भारत में भूमि सुधार अथवा भू सुधार

Apr 18, 2016, 17:55 IST

देश की स्वतंत्रता के समय भूमि का स्वामित्व केवल कुछ ही लोगों के हाथों में केंद्रित था। इससे किसानों का शोषण बढ़ता गया और साथ ही साथ ग्रामीण आबादी के सामाजिक-आर्थिक विकास की दिशा में भी यह एक प्रमुख बाधा बना रहा। भारत में भूमि सुधार कार्यक्रमों में मध्यस्थों का उन्मूलन, काश्तकारी सुधार, भूमि की चकबंदी तथा प्रति परिवार भूमि का निर्धारण और भूमिहीन लोगों के बीच अधिशेष भूमि वितरित करना शामिल था ।

देश की स्वतंत्रता के समय भूमि का स्वामित्व केवल कुछ ही लोगों के हाथों में केंद्रित था। इससे किसानों का शोषण बढ़ता गया और साथ ही साथ ग्रामीण आबादी के सामाजिक-आर्थिक विकास की दिशा में भी यह कारण एक प्रमुख बाधा बना रहा। स्वतंत्र भारत की सरकार का मुख्य ध्यान देश में समान भू वितरण करना था। 1950 से 60 के दशक में भू स्वामित्व के कानून विभिन्न राज्यों में अधिनियमित किए गए जिन्हें 1972 में केंद्र सरकार के निर्देश पर संशोधित किया गया।

भूमि सुधारों के अन्तर्गत सरकार ने निम्न कदम उठाए हैं -

(1) भूस्वामित्व सुधार -

इसके अन्तर्गत सरकार ने पूर्व से चली आ रही जमींदारी, रैयतवाड़ी, महलवाड़ी इत्यादि व्यवस्थाओं को समाप्त कर दिया है इसके अन्तर्गत सरकार ने तीन कार्य किए हैं -

(क) बिचैलिया की समाप्ति करना,

(ख) काश्तकारों को प्रत्यक्ष भू-स्वामित्व प्रदान करना, तथा

(ग) लगान का नियमन

(2) जोतों की चकबंदी -

यत्र-तत्र बिखरे खेतों को एक साथ व्यवस्थित कर सिंचाई के साधनों सहित अन्य प्रकार की सुविधाओं के विकास द्वारा भूमि की उत्पादकता बढ़ाई गई ।

(3) सहकारी कृषि का प्रारम्भ,

(4) जोतों की निम्नतम सीमा का निर्धारण,

(5) कृषि-जलवायु प्रादेशिक नियोजन

(6) बरानी कृषि/शुष्क कृषि का विकास

(7) सीढ़ीनुमा खेतों का विकास

(8) मेड़बन्दी

(9) बीहड़ों का समतलीकरण

(10) ऊसर भूमि (पायराइट अथवा जिप्सम खादों का प्रयोग करके) का विकास

(11) मृदा सर्वेक्षण एवं संरक्षण कार्यक्रम, तथा

(12) सिंचाई का विकास (विशेषकर शुष्क क्षेत्रों में)

1949 में भारतीय संविधान के तहत, राज्यों को भूमि सुधार अधिनियमित (और लागू) करने के अधिकार प्रदान किए गये हैं। यह स्वायत्तता यह सुनिश्चत करती है कि राज्यों में भू सुधारों की संख्या और उनके प्रकारों के लिहाज से जो कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए हैं उन्हें अधिनियमित किया जाए। अपने मुख्य उद्देश्य के अनुसार हम भूमि सुधार के कानूनों को तीन  मुख्य श्रेणियों में वर्गीकृत कर सकते हैं।

1. पहली श्रेणी किरायेदारी के सुधारों से संबंधित कार्य करती है। इसमें पंजीकरण और अनुबंध की शर्त, दोनों के माध्यम से काश्तकारों के अनुबंध को विनयमित करने के प्रयास शामिल हैं।  इस तरह के हिस्से काश्तकारों के अनुबंध में शेयरों के साथ-साथ किरायेदारी को खत्म करने और काश्तकारों को स्वामित्व हस्तांतरण करने के प्रयासों का एक रूप हैं।

2. भूमि सुधार के कानूनों की दूसरी श्रेणी बिचौलियों को समाप्त करने का एक प्रयास है। ये वो बिचौलिये थे जो अंग्रजों के लिए सामंती शासकों (जमीदारी) के नीचे कार्य करते थे। भूमि अधिशेष के एक बड़े हिस्से से किराया लेने के लिए इन्हें अधिकृत किया गया था। अधिकतर राज्यों ने 1958 से पहले बिचौलियों को खत्म करने के लिए कानून पारित कर दिया था।

3. भूमि सुधार कानूनों की तीसरी श्रेणी में भूमिहीनों को अधिशेष भूमि पुनर्वितरण के साथ जमीन पर छत उपलब्ध कराने से संबंधित प्रयासों का विवरण है।

अत: हमारे पास वह कानून है जो असमान भूमि जोत के समेकन की अनुमति देने का प्रयास करता है। हालांकि ये सुधार, विशेष रूप से कृषि के क्षेत्र में दक्षता प्राप्त करने के मामले में आंशिक रूप से उचित थे। राजनैतिक घोषणापत्रों द्वारा पहले तीन सुधारों का मुख्य उद्देश्य गरीबी में कमी करना था।

भूमि सुधारों का आकलन:

जो भू-स्वामी राजनीतिक रूप से प्रभावशाली थे, वे इन सुधारों के प्रयोजन को नष्ट करने में कामयाब रहे। तथापि, जैसा कि पी.एस. अप्पू ने 1996 की अपनी चर्चित पुस्तक लैंड रिफॉर्म्स इन इंडिया में लिखा है,1992 तक महज 4 प्रतिशत ज़मीन के जोतदारों को स्वामित्व का अधिकार मिल पाया था। इन जोतदारों में से भी 97 प्रतिशत सिर्फ सात राज्यों-असम, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के थे।

स्वामित्व का अधिकार जोतदार को हस्तांतरित करने की कोशिश करने पर, कई राज्यों ने काश्तकारी को ही समाप्त कर दिया। लेकिन भूमि हस्तांतरण भले न्यूनतम हो पाया हो, किंतु इस नीति का एक परोक्ष परिणाम यह अवश्य हुआ कि जहां कहीं भी काश्तकारी किसी रूप में बची थी,उसको संरक्षण दिया जाना समाप्त हो गया और भविष्य में काश्तकारी की गुंजाइश ख़त्म हो गई। कई राज्यों ने काश्तकारी की अनुमति तो दी, लेकिन यह शर्त लगाई कि भूमि किराया उत्पाद के एक-चौथाई से पांचवे हिस्से तक के बराबर होगा। किंतु चूंकि यह दर बाज़ार-दर से काफी कम थी, इसलिए इन राज्यों में भी ठेका ज़बानी तौर पर चलता रहा जिसके लिए काश्तकार उत्पाद का लगभग 50 प्रतिशत बतौर किराया देता था।

इन विभिन्न सुधारों का मौजूदा प्रभावशाली आकलन मिलाजुला रहा है। 1949 तक भूमि सुधार राज्य का विषय था हांलाकि इसे विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से केंद्र द्वारा आगे बढ़ाया गया। अधिनियमन और कार्यान्वयन राज्य सरकारों की राजनीतिक इच्छाशक्ति पर निर्भर था। जमींदारों के कथित दमनकारी चरित्र और अंग्रेजों के साथ उसके करीबी गठबंधन को समाप्त करने तथा बिचौलियों के वर्चस्व को व्यापक राजनीतिक समर्थन ने ही इन सुधारों के कार्यान्वयन के लिए प्रेरित किया और इनमें से अधिकांश 1960 के दशक में पूरे कर लिए गए। काश्तकारी सुधारों के मुद्दे पर केंद्र और राज्य के अधिकारों को बहुत कम स्पष्ट किया गया था। कई राज्य विधायिकाओं पर जमींदारों का नियंत्रण था और इन सुधारों से इस वर्ग को नुकसान हुआ था। हालांकि भूमि सुधार कानूनों के कार्यान्वयन में काश्तकारों को पर्याप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व की अच्छी सफलता मिली थी।

अधिनियम के पर्याप्त प्रचार होने के बावजूद भी, भूमि हदबंदी के मामलों में इसे लागू करने के लिए राजनीतिक विफलता जिम्मेदार रही। अधिशेष भूमि को जब्त करने से बचाने के लिए जमीन मालिकों ने अपनी जमीनों को अपने संबंधियों, दोस्तों और आश्रितों को हस्तांतरित कर दी थीं । भूमि समेकन कानून को अन्य सुधारों की तुलना में कम अधिनियमित किया गया था और आंशिक रूप से भूमि रिकार्ड की कमी के कारण इसका कार्यान्वयन कुछ राज्यों को ही प्रभावित कर पाया था। गांव स्तर के अध्ययन में भी विभिन्न भूमि सुधारों द्वारा गरीबी पर पड़े प्रभाव का एक बहुत ही मिश्रित मूल्यांकन किया गया है।

भूमि सुधार के लिए नई एजेंसी: सरकार भूमि सुधार व बंजर भूमि के उन्नयन के लिए एक अलग एजेंसी स्थापित करने की योजना बना रही है। "भूमि सुधार एवं बंजर भूमि प्रबंधन के लिए जय प्रकाश नारायण मिशन" नाम की नई एजेंसी ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधीन काम करेगी। इस संस्था के पास भूमि सुधार एवं बंजर भूमि उन्नयन के लिए नीतियां बनाने तथा उन्हें लागू करने का अधिकार होगा।

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
... Read More

आप जागरण जोश पर भारत, विश्व समाचार, खेल के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए समसामयिक सामान्य ज्ञान, सूची, जीके हिंदी और क्विज प्राप्त कर सकते है. आप यहां से कर्रेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें.

Trending

Latest Education News