लैब में बनाई गई कॉर्निया
इसे सिंथेटिक कोलैजिन से तैयार किया गया:
स्वीडन की एक लेबोरेटरी में तैयार की गई कॉर्निया से 10 मरीजों की आंखों की रोशनी में काफी सुधार हुआ है। इसे सिंथेटिक कोलैजिन से बनाया गया है। इस सफलता से यह उम्मीद जगी है कि अब भविष्य में नेत्रदान करने की जरूरत नहींहोगी।
कैसे तैयार होती है कृत्रिम कॉर्निया?
मानव आंखों की कॉर्निया की यह सिंथेटिक नकल है और इसे विकसित करते समय इस बात का पूरी तरह से ख्याल रखा गया है कि ये देखने में बिल्कुल असली आंख की तरह ही लगे। इसे तैयार करने के लिए यीस्ट यानि खमीर और मानव डीएनए का प्रयोग किया गया है। इस कॉर्निया का विकास फाइब्रोजिन नाम की कंपनी कर रही है। जिन मरीजों की आंखों में इनको इम्प्लांट किया गया है उनकी रोशनी पहले से काफी अच्छी हो गई है।
आंखों के देखने की प्रक्रिया
आंखों का देखना कॉर्निया पर निर्भर करता है। कॉर्निया एक पारदर्शी सतह होती है जो आंखों की पुतली और उसके आगे के हिस्से को ढंकती है। ये रोशनी को इस तरह से मोड़ती है कि किसी वस्तु की इमेज रेटिना पर फोकस होती है और इस तरह से हम उस वस्तु को देख पाते हैं। दुनिया भर में अंधेपन का सबसे बड़ा कारण कॉर्निया को पहुंचने वाली क्षति है। कॉर्निया से हुई क्षति से लगभग 10 करोड़ लोग प्रभावित हैं।
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