“प्राचीन भारत के इतिहास” की अध्ययन सामग्री को घटनाओं के कालक्रम के अनुसार 5 मुख्य भागों में बांटा गया है| हमें यह यकीन है यह सामग्री न केवल स्कूल जाने वाले छात्रों/छात्राओं बल्कि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे प्रतिभागियों के लिए भी बहुत ही महत्वपूर्ण होगी|
जैसा कि आप सभी लोग जानते हैं कि विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे IAS, PSC, SSC और CDS में ‘प्राचीन भारत के इतिहास’ से सम्बंधित प्रश्न काफी संख्या में प्रति वर्ष पूछे जाते हैं| इसलिए आप इस विषय की महत्ता को अच्छी तरह समझते होंगे| इसी कारण आपकी सुविधा के लिए jagranjosh.com ने सम्पूर्ण अध्ययन सामग्री को उसके कालक्रम के अनुसार ‘वैदिक काल और उत्तर वैदिक काल’, पूर्व मौर्य, मौर्य शासन, ‘गुप्ता के बाद का युग’ और ‘हर्षवर्धन काल’ में बांटा है और उसको एक ही क्लिक पर उपलब्ध करा दिया है|
"प्राचीन भारत का इतिहास" पर इस व्यापक अध्ययन सामग्री को NCERT की पुस्तकों, R.S. शर्मा के (भारत के प्राचीन अतीत), और Keay के (भारत: इतिहास) जैसी कुछ महत्वपूर्ण पुस्तकों से रेफरेंस लेकर बनाया गया है।
1. वैदिक काल और उत्तर वैदिक काल
1.1 भारत में आर्यों का भौतिक और सामाजिक जीवन
1.2 उत्तरकालीन वैदिक युग में आर्थिक व सामाजिक जीवन
1.3 उत्तर वैदिक काल (1000 - 600 ई.पू.)
1.4 आर्यों का आगमन
2. पूर्व मौर्य
2.1 महाजनपद
2.2 सातवाहन का युग
2.3 मगध का साम्राज्य
2.4 जनपद और महाजनपद
2.5 कनिष्क: कुषाण राजवंश (78 ईस्वी - 103 ईस्वी)
2.6 मध्य एशियाई संपर्कों का प्रभाव (शक-कुषाण काल के दौरान)
2.7 मौर्य युग के पूर्व विदेशी आक्रमण
3. मौर्य शासन
3.1 मौर्य साम्राज्य: इसका पतन और महत्व
3.2 मौर्य इतिहास के स्त्रोत
3.3 मौर्य राजवंश
3.4 मौर्य साम्राज्य: प्रशासन
3.5 अशोक द ग्रेट (268 - 232 B.C.)
4. गुप्ता के बाद युग
4.1 भारतीय प्रायद्वीप में गुप्त के बाद के राजवंश
4.2 दिल्ली सल्तनत: गुलाम वंश का शासन (1206 A.D. - 1290 A.D.)
4.3 चोल साम्राज्य (9वीं सदी AD से 12वीं सदी AD तक) : बाद के चोल
4.4 चोल साम्राज्य (9वीं सदी AD से 12वीं सदी AD तक) : मध्यकालीन चोल
4.5 कन्नौज के लिए त्रिपक्षीय संघर्ष
4.6 गुप्त काल के बाद आर्थिक, सामाजिक जीवन और मंदिर वास्तुकला
4.7 चोल, चेरा और पाण्ड्या राजवंश
4.8 चोल साम्राज्य (9वीं सदी AD से 12वीं सदी AD तक) : बाद के चोल
5. हर्षवर्धन काल
5.1 हर्षवर्धन काल
5.2 तराइन की लड़ाई
5.3 चोल राज्य: प्रशासन, कला और वास्तु-कला
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