रेटिना इम्प्लांट से अक्षरों की पहचान
वंशानुगत अंधता से पीडि़तों को लाभ:
जर्मनी के वैज्ञानिकों को रेटिना इम्प्लांट में भारी सफलता प्राप्त हुई है। जन्म से अंधे एक व्यक्ति ने रेटिना इम्प्लांट के बाद अक्षरों को पहचानना शुरू कर दिया है। यह व्यक्ति हेरीडेटरी ब्लाइंडनेस अर्थात वंशानुगत दृष्टिहीनता से पीडि़त था। वैज्ञानिकों ने रेटिना इम्प्लांटेशन प्रक्रिया के दौरान रेटिना के पीछे एक चिप लगाने के बाद यह सफलता प्राप्त की। चिप मरीजों को अपनी आंखों से चीजों को भांपने में सहायता करती है।
जर्मनी के ट्यूबिंगेन यूनीवर्सिटी के प्रोफेसर ऐबरहार्ट जेनर और उनके सहयोगियों ने रेटिना इम्प्लांट एजी नामक एक निजी कंपनी में 11 लोगों की आंखों में ये चिप लगाई है। प्रोफेसर जेनर का कहना था कि इनमें से जिन लोगों की स्थिति बहुत ज्यादा खराब थी उन्हें तो कोई लाभ नहीं हुआ लेकिन अधिकतर लोग चमकीली वस्तुओं को देख सकते थे।
चिप की कार्यप्रणाली
यह चिप दृष्टिहीनता से पीडि़त व्यक्ति को अपनी आंखों से चीजों को भांपने में मदद देती है। इस चिप को रेटिना की ओर पिछली तरफ यानी सेंट्रल मेक्यूलर एरिया में फिट किये जाने पर बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं। ये चिप आंखों में प्रवेश करने वाले प्रकाश को विद्युतीय आवेग में परिवर्तित कर देती है और ये आवेग आंखों के पीछे स्थित ऑप्टिक नर्व को हरकत में ला देता है। इस चिप इम्प्लांट का यह परिणाम हुआ कि मरीजों ने अक्षरों तक की पहचान करने में सफलता प्राप्त की।
इस चिप को तैयार करने वाली टीम अब इसे और अधिक कारगर बनाने में जुट गई है।
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