प्रारम्भिक काल में कई वैज्ञानिकों का मानना था कि प्रकाश की गति अनंत है और वह तत्क्षण किसी भी दूरी की यात्रा नहीं कर सकती है| 17 वीं सदी में एक इतालवी भौतिक विज्ञानी गैलीलियो गैलिली ने एक प्रयोग किया और प्रकाश की गति को मापने की कोशिश करने वाले पहले व्यक्ति बने| अपने प्रयोग में उन्होंने कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित दो टीलों पर दो व्यक्तियों को खड़ा कर दिया| उन्होंने उन दोनों व्यक्तियों को एक-एक लालटेन दिया और उसे कपड़े से ढ़ककर रखने के लिए कहा| फिर बारी-बारी से दोनों व्यक्तियों को अपने-अपने लालटेन से इस प्रकार कपड़े हटाने को कहा ताकि जब एक व्यक्ति कपड़ा हटाए तो दूसरे व्यक्ति को लालटेन की रौशनी दिखाई दे और जब दूसरा व्यक्ति कपड़ा हटाए तो पहले व्यक्ति को लालटेन की रौशनी दिखाई दे|
असल में गैलीलियो लालटेन संकेतों के बीच के समय को रिकॉर्ड करना चाहते थे, लेकिन वे इसमें असफल रहे, क्योंकि प्रकाश की चाल बहुत तेज थी और इसकी तेजी को मापने के लिए ली गई दूरी बहुत छोटी थी| इसके अलावा प्रकाश की चाल की माप के लिए अंतर-ग्रहीय निर्धारण की जरूरत होती है।
ओल्स रोमर
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1676 में प्रकाश की गति का पहला सफल माप या हम कह सकते हैं प्रकाश की गति का निर्धारण ‘ओल्स रोमर’ द्वारा किया गया और वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने यह साबित किया कि प्रकाश एक सीमित गति से यात्रा करती है| उनका सिद्धांत बृहस्पति के चंद्रमाओं के ग्रहण के अवलोकन पर आधारित था। वे जब वृहस्पति के चंद्रमाओं में से किसी एक का अध्ययन कर रहे थे तो उन्होंने देखा कि उस चंद्रमा के ग्रहणों के बीच का समय पूरे वर्ष में अलग अलग है और यह पृथ्वी के वृहस्पति के नजदीक आने या उससे दूर जाने पर आधारित है|
ओल्स रोमर प्रयोग
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उन्होंने अवलोकन किया कि जब पृथ्वी वृहस्पति से दूर जाती है तो दो ग्रहण के बीच का समय बढ़ जाता है और जब पृथ्वी वृहस्पति के नजदीक आती है तो दो ग्रहण के बीच का समय घट जाता है| छह महीने कि अवधि में “लो” (वह चन्द्रमा, जिसका रोमर अवलोकन कर रहे थे) के कुल 102 ग्रहण हुए थे जिसमें अधिकतम समय अन्तराल 16.5 मिनट था| रोमर ने इस समय अन्तराल की व्याख्या वृहस्पति और पृथ्वी के बीच प्रकाश की यात्रा में लगने वाले समय के रूप में की| उन्होंने प्रकाश की गति 214,000 किमी/से. निर्धारित की थी जबकि प्रकाश की वर्तमान गति 299,792 किमी/से. है|
इस त्रुटि का कारण यह था कि रोमर को पृथ्वी की कक्षा के व्यास की सही जानकारी नहीं थी और इसके अलावा समय अन्तराल की माप में भी कुछ त्रुटि थी| फिर भी यह प्रकाश की गति के सीमित होने कि पहली पुष्टि थी और 7 दिसम्बर 2016 को प्रकाश की गति के संबंध में रोमर द्वारा दिए गए विचार की 340वीं सालगिरह थी|
ओल्स रोमर प्रकाश की गति की खोज
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रोमर पेरिस में रॉयल वेधशाला में काम करते थे, जिसके निदेशक “जिओवानी डोमेनिको कैसिनी” थे| लेकिन रोमर अपने बॉस को इस सिद्धांत को समझाने में असफल रहे| हालांकि, सर आइजेक न्यूटन जैसे कई अन्य वैज्ञानिकों ने उनका समर्थन किया था और उनकी सराहना की थी| लेकिन प्रकाश की गति के सटीक माप का निर्धारण बहुत बाद में 1975 में किया गया था।
प्रकाश कि गति से संबंधित तथ्य
प्रकाश की गति को ‘c’ से निरूपित किया जाता है और यह एक भौतिक नियतांक है जिसे ‘सार्वभौमिक भौतिक नियतांक’ के रूप में जाना जाता है जिसका अर्थ है कि इसका मान कभी भी बदल नहीं सकता है। प्रकाश की गति का वास्तविक मान 299,792,458 मीटर/सेकेण्ड (लगभग 3.00 × 108 मी/से) या 670,616,629 मील प्रति घंटा है| हम सभी जानते हैं कि अल्वर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता के सिद्धांत में भी यह कहा गया है कि निर्वात में प्रकाश की गति नहीं बदलती है।
क्या आप जानते हैं कि प्रकाश की तुलना में कोई भी वस्तु अधिक तेजी से गति नहीं कर सकती है? अगर आप प्रकाश की गति से यात्रा करते हैं तो आप एक सेकेण्ड में पृथ्वी का चक्कर लगा सकते है|
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