बाद भारत आये थे.

• संभवतः वे एक स्थानीय आदिवासी कबीले के थे जिन्होंने वे अपना अधिकार तोंदैन्नादु में या लताओं की भूमि में स्थापित किया था.

• वे चोल और नागों के विवाहोपरांत उत्पन्न हुए थे.

• वे उत्तर के रूढ़िवादी ब्राह्मण थे और उनकी राजधानी कांची थी.

पल्लव राजवंश के महत्वपूर्ण शासकों

सिम्हविष्णु : इस वंश का प्रथम महत्वपूर्ण शासक था . सिम्हविष्णु  ने चोल राज्य पर कब्जा कर लिया और बाद में सिलोन सहित अन्य दक्षिणी क्षेत्रों पर भी अपना अधिकार जमा लिया.

महेन्द्रवर्मन प्रथम: पुलकेशिन द्वितीय ने इसे पराजित किया था. संत अप्पर और विद्वान भरावी को इसने  संरक्षण दिया था. महेन्द्रवर्मन प्रथम ने 'मत्ताविलासप्रहासन' नामक एक व्यंग्य नाटक की रचना की थी.

नरसिम्हवर्मन प्रथम: वह पुलकेशिन द्वितीय पर अपनी विजय उसके साम्राज्य पर कब्जा करने के लिए प्रसिद्ध था. उसने वातापिकोंडा (वातापि के विजेता )की उपाधि ग्रहण की थी. बाद में चोल, चेर और पांड्य, नरसिम्हवर्मन- प्रथम के द्वारा पराजित किये गए. ह्वेन त्सांग ने उसके शासन काल के दौरान कांचीपुरम का दौरा किया था. नरसिम्हवर्मन प्रथम ने महाबलीपुरम शहर ( मामल्लपुरम ) की स्थापना की थी और प्रसिद्ध अखंड (एकल पत्थर से बना गुम्बद) रॉक कट मंदिरों की स्थापना की. इसके अलावा उसने सीलोन में दो नौसैनिक अभियानों को भी भेजा.

महेन्द्रवर्मन -द्वितीय: वह विक्रमादित्य-प्रथम के द्वारा मारा गया था.

अन्य पल्लव राजाओं में परमेस्वरवर्मन-प्रथम, नरसिंहवर्मन- द्वितीय , परमेस्वरवर्मन- द्वितीय और नन्दिवर्मन-द्वितीय आदि शामिल थे.

पल्लव और चालुक्य राजाओं के बीच संघर्ष

पल्लव और बादामी के चालुक्य राजाओं के बीच संघर्ष का मुख्य कारण सिंहासन, प्रतिष्ठा और क्षेत्रीय संसाधनों की प्राप्ति का था. यह संघर्ष 8 वीं सदी से छठी शताब्दी तक जारी रहा. बाद में मदुरै और तिन्नेवेल्ली  के नियंत्रण में पाण्ड्य राजा भी इस संघर्ष में शामिल हो गए . दोनों राज्यों ने कृष्णा और तुंगभद्रा नदियों के बीच के क्षेत्र पर वर्चस्व स्थापित करने का प्रयास किया.

इस संघर्ष के दौरान महत्वपूर्ण घटनाएं

  • पुलकेशिन-द्वितीय ( 609-642 ) इस संघर्ष के दौरान पल्लव शासकों की राजधानी तक पहुंच गया.
  • पल्लव क्षेत्र पर अधिकार के लिए उसका दूसरा प्रयास भी असफल रहा.
  • पल्लव राजा नरसिम्हवर्मन (ई. 630-668 ) ने वातापी राज्य पर 642 ई. के आस-पास कब्जा कर लिया था.
  • पुलकेशिन-द्वितीय 642 ई. के आसपास मारा गया.
  • चालुक्य राजा विक्रमादित्य द्वितीय (ई.733-745ईस्वी ) के बारे में यह कहा जाता है की उसने  कांची पर तीन बार अधिकार किया था. उसने 740 ई. में पल्लवो को पूरी तरह से पराजित कर दिया था.
  • चालुक्यों राजाओं ने अश्वमेध यज्ञ(एक घोडे का बलिदान) का आयोजन किया था.
  • परवर्ती चालुक्य राजाओं के द्वारा बिल्हण और विग्नेस्वर  जैसे महान विद्वानों को संरक्षित किया गया था.
  • ह्वेन त्सांग ने पुलकेशिन- द्वितीय: के दरबार की यात्रा की थी.

 

Jagran Josh
Jagran Josh

Education Desk

    Your career begins here! At Jagranjosh.com, our vision is to enable the youth to make informed life decisions, and our mission is to create credible and actionable content that answers questions or solves problems for India’s share of Next Billion Users. As India’s leading education and career guidance platform, we connect the dots for students, guiding them through every step of their journey—from excelling in school exams, board exams, and entrance tests to securing competitive jobs and building essential skills for their profession. With our deep expertise in exams and education, along with accurate information, expert insights, and interactive tools, we bridge the gap between education and opportunity, empowering students to confidently achieve their goals.

    ... Read More

    आप जागरण जोश पर भारत, विश्व समाचार, खेल के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए समसामयिक सामान्य ज्ञान, सूची, जीके हिंदी और क्विज प्राप्त कर सकते है. आप यहां से कर्रेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें.

    Trending

    Latest Education News