जैविक विविधता सम्मेलन (सीबीडी)

Dec 9, 2015, 15:10 IST

जैविकविविधता सम्मेलन (सीबीडी) की स्थापना विभिन्न सरकारों द्वारा 1992 रियो डी जनेरियो में पृथ्वी शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी। इसे उस समय अपनाया गया था जब वैश्विक नेताओं ने भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक जीवित नक्षत्र सुनिश्चित करते हुए वर्तमान जरूरतों को पूरा करने के लिए "सतत विकास'  की एक व्यापक रणनीति पर सहमति व्यक्त की थी। 193 सरकारों द्वारा इस पर हस्ताक्षर किए गए थे। सीबीडी ने वैश्विक जैविकविविधता को कायम रखने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की थी जो सीधे-सीधे अरबों लोगों की आजीविका का समर्थन करता है और वैश्विक आर्थिक विकास की नींव रखता है।

जैविक विविधता सम्मेलन (सीबीडी) की स्थापना विभिन्न सरकारों द्वारा 1992 रियो डी जनेरियो में पृथ्वी शिखर सम्मेलन के दौरान हुई थी। इसे उस समय अपनाया गया था जब वैश्विक नेताओं ने भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक जीवित नक्षत्र सुनिश्चित करते हुए वर्तमान जरूरतों को पूरा करने के लिए "सतत विकास'  की एक व्यापक रणनीति पर सहमति व्यक्त की थी। 193 सरकारों द्वारा इस पर हस्ताक्षर किए गए थे। सीबीडी ने वैश्विक जैविकविविधता को कायम रखने के लिए प्रतिबद्धता व्यक्त की थी जो सीधे-सीधे अरबों लोगों की आजीविका का समर्थन करता है और वैश्विक आर्थिक विकास की नींव रखता है।

 जैविकविविधता सम्मेलन (सीबीडी) एक कानूनी रूप से बाध्यकारी एक अंतरराष्ट्रीय संधि है। सम्मेलन के तीन मुख्य लक्ष्य है:

  • जैविक विविधता (या जैविक विविधता) का संरक्षण;
  • इसके घटकों का सतत उपयोग; और
  • आनुवांशिक संसाधनों से उत्पन्न होने वाले लाभ का उचित और न्यायसंगत बंटवारा

दूसरे शब्दों में, इसका उद्देश्य जैविकविविधता के संरक्षण और सतत उपयोग के लिए राष्ट्रीय रणनीति विकसित करना है। इसे अक्सर सतत विकास के संबंध में महत्वपूर्ण दस्तावेज के रूप में देखा जाता है।

5 जून 1992 को रियो डी जनेरियो में पृथ्वी शिखर सम्मेलन के दौरान सम्मेलन में हस्ताक्षर हुए थे और 29 दिसंबर 1993 से यह प्रभावी हो गया था।

वर्ष 2010 जैविकविविधता का अंतरराष्ट्रीय वर्ष था। जैविकविविधता सम्मेलन का सचिवालय जैविकविविधता के अंतरराष्ट्रीय वर्ष का केन्द्र बिन्दु है। 2010 में पक्षकारों के 10 वें सम्मेलन (सीओपी) में अक्टूबर माह के दौरान नगोया, जापान में जैविकविविधता सम्मेलन में नगोया प्रोटोकॉल अपनाया गया था। 22 दिसंबर, 2010 को संयुक्त राष्ट्र ने 2011 से 2020 की अवधि को जैविकविविधता के संयुक्त राष्ट्र दशक के रूप में मनाने की घोषणा की। अक्टूबर 2010 में नागोया में सीओपी 10 के दौरान सीबीडी हस्ताक्षर करने वालों ने एक सिफारिश का पालन किया।

सीबीडी कैसे कार्य करता है?

पक्षकारों का सम्मेलन (सीओपी) प्रत्येक 2 वर्षों में नए मुद्दों की पहचान करने और लक्ष्यों को हासिल करने तथा जैविकविविधता के नुकसान की पहचान के लिए बैठक करती है।

सीबीडी हस्ताक्षरकर्ता सरकारों को सीओपी निर्णयों के आधार पर रणनीति और कार्य योजना के कार्यान्व्यन को राष्ट्रीय स्तर पर विकसित करने की रिपोर्ट सौपना जरूरी होता है।

2020 का लक्ष्य

2010 में, जापान में सीबीडी पक्षकारों के 10वें सम्मेलन के दौरान 193 देशों की सरकारें एकत्र हुयीं और विश्व की बहुमूल्य प्रकृति को बचाने के लिए एक नई रणनीति की स्थापना की गयी थी। एक 20 सूत्रीय योजना को अपनाया गया था जिसे सरकारों द्वारा पूरे विश्व में बड़े पैमाने पर विलुप्त हो रही प्रजातियों और दुनिया भर के महत्वपूर्ण निवास स्थलों के नुकसान से निपटने में मदद करने के लिए अगले 10 वर्षों में लागू किया जाना है। विश्व भर में जैविकविविधता का बचाव योजना के हिस्से के रूप में, सरकारें विश्व में 17% भूमि  को संरक्षित क्षेत्र के रूप में बढ़ावा देने के लिए तथा 2020 तक हमारे महासागरों के 10% क्षेत्र को समुद्री संरक्षित क्षेत्रों के रूप में कवर करने के लिए प्रयास करने पर सहमत हुए हैं।

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ (WWF) और सीबीडी (CBD- Convention on Biodiversity)

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने 1980 के दशक में सीबीडी के विकास का समर्थन किया थाहै। सीओपी द्वारा मजबूत लक्ष्य और कार्य योजनाओं को गोद लेने की वकालत करने और राष्ट्रीय सरकारों द्वारा उनके क्रियान्वयन के लिए यह वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करता है।

नागोया प्रोटोकॉल

पहुंच और लाभ बंटवारे पर नागोया प्रोटोकॉल (एबीएस) 29 अक्टूबर, 2010 को नागोया, जापान में अपनाया गया था इसका उद्देश्य आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से उत्पन्न होने वाले लाभ का उचित और न्यायसंगत बंटवारा है,  जिससे यह जैविकविविधता के संरक्षण और सतत उपयोग में योगदान दे सके।

उद्देश्य

आनुवंशिक संसाधन का उपयोग और जैविकविविधता पर आयोजित सम्मेलन के उपयोग (एबीएस) से होने वाले लाभों के निष्पक्ष और समान बंटवारा जैविकविविधता सम्मेलन का एक पूरक समझौता है। यह सीबीडी के तीन में से एक लक्ष्य के प्रभावी कार्यान्व्यन के लिए एक पारदर्शी कानूनी ढांचा प्रदान करता है। यह आनुवंशिक संसाधनों के उपयोग से उत्पन्न लाभ का उचित और न्यायसंगत बंटवारा भी करता है।

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Education Desk

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