प्रतिव्यक्ति वृद्धि
प्रतिव्यक्ति आय और उपभोग में वृद्धिदर जो सामान्यतया सकल कल्याण का पैमाना माने जाते हैं, में पिछले दो वर्षों में गिरावट दर्ज की गई है। इसके पीछे सबसे बड़ा हाथ सकल घरेलू उत्पाद में गिरावट का है। प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धिदर जिसे स्थिर बाजार मूल्यों पर सकल घरेलू उत्पाद के आधार पर मापा जाता है, 2008-09 में 3.7 प्रतिशत रही। इसकी तुलना में वित्त वर्ष 2007-08 में यह वृद्धि दर 8.1 प्रतिशत रही थी। बाद में वित्त वर्ष 2009-10 के दौरान प्रतिव्यक्ति आय में वृद्धि दर बढ़कर 5.3 प्रतिशत हो गई। जहां तक उपभोग का संबंध है, इसमें वित्त वर्ष 2007-08 से लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। 2009-10 में इस क्षेत्र में वृद्धि दर गिरकर 2007-08 की तुलना में मात्र एक-तिहाई रह गई है।
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